बाबरी विध्वंस केस: CBI कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में देंगे चुनौती, जिलानी बोले- आखिर किसने गिराई मस्जिद

अयोध्या विध्वंस केस में बुधवार को सीबीआई की विशेष अदालत में पेश हुए सभी आरोपित बरी हो गए। सीबीआई का फैसला आने के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सेक्रेटरी व वरिष्ठ अधिवक्ता ज़फरयाब जिलानी ने इस फैसले को गलत बताया है।

लखनऊ. अयोध्या विध्वंस केस में बुधवार को सीबीआई की विशेष अदालत में पेश हुए सभी आरोपित बरी हो गए। सीबीआई का फैसला आने के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सेक्रेटरी व वरिष्ठ अधिवक्ता ज़फरयाब जिलानी ने इस फैसले को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि सबूत और गवाह के रूप में वहां सरकारी अफसर मौजूद थे उसके बाद भी सबूतों की कमी कैसे हो सकती है? उन्होंने कहा कि हम सीबीआई के इस फैसले से खुश नहीं हैं। यह फैसला पूरी तरह सबूतों और कानून के खिलाफ है। 1994 से हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट सब कहते आ रहे हैं कि यह क्राइम हुआ है। इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी।

वहीं शिया धर्म गुरु मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि सीबीआई की विशेष अदालत के निर्णय को उच्च अदालत में चुनौती दी जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद फैसले में यह माना था कि मस्जिद को गिराना बड़ा जुर्म और कानून के खिलाफ था। तो फिर आज हमें बताया जाए कि बाबरी मस्जिद को गिराने वाले मुजरिम कौन हैं? मस्जिद गिराने का सारा खेल पुलिस के सामने हुआ फिर पुलिस ने उन मुजरिमों के खिलाफ अपनी रिपोर्ट सही तरह क्यों पेश नहीं की? इसमें पुलिस की भी भूमिका की भी जांच होनी चाहिए। साथ ही उस वक्त की सरकार ने क्यों मस्जिद गिराने वालों की कोर्ट में सही रिपोर्ट पेश नहीं की? अब जब बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सारे आरोपी बरी हो गए हैं तो हमें यह बताया जाए कि मस्जिद किसने गिराई थी? या फिर मस्जिद को किसी ने गिराया ही नहीं?

Latest Videos

CBI के फैसले के खिलाफ क्या करना है, बैठक के बाद होगा निर्णय 
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य व धर्म गुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि इस देश में मुस्लिमों ने हमेशा कोर्ट के फैसले का सम्मान किया है और करते रहेंगे। उन्होने कहा, 'फैसले पर कहने के लिए हमारे पास कुछ नहीं है। सबको पता है कि छह दिसंबर,1992 को सार्वजनिक तौर पर कैसे बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था और कैसे कानून की धज्जियां उड़ाई गईं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आखिरी फैसले में कहा था कि मुस्लिमों को गलत तरीके से एक मस्जिद से महरूम रखा गया है, जो 400 साल पहले बनी थीी। सुप्रीम कोर्ट ने इसे गैरकानूनी विध्वंस भी कहा था। इसका कोई मुजरिम है या नहीं, यह तो अदालतों को ही तय करना होता है। अब मुस्लिम संगठन मिल-बैठकर तय करेंगे कि आगे अपील करनी है या नहीं। अपील करने का कोई फायदा होगा भी या नहीं, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

Share this article
click me!

Latest Videos

CM योगी आदित्यनाथ ने गिना दिया बंटने से अब तक क्या-क्या हुआ नुकसान #Shorts
Maharashtra Election 2024: 'कटेंगे-बटेंगे' के खिलाफ बीजेपी में ही उठने लगे सवाल। Pankaja Munde
Dehradun Car Accident: 13 दिन ली गई कार बनी 6 दोस्तों के लिए 'काल', सामने आया सबसे बड़ा सवाल
'जब तक कलेक्टरनी की मेंहदी न उतार दूं...' नरेश मीणा का एक और वीडियो हुआ वायरल
अब नहीं चलेगा मनमाना बुलडोजर, SC के ये 9 रूल फॉलो करना जरूरी । Supreme Court on Bulldozer Justice