टेंट में विराजमान रामलला को ठंड से बचाने के लिए पहनाए गए ऊनी कपड़े, 7 दिन के लिए 7 पोशाक तैयार

Published : Dec 29, 2019, 10:53 AM ISTUpdated : Dec 29, 2019, 10:54 AM IST
टेंट में विराजमान रामलला को ठंड से बचाने के लिए पहनाए गए ऊनी कपड़े, 7 दिन के लिए 7 पोशाक तैयार

सार

यूपी में पारा माइनस के करीब पहुंच गया है। जिससे पूरे प्रदेश में कड़ाके की ठंड है। इस ठंड में टेंट में विराजमान रामलला की ड्रेस में भी बदलाव किया गया है। अब हफ्ते के सातों दिन उन्हें ऊनी कपड़े पहनाए जाएंगे।

अयोध्या (Uttar Pradesh). यूपी में पारा माइनस के करीब पहुंच गया है। जिससे पूरे प्रदेश में कड़ाके की ठंड है। इस ठंड में टेंट में विराजमान रामलला की ड्रेस में भी बदलाव किया गया है। अब हफ्ते के सातों दिन उन्हें ऊनी कपड़े पहनाए जाएंगे। इसके लिए 7 अलग अलग रंग के ऊनी ड्रेस तैयार करवाए गए हैं। रामलला मंदिर के पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया, अयोध्या विवाद पर फैसले के बाद व्यवस्था में यह पहला बदलाव है। बता दें, रामजन्मभूमि के पास सुरक्षा व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया गया है। 

रामलला को 7 दिन में 7 रंग के वस्त्र पहनाए जाते हैं
सत्येंद्र दास ने बताया, ठाकुरजी के लिए ठंड के लिए पोशाक दिन के हिसाब से शुभ रंगों में बनवाई गईं हैं। इससे पहले भी रामलला को हर दिन अलग-अलग रंग के कपड़े पहनाए जाते थे। सोमवार के दिन सफेद, मंगलवार को लाल, बुधवार को हरे, गुरुवार को पीले, शुक्रवार को क्रीम, शनिवार को नीले और रविवार को गुलाबी रंग के वस्त्र धारण कराए जाते हैं।


 

अयोध्या के अन्य मंदिरों में भी ठाकुरजी को पहनाई गई ऊनी पोशाक
अयोध्या के अन्य प्रमुख मंदिरों में ठाकुरजी को ठंड से बचाने के लिए ऊनी पोशाक पहनाई गई है। रामबल्लभा कुंज मंदिर के महंत राजकुमार दास का कहना है, भगवान पर किसी मौसम का कोई असर नहीं पड़ता। लेकिन, धार्मिक संवेदनाओं के चलते भक्त ठंड में ठाकुरजी को गर्म पोशाक पहनाने की इच्छा रखते हैं। उसका पालन किया जा रहा।

बिहार का मशहूर चावल रामलला के भोग में शामिल
उन्होंने बताया, रामलला के भोग में बिहार का मशहूर खुशबूदार चावल भी जोड़ा गया है। इस चावल की निशुल्क आपूर्ति अमांवा मंदिर में चल रही राम रसोई के संचालक पूर्व आईएएस अधिकारी कुणाल किशोर की संस्था कर रही है। दो बोरी चावल रामलला के लिए मिला है। इस चावल का भोग लगने के बाद इसे सीता रसोई में भी भेज दिया जाता हैं, जहां से प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं में बांटा जाता है।

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