बदायूं ट्रिपल मर्डर: पूर्व ब्लॉक प्रमुख, उनकी मां और पत्नी पर अंधाधुंध फायरिंग, भाई और पिता की भी हुई थी हत्या

यूपी के बदायूं में पूर्व ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत सदस्य राकेश गुप्ता, उनकी पत्नी शारदा और मां शांति देवी की गोली मार कर हत्या कर दी गई। हमलावरों ने घर में घुसकर वारदात को अंजाम दिया है। पुलिस को शक है कि इस हमले के पीछे किसी करीबी का हाथ है। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 1, 2022 4:11 AM IST

बदायूं: उत्तर प्रदेश के बदायूं में सोमवार शाम ट्रिपल मर्डर से हड़कंप मच गया। आरोपियों ने पूर्व ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत सदस्य राकेश गुप्ता, उनकी पत्नी शारदा और मां शांति देवी की गोली मारकर हत्या कर दी। बताया जा रहा है कि दो बाइक पर 4 हमलावर आए थे। पीछे के दरवाजे से आरोपी घर में घुसे और अंदर पहुंचते ही ताबड़तोड़ फायरिंग शुरूकर दी। इस महले में तीन लोगों की मौत हो गई। घटना को अंजाम देने के बाद आरोपी मौके से फरार हो गए। बता दें कि यह मामला उसहैत थाना क्षेत्र के सथरा गांव की है। जिस तरह से हमलावरों ने इस ट्रिपल मर्डर को अंजाम दिया उसे देखते हुए लग रहा था कि कातिलों के पास एक-एक चीज की जानकारी थी। 

पीछे के दरवाजे से घर में घुसे थे हमलावर
मामले की जानकारी पर मौके पर पहुंची पुलिस ने गांव के ही रवींद्र दीक्षित समेत उसके दो बेटों सार्थक और अर्चित के अलावा ड्राइवर विक्रम के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। जिला पंचायत सदस्य राकेश गुप्ता और रवींद्र दीक्षित के बीच करीब 30 सालों से राजनीतिक रंजिश चली आ रही है। इस कारण रवींद्र दीक्षित ने मौका पाते ही राकेश गुप्ता के पूरे परिवार को मार डाला। इस हमले के बाद से गांव में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है। घटना के दौरान राकेश एक कमरे में थे। जबकि उनकी पत्नी दूसरे कमरे में और मां शांति देवी किचन में खाना बना रही थीं। वहीं राकेश के भाई ब्लॉक प्रमुख राजेश गुप्ता अपने निजी गनर के साथ किसी काम से बाहर निकले थे। कातिलों को यह अंदेशा था कि घर के पीछे का दरवाजा खुला होगा। 

राजनीतिक रंजिश में दिया गया घटना को अंजाम
इस हत्याकांड के पीछे पुलिस को किसी करीबी का हाथ लग रहा है। पुलिस को शक है कि इतनी सुरक्षा के बीच भूल कैसे हो सकती है। वहीं इस घटना के पीछे राजनीतिक रंजिश को भी माना जा रहा है। बता दें कि करीब 30 साल पहले रवींद्र और राकेश के बीच दुश्मनी की शुरूआत हुई थी। इसके बाद रवींद्र के पिता रामदेव दीक्षित की हत्या का आरोप राकेश के पिता रामकृष्ण गुप्ता पर लगा था। जिसके बाद से ये रंजिश और भी गहरी होती चली गई। वर्ष 2008 में राकेश के भाई नरेश की भी हत्या हुई थी। जिसके बाद इस बार पूरे परिवार को खत्म करने की साजिश रची गई। पुलिस ने तीनों के शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से जानकारी हुई कि एक गोली राकेश गुप्ता के सिर में मारी गई थी। 

हत्यारों को थी सारी जानकारी
वहीं राकेश की मां के पेट में दो गोलियां लगी थीं और तीन गोलियां उनकी पत्नी को मारी गई थीं। पुलिस को आशंका है कि इस ट्रिपल मर्डर को अंजाम देने के लिए कई दिनों तक प्लानिंग की गई है। हमलावरों को ये पता था कि राकेश ने ऑपरेशन करवाया है। इसलिए वह घर में ही आराम कर रहे थे। हत्योरों को इस बात की जानकारी थी कि सुरक्षा व्यवस्था कैसी है। गार्ड कब हटते हैं और कब सुरक्षा ढीली होती है। इन सारी जानकारियों को मद्देनजर रखते हुए इस ट्रिपल मर्डर को अंजाम दिया गया है। राकेश गुप्ता का राजनीति से पुराना रिश्ता रहा है। वर्ष 2007 में वह बसपा शासनकाल में वह उसावां के ब्लाक प्रमुख थे और उनकी मां शांति देवी भी ग्राम प्रधान रह चुकी हैं। रंजिश के चलते ही राकेश और उनके छोटे भाई लाइसेंसी असलहा के अलावा अपना निजी गनर साथ रखते थे। 

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