बाबरी विध्वंस मामले में बनाए गए थे 48 आरोपी-16 की हो चुकी है मौत, नए साल पर इनपर आ सकता है फैसला

बाबरी विध्वंस मामला लखनऊ की विशेष अदालत में चल रहा है। सूत्रों की मानें तो अप्रैल 2020 तक इस मामले में फैसला आ सकता है

Asianet News Hindi | Published : Nov 11, 2019 4:48 AM IST / Updated: Nov 11 2019, 11:10 AM IST

लखनऊ(Uttar Pradesh ). देश के सबसे पुराने अयोध्या विवाद के मुकदमे में शनिवार सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया। अदालत ने विवादित जमीन जहां रामलला विराजमान को सौंप दी, वहीं मस्जिद के लिए अयोध्या के किसी प्रमुख जगह पर पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया।  इस दौरान अदालत ने छह दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा ढहाए जाने का भी जिक्र किया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ये पूरी तरह से कानून का उलंघन है। वर्तमान में यह मामला लखनऊ की विशेष अदालत में चल रहा है। सूत्रों की मानें तो अप्रैल 2020 तक इस मामले में फैसला आ सकता है। 

बता दें कि रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद में 6 दिसंबर 1992 को हजारों की विवादित ढांचा गिरा दिया गया था। इस मामले में थाना राम जन्मभूमि में कुल 48 लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया गया था। कुछ दिनों बाद ये मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था। इस मामले की जांच इस समय सीबीआई कर रही है। 

Latest Videos

आरोपी बनाए गए 48 में से 16 लोगों की हो चुकी है मौत 
बाबरी विध्वंस मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी,मुरली मनोहर जोशी,उमा भारती,विनय कटियार,कल्याण सिंह समेत कई दिग्गज नेताओं सहित 48 लोग आरोपी बनाए गए हैं। इस केस में आरोपित रहे शिव सेना प्रमुख बाबा साहेब ठाकरे, मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के गुरू महंत अवैद्यनाथ, विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व अध्यक्ष विष्णु हरि डालमिया एवं रामजन्म भूमि न्यास के महंत श्रीरामचंद्र दास परमहंस सहित कुल 16 लोग दिवंगत हो चुके हैं। 

337 साक्ष्य पेश कर चुकी है सीबीआई 
केस में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार सहित तमाम लोगों के खिलाफ सीबीआई अपने अभियोजन के गवाहों को पेश कर रही है। इस समय कल्याण सिंह के खिलाफ गवाहों को पेश किया जा रहा है। अब तक सीबीआई लगभग 337 अभियोजन साक्ष्यों को पेश कर चुकी है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया है 9 माह का समय 

19 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी विध्वंस केस की सुनवाई दिन प्रतिदिन करने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि, दो साल में परीक्षण की कार्यवाही पूरी कर ली जाए, लेकिन सुनवाई पूरी नहीं हो सकी। इसके बाद विशेष अदालत की अर्जी पर 19 जुलाई 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने केस में फैसला सुनाने के लिए नौ माह का और वक्त दे दिया। यह भी कहा कि, छह माह के भीतर सभी गवाहों को पेश करने की कार्यवाही पूरी कर ली जाए। 

Share this article
click me!

Latest Videos

Tirupati Laddu Prasad: गिरिराज सिंह ने की सबसे बड़ी मांग, ओवैसी और राहुल को जमकर सुना डाला
कोलकाता केसः डॉक्टरों के आंदोलन पर ये क्या बोल गए ममता बनर्जी के मंत्री
पितरों को करना है प्रसन्न, घर में ही कर सकते हैं ये 10 उपाय । Pitra Paksh
UP के जैसे दिल्ली में भी... आतिशी ने BJP पर किया सबसे बड़ा वार
कौन सी चीज को देखते ही PM Modi ने खरीद डाली। PM Vishwakarma