61 गोवंश की मौत मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट से सामने आया पूरा सच, इस वजह से हरा चारा साबित हुआ जानलेवा

सांथलपुर गोशाला में 61 गोवंश की मौत मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट से कई बड़े खुलासे हुए हैं। बताया जा रहा है कि हरा चारा ही गोवंश के लिए जानलेवा साबित हुआ और कुछ घंटों बाद उनकी मौत हो गई। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 6, 2022 10:42 AM IST

अमरोहा: सांथलपुर गोशाला में 61 गोवंश की मौत मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट से कई बाते सामने आईं। गोवंश की मौत शरीर में नाइट्रेट की अधिक मात्रा होने की वजह से हुई। इसी के चलते उनका ऑक्सीजन लेवल घट गया और मल्टी ऑर्गन फेल होने के कारण मौत हो गई। भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली के तीन डॉक्टर की टीम ने गोवंश का परीक्षण किया और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद वह इस निष्कर्म पर पहुंची। 

जांच के लिए दिए गए निर्देश 
सांथलपुर की गोशाला में हुई 61 गोवंश की मौत की गूंज शासन तक भी पहुंच चुकी है। इसके बाद शासन की ओर से जांच के लिए भी निर्देश दिए गए हैं। गोवंश की मौत का कारण जानने के लिए मंडल भर के पशु चिकित्सकों के अतिरिक्त आईवीआरआई बरेली से तीन डॉक्टरों की टीम भी मौके पर पहुंची थी। टीम में शामिल डॉ. एजी तिलंग, डॉ. एम स्वामीनाथ और डॉ. आर रघुवरन ने गोशाला पहुंचकर वहां निरीक्षण किया और मृत पशुओं का पोस्टमार्टम किया। इस परीक्षण में सामने आया कि गोवंश ने जो चारा खाया था उसमें नाइट्रेट की मात्रा ज्यादा थी और यह पेट में जाकर नाइट्राइट में बदल गया। इससे मेट हीमोग्लोबिन की मात्रा में इजाफा हो गया। इसी के चलते शरीर में ऑक्सीजन का लेवल भी कम हो गया। जिसके चलते कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया और गोवंश की मौत हो गई। गोवंश के पेट से अधिक मात्रा में हरा चारा भी पाया गया है। 

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पोस्टमार्टम के बाद पूरा सच आया सामने 
आईवीआरआई बरेली के चिकित्सकों की टीम ने भी दो पशुओं का पोस्टमार्टम किया है। इसमें उनका पेट फूला हुआ पाया गया है। इसी के साथ शरीर के भीतर लीवर, किडनी, हार्ट और मसल्स में हैमरेज पाया गया। इस बीच आईवीआरआई बरेली के चिकित्सकों की टीम पोस्टमार्टम के बाद गोवंश को खिलाए गए हरे चारे और उनके पेट में भरे चारे के सैंपल को बरेली स्थित लैब में परीक्षण के लिए भेजा। इन सैंपल में नाइट्रेट और नाइट्राइट की मात्रा 100 गुना से अधिक पाई गई। वहीं पशु रोग निदान केंद्र आईवीआरआई बरेली के संयुक्त निदेशक केपी सिंह ने कहा कि हरे चारे में नाइट्रेट की मात्रा अधिक रहती है। चारे वाले खेत में यदि यूरिया डाली गई हो या फिर उसकी सिंचाई सीवर वाले पानी से की गई हो तो चारे में नाइट्रेट की मात्रा बढ़ जाती है। यह नाइट्रेट पशुओं के पेट में जाकर नाइट्राइट की मात्रा को बढ़ा देता है और इससे उनके शरीर का मेट हीमोग्लोबिन बढ़ने लगता है और ऑक्सीजन का प्रभाव कम हो जाता है। यदि पशु पेट भर ऐसा चारा खा लेते हैं तो तीन से चार घंटे बाद उनकी मौत हो जाती है।  

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