सपा सांसद आजम खान की मुश्किलें बढ़ीं, जल निगम भर्ती घोटाले में SIT ने माना दोषी

रामपुर से सपा सांसद एवं पूर्व नगर विकास मंत्री आजम खान की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। फर्जी दस्तावेजों के मामले में सीतापुर जेल में बंद आजम खान को SIT ने सपा सरकार में हुई जल निगम भर्ती घोटाले में दोषी माना है। इस भर्ती घोटाले की जांच SIT कर रही थी। इस मामले में आजम पर 122 सहायक अभियंता, 853 अवर अभियंता समेत कुल 1300 पद की भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता बरतने का आरोप था

लखनऊ(Uttar Pradesh ) . रामपुर से सपा सांसद एवं पूर्व नगर विकास मंत्री आजम खान की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। फर्जी दस्तावेजों के मामले में सीतापुर जेल में बंद आजम खान को SIT ने सपा सरकार में हुई जल निगम भर्ती घोटाले में दोषी माना है। इस भर्ती घोटाले की जांच SIT कर रही थी। इस मामले में आजम पर 122 सहायक अभियंता, 853 अवर अभियंता समेत कुल 1300 पद की भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता बरतने का आरोप था।  

गौरतलब है कि सपा सरकार में हुई जल निगम की भर्तियों में गड़बड़ी की शिकायत की गई थी। इस भर्ती में 122 सहायक अभियंताओं, 853 अवर अभियंताओं व क्लर्क समेत कुल 1300 भर्तियां की गई थीं। सपा सरकार जाते ही इस भर्ती में अनियमितता की शिकायत की गई। जिसके बाद योगी सरकार ने भर्ती को रद्द करते हुए इसकी जांच SIT के हवाले कर दिया। इस मामले में पूर्व नगर विकास मंत्री आजम खान के अलावा नगर विकास सचिव रहे एसपी सिंह, जल निगम के पूर्व एमडी पीके आसुदानी, जल निगम के तत्कालीन मुख्य अभियंता अनिल खरे के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। 

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SIT ने शासन को भेजी रिपोर्ट 
आजम के खिलाफ साल 2016-17 में जल निगम के भर्ती बोर्ड का चेयरमैन रहते हुए 1300 पदों पर भर्ती में गड़बड़ी करने का आरोप है। योगी सरकार ने इस मामले की जांच एसआईटी को सौंपी गई थी। एसआईटी सभी अधिकारियों से लंबी पूछताछ कर चुकी है। अब एसआईटी की जांच प्रकिया पूरी हो चुकी है, जिसमें आजम खान को दोषी माना गया है। एसआईटी की जांच में भर्ती प्रक्रिया में भारी अनियमितता पाई गयी है। एसआईटी ने जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी दी है। 

इन पदों पर चार साल पहले हुई थी भर्ती 
सपा की सरकार के दौरान वर्ष 2016 की समाप्ति के समय जल निगम में 1300 पदों पर वैकेंसी निकली थी। इसमें 122 सहायक अभियंता, 853 अवर अभियंता, 335 नैतिक लिपिक और 32 आशुलिपिक की भर्ती हुई थी। जल निगम विभाग के ही कुछ अधिकारियों ने इस संबंध में धांधली की शिकायत की थी, जिसके बाद जांच शुरू हुई। योगी सरकार इस मामले में 122 सहायक अभियंताओं को पहले ही बर्खास्त कर चुकी है। बाद में यह जांच सरकार ने एसआईटी को सौंप दी थी। एसआईटी ने इस मामले में आजम खां समेत डेढ़ दर्जन से अधिक लोगों से पूछताछ की थी। 

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