कोर्ट में राम मंदिर बाबरी और बाहर पक्के दोस्त थे परमहंस और हाशिम, कुछ ऐसी है दोस्ती की कहानी

अयोध्या भूमि विवाद को लेकर पहली बार कोर्ट गए परमहंस रामचंद्र दास और हाशिम अंसारी की मांग भले ही अलग-अलग रही हो, लेकिन असल जिंदगी में ये सच्चे दोस्त थे। रामचंद्र दास ने विवादित स्थल पर पूजा करने के लिए जिला न्यायालय में मुकदमा दायर किया था।

लखनऊ. अयोध्या भूमि विवाद को लेकर पहली बार कोर्ट गए परमहंस रामचंद्र दास और हाशिम अंसारी की मांग भले ही अलग-अलग रही हो, लेकिन असल जिंदगी में ये सच्चे दोस्त थे। रामचंद्र दास ने विवादित स्थल पर पूजा करने के लिए जिला न्यायालय में मुकदमा दायर किया था। वहीं, हाशिम अंसारी पहले शख्स थे जो 8 मुसलमानों के साथ मालिकाना हक के लिए कोर्ट पहुंचे थे। लेकिन दोनों कचहरी एक ही रिक्शे पर जाते हैं। यही नहीं, कोर्ट में दिन भर बहस के बाद हंसते बोलते साथ में वापस लौटते थे। हालांकि, ये दोनों अब इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन इनकी दोस्ती हमेशा अमर रहेगी। hindi.asianetnews.com आज आपको इन दोनों की दोस्ती के बारे में बताने जा रहा है।

परमहंस की मौत के बाद पूरी रात उनके पास बैठे रहे थे अंसारी

Latest Videos

महंत नारायणाचारी बताते हैं, उन दिनों परमहंस रामचंद्र दास और हाशिम अंसारी एक साथ रोज शाम दन्तधावन कुंड के पास आते थे और ताश के पत्ते खेलते थे। चाय पी जाती थी, नाश्ता होता था। इस दौरान कोई भी मंदिर मस्जिद को लेकर एक शब्द भी नहीं बोलता था। दोनों अपने-अपने हक और आराध्या के लिए कचहरी में पैरवी जरूर करते थे, लेकिन उनमें व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं थी। हाशिम गजब के आदमी थे। उनके चेहरे पर झुर्रियों के साथ-साथ मायूसी कभी नहीं देखी। परमहंस के देहांत की खबर जब हाशिम को मिली तो वह पूरी रात उनके पास रहे। दूसरे दिन अंतिम संस्कार के बाद ही अपने घर गए।

हाशिम के बेटे इकबाल अंसारी कहते हैं, 'अब्बू (हाशिम) 1949 से मुकदमें की पैरवी कर रहे थे। लेकिन कभी किसी हिंदू ने उनको एक लफ्ज गलत नहीं कहा। हिंदू भाई हमें त्योहार पर अपने घर बुलाते थे और हम सहपरिवार जाते थे। हम इसी संस्कृति में पले बढ़े थे, जहां मुहर्रम के जुलूस पर हिंदू फूल बरसाते हैं और नवरात्रि के जुलूस पर मुसलमान फूलों की बारिश करते हैं।'

जब दंगाईयों ने जला दिया था हाशिम अंसारी का घर

हाशिम का परिवार कई पीढ़ियों से अयोध्या में रह रहा है। वो 1921 में पैदा हुए, 20 जुलाई 2016 को देहांत हो गया। 11 साल की उम्र में 1932 में हाशिम के पिता का देहांत हो गया था। क्लास दो तक पढ़ाई करने के बाद हाशिम ने सिलाई यानी दर्जी का काम शुरू कर दिया। फैजाबाद में ही उनकी शादी हुई। दो बच्चे एक बेटा और एक बेटी है। 6 दिसंबर 1992 के बलवे में बाहर से आए दंगाइयों ने उनका घर जला दिया था, लेक‍िन अयोध्या के हिंदुओं ने उन्हें और उनके परिवार को बचा ल‍िया।

1934 से राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े थे परमहंस रामचंद्र

साल 1913 में जन्मे 92 वर्षीय रामचंद्र परमहंस का 31 जुलाई 2003 को अयोध्या में निधन हो गया। वे 1934 से ही अयोध्या में राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े थे। दिगम्बर अखाड़ा, अयोध्या में परमहंस रामचन्द्र दास अध्यक्ष रहे, जिसमें श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति का गठन हुआ। परमहंस सर्वसम्मति से यज्ञ समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष चुने गए थे।

Share this article
click me!

Latest Videos

LIVE: जयराम रमेश और पवन खेड़ा द्वारा कांग्रेस पार्टी की ब्रीफिंग
Wayanad Elecion Results: बंपर जीत की ओर Priyanka Gandhi, कार्यालय से लेकर सड़कों तक जश्न का माहौल
200 के पार BJP! महाराष्ट्र चुनाव 2024 में NDA की प्रचंड जीत के ये हैं 10 कारण । Maharashtra Result
LIVE 🔴 Maharashtra, Jharkhand Election Results | Malayalam News Live
एकनाथ शिंदे या देवेंद्र फडणवीस... कौन होगा महाराष्ट्र का अगला सीएम? डिप्टी सीएम ने साफ कर दी तस्वीर