अयोध्या विधानसभा सीट पर राजनीतिक पार्टियों ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। अयोध्या का फर्क यहां अन्य सीटों पर भी पड़ता है। राजनीतिक दलों का प्रयास रहता है कि वह यहां सशक्त कैंडिडेंट उतारें। 1992 के बाद से ही अयोध्या सीट पर बीजेपी से ही अन्य दलों की लड़ाई होती चली आ रही है।
अनुराग शुक्ला
अयोध्या: अयोध्या विधानसभा सीट पर पार्टियों ने अभी अपने पत्ते नही खोलें है। लेकिन संभावित योद्धाओं ने तलवार रूपी जुबान पर धार रखनी शुरू कर दी है। अयोध्या सहित 5 विधानसभा मिल्कीपुर, गोसाईगंज, बीकापुर और रुदौली क्षेत्र है। लेकिन अयोध्या महत्वपूर्ण सीट है। इसी से जिले की अन्य सीटों पर सीधा फर्क पड़ता है। यही कारण है पार्टियां अयोध्या में एक सशक्त कैंडिडेट उतारने की कोशिश में रहती हैं । 1992 के बाद से अयोध्या सीट पर बीजेपी से ही अन्य दलों की लड़ाई होती चली आ रही है। जिनका स्थानीय मुद्दों के साथ मंदिर मुद्दा प्रमुख रहा है। मंदिर बनाने या ना बनाने को लेकर खूब बयान बाजी होती रही है। पार्टियों के अंदर खाने की खबर को माने तो इस बार विधानसभा चुनाव में परिदृश्य पूरा बदला हुआ होगा ।बीजेपी मंदिर निर्माण की बात करेगी और विपक्षी दल फैसले के बाद राममंदिर के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा सस्ती जमीनों को महगें दामों पर खरीदे जाने से उपजे विवाद के मुद्दों से माहौल के टेंपरेचर को हाई करने की योजना है।
जांच कमेटी बनी लेकिन रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई
कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता गौरव तिवारी 'वीरू' कहते हैं, कि चुनाव में सीधे तौर पर मंदिर के लिए जमीन की खरीद का मुद्दा बनेगा। उनका कहना है आम जनता के पैसों का दुरुपयोग किया गया। जमीन को कौड़ियों के दाम पर खरीद कर बीजेपी के जनप्रतिनिधियों ने करोड़ो कमाएं इसके कुछ दिन बाद जिले के नौकरशाहों ने करोड़ो की जमीन अपनों के नाम करा ली। उन्होंने कहा जनता की आवाज दबाने के लिए सरकार ने जांच कमेटी बनाई। लेकिन जांच में क्या निकला यह अभी तक नहीं बताया गया। इस चुनाव में जनता सरकार से जांच के नतीजे जरुर पूछेगी।
सपा के जिला प्रवक्ता चौधरी बलराम यादव कहते हैं, पूर्व मंत्री तेज नारायण पांडे ने इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठा कर सरकार से जांच की मांग की थी इसलिए सरकार ने जांच कराई। हालांकि नतीजा अभी तक पता नहीं चला। उन्होंने कहा इसी के साथ कानून व्यवस्था ,बेरोजगारी ,महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दों को भी पुरजोर तरीके से उठाया जाएगा।
यह था जमीन खरीद का मामला
मंदिर निर्माण शुरू होने के कुछ माह बाद श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मंदिर से इर्द-गिर्द विस्थापित हुए लोगों को अन्यत्र जमीन देने की बात कही थी। इसीलिए ट्रस्ट ने कुछ लोगों से जमीनें खरीदी। इन जमीनों को कम दाम में खरीद कर करोड़ों में ट्रस्ट को बेचा गया इसका आरोप आप और सपा पार्टी ने लगाया। जो काफी दिनों तक मीडिया में सुर्खियों में बना रहा। जिसमें स्थानीय कई जनप्रतिनिधियों का भी नाम आया था। इसके बाद ट्रस्ट ने खरीदी गई जमीनों में किसी प्रकार की अनियमितता नहीं हुई है इसकी बात कही थी। यह मामला ठंडा हुआ ही नहीं था कि दूसरा मामला जिले के नौकरशाहों द्वारा जमीन खरीदने का आ गया । जिसमें योगी सरकार ने जांच कमेटी बनाकर जांच करने की बात कही।