Special Story:'प्रत्यक्ष किम प्रमाणं' BJP के इन बागी नेताओं ने किया सिद्ध, राष्ट्रहित से बड़ा है निज स्वार्थ

जितेंद्र पहले भी सपा में ही थे लेकिन 2014 में ये बीजेपी में शैल हो गए। साथ ही 2017 विधानसभा चुनाव में फतेहाबाद सीट से सपा प्रत्याशी राजेंद्र सिंह को 33 हजार वोट से  हरा ये सीट अपने नाम कर ली थी। वहीं फिर से अपने निजी स्वार्थ के कारण उन्होंने पार्टी छोड़ दी और सपा को वापस अपना घर बना लिया। अखिलेश ने इस बागी विधायक को आगरा का जिलाध्यक्ष बना दिया है।
 

निमिषा बाजपेई
लखनऊ:
विधानसभा चुनाव नजदीक आ चुके हैं लेकिन दलबदल का सिलसीला अभी रुका नहीं है सभी पार्टी के छोटे बड़े नेता लगातार दल परिवर्तन कर रहे हैं। यूं ये कोई खास बात नही है क्योंकि हर चुनाव में ही ये होता है। इस चुनाव में खास इसलिए है क्युकी ये सिलसिला रुकने का नाम ही नही ले रहा है पार्टियों के कद्दावर नेता अपने पदों से इस्तीफा दे कर दूसरी पार्टियों में शामिल हो रहे हैं बीते रविवार को भी बीजेपी की एक विधायक ने इस्तीफा दे दिया और सपा में शामिल हो गया है। इस दल परिवर्तन के खेल बीजेपी के कई नेता सपा के साथ ही अन्य दलों में शामिल हो गए। इस चुनाव में मुख्य विपक्षी दल कही जाने वाली सपा लगातार अपना कारवां बीजेपी के नेताओ को कांत कर बढ़ा रही है। लेकिन इन हो रहे दल परिवर्तन में एक बात तो साफ है की राजनेताओं के लिए राष्ट्रहित से बड़ा अपना हित है। सपा में शामिल हुए जितेंद्र वर्म आने अपना पद और पार्टी इसलिए छोड़ दी क्योंकि उनकी जगह आगामी चुनाव में टिकट दूसरे नेता को दिया गया।

जितेंद्र वर्मा ने भी कहा पार्टी को अलविदा
रविवार को बीजेपी के नेता और फतेहाबाद सीट से विधायक जितेंद्र वर्मा ने पार्टी के साथ ही अपने पद से भी इस्तीफा दे दिया और सपा का दामन थाम लिया। उन्होंने अपने पार्टी छोड़ने की कोई वजह नहीं बताई है। लेकिन साफ नजर आ रहा है कि बीजेपी ने आगरा की सभी विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। वहीं फतेहाबाद सीट पर छोटेलाल वर्मा को प्रत्याशी बनाया है। जिससे नाराज विधायक ने पार्टी ही छोड़ दी। आपको बता दें कि जितेंद्र पहले भी सपा में ही थे लेकिन 2014 में ये बीजेपी में शैल हो गए। साथ ही 2017 विधानसभा चुनाव में फतेहाबाद सीट से सपा प्रत्याशी राजेंद्र सिंह को 33 हजार वोट से  हरा ये सीट अपने नाम कर ली थी। वहीं फिर से अपने निजी स्वार्थ के कारण उन्होंने पार्टी छोड़ दी और सपा को वापस अपना घर बना लिया। अखिलेश ने इस बागी विधायक को आगरा का जिलाध्यक्ष बना दिया है।

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प्रत्याशी वहीं जो जीत दिलाए
इस बार का विधानसभा चुनाव काफी खास है क्योंकि 2017 में तो बीजेपी लहर थी लेकिन 2022 में ये कयास लगा पाना काफी मुश्किल है। सपा की रैलियों में भीड़ बेतहाशा उमड़ रही है वहीं बीजेपी भी किसी से पीछे नही हैं कांग्रेस ने भी लड़की हूं लड़ सकती हूं के नारे के साथ लोगो में बहुत जोश भरा है वही बसपा भी लगातार आगे बढ़ रही है। इस बार बीजेपी सिर्फ उन्ही चहरों को प्रत्याशी बना रही है जिनकी जितने की संभावना 100 प्रतिशत है। भाजपा कोई भी जोखिम उठाने को तैयार नही है।

इन नेताओं ने निज स्वार्थ के चलते छोड़ी पार्टी 
गौरतलब है कि बीजेपी से हाल के दिनों में योगी सरकार के श्रम और सेवायोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, वन और पर्यावरण मंत्री दारा सिंह चौहान और आयुष मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्म सिंह सैनी ने इस्तीफा देकर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था। साथ ही बांदा के तिंदवारी के विधायक बृजेश प्रजापति, शाहजहांपुर के तिलहर के विधायक रोशन लाल वर्मा, कानपुर के बिल्हौर के विधायक भगवती प्रसाद सागर, औरैया के बिधूना के विधायक विनय शाक्य, खलीलाबाद के विधायक  दिग्विजय नारायण उर्फ जय चौबे, बहराइच की नानपारा की विधायक माधुरी वर्मा और सीतापुर के विधायक राकेश राठौर भी बीजेपी से त्याग पत्र दे चुके हैं।

आगरा में बीजेपी को चुनाव से पहले लगा झटका, जितेंद्र वर्मा भाजपा छोड़ सपा में हुए शामिल

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