खुद को राम का वंशज बताने वाले सूर्यवंशी ठाकुरों का दावाः अंग्रेजों के समय में भी गिराई गई थी बाबरी

अयोध्या और आसपास इलाकों के सूर्यवंशी क्षत्रीय खुद को भगवान राम के वंश से जोड़ते हैं। इसी समाज के जानकार और बुजुर्ग द्वारकाधीश सिंह ने बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर हैरान करने वाली कहानी सुनाई। उनके मुताबिक अंग्रेजी शासनकाल में भी ढांचा एक बार गिरा दिया गया था। उस समय सूर्यवंशी क्षत्रीय घरानों के लोगों ने मस्जिद का एक गुंबद ध्वस्त कर दिया था।
 

अयोध्या: सैकड़ों साल से विवाद में पड़े राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन रामलला विराजमान की मानते हुए उनको दे दी है। 1992 में अयोध्या में कारसेवा के बाद बाबरी गिराने को लेकर पूरी दुनिया में हो हल्ला मचा था। ढांचे के एक गुंबद को अंग्रेजी शासन काल में भी ढहाया गया था। वैसे बाबरी के खिलाफ हिंदू समाज का संघर्ष अंग्रेजी शासन के दौरान और उससे काफी पहले से चला आ रहा था।

अयोध्या और आसपास इलाकों के सूर्यवंशी क्षत्रीय खुद को भगवान राम के वंश से जोड़ते हैं। इसी समाज के जानकार और बुजुर्ग द्वारकाधीश सिंह ने राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर हैरान करने वाली कहानी सुनाई। उनके मुताबिक अंग्रेजी शासनकाल में भी ढांचा एक बार गिरा था। उस समय सूर्यवंशी क्षत्रीय घरानों के लोगों ने ढांचे का एक गुंबद ध्वस्त कर दिया था।

अंग्रेजों ने चलाया था मुकदमा
द्वारकाधीश सिंह के मुताबिक ये घटना 18वीं शताब्दी के शुरुआत का है। हालांकि बाद में अंग्रेजों ने क्षत्रियों के खिलाफ मुकदमा चलाया और भारी जुर्माना भरने का आदेश दिया। जुर्माने के पैसे से ही ध्वस्त किए गए गुंबद का फिर से निर्माण करने का करने का आदेश दिया था।

जुर्माने की राशि को इलाके के करीब चालीस गांव के सूर्यवंशी क्षत्रियों से वसूला गया था। जिसके बाद अंग्रेजों ने गुंबद का निर्माण कराया था। उस समय इस मामले में कई लोगों को जेल भी जाना पड़ा था।

अपमान के बाद क्षत्रियों ने ली थी अनोखी शपथ

अंग्रेजों के समय में सूर्यवंशी क्षत्रीय घराने के जमीदार गज सिंह के नेतृत्व में बाबरी ढांचे का गुंबद गिराया गया था। हालांकि स्ट्रक्चर नहीं ढहा था। गज सिंह को जुर्माने और सजा से गुजरना पड़ा। तब उन्होंने शपथ ली थी कि जब तक राम मंदिर का निर्माण नहीं होता तब तक वह  न तो पगड़ी बांधेंगे और ना ही पैरों में चमड़े के जूते पहनेंगे। और तो और बारिश में भी छाता नहीं लगाने का प्रण लिया था। सूर्यवंशी घराने के बहुत से लोगों ने उस शपथ का निर्वहन किया।

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