एक साल बाद पर्यटकों के लिए खुली बहराइच की कतर्निया घाट सेंचुरी, जानें क्या है यहां की खासियत

यूपी के जिले बहराइच की कतर्निया घाट सेंचुरी एक साल बाद खुल गई है। यहां कई जंगली जानवरों के साथ खास इंतजाम किए गए है। ऑनलाइन बुकिंग के साथ-साथ रुकने के इंतजाम तो वहीं दूसरी ओर बंद जीप में पूरे जंगल की सैर कर सकते हैं।  

बहराइच: उत्तर प्रदेश के जिले बहराइच में स्थिति कतर्नियाघाट वाइल्ड लाइफ सेंचुरी को एक साल के बाद आज से फिर पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। अब यह 15 जून तक खुला रहेगा और पर्यटक आकर यहां का आनंद ले सकते है। 551 वर्ग किलोमीटर में फैले इस कतर्नियाघाट में कदम-कदम पर जानवरों की टोलियां दिख जाती हैं। गाड़ी की आवाज सुनकर भागता हिरणों का झुंड, दूर पर बाघ की गुर्राहट, पानी से मुंह ऊपर निकाले मगरमच्छ जैसे कई जानवर हो जो अपनी पहचान के लिए जाने जाते है। इस सेंचुरी के अंदर 8 हजार चीतल, 89 तेंदुए, 55 सांभर, 2800 नीलगाय, 30 बाघ,  9 हजार लंगूर, 110 डाल्फिन, 600 घड़ियाल, 300 काकड़, 12 गैंडे, 85 बारहसिंहा, 80 जंगली हाथी, 2 पालतू हाथी, 80 घड़ियाल, मगरमच्छ, मोर, बंदर और 6 हजार जंगली सुअर हैं।

ऑनलाइन बुकिंग करने के साथ जंगल में है रुकने के इंतजाम
कतर्नियाघाट सेंचुरी पर गेरुआ नदी में उछाल मारने वाली गैंजाइटिक डाल्फिन, मगरमच्छों और घड़ियालों के परिवार जाड़े में गेरुआ नदी के रेतीले टीलों पर धूप सेंकते नजर आएंगे। दूसरी ओर सांभर, पाढ़ा, बारहसिंहा, नीलगाय, हिरन, कांकड़ और लंगूरी बंदरों के झुंड खेलता नजर आएगा। इसके अलावा यहां पर सैर करने के लिए ऑनलाइन बुकिंग भी कर सकते हैं। ककरहा के बने थारू हट और मोतीपुर में पर्यटकों के रुकने का इंतजाम भी है। इसके लिए सिर्फ ऑनलाइन बुकिंग करानी पड़ेगी। एक व्यक्ति के लिए यहां पर 24 घंटे का किराया 700 रुपए है। ऑनलाइन बुकिंग कराने के लिए वेबसाइट www.upecotourism.in पर भी जा सकते हैं। बुकिंग के अलावा अतिथि गृहों में आरक्षण के लिए बहराइच स्थित वन विभाग के डिवीजन कार्यालय पर एप्लीकेशन देनी होती है।

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जीप में सैर करने के साथ पर्यटक कर सकते हैं खरीददारी
जंगल में रुकने के साथ-साथ पर्यटकों को बंद जीप में पूरे जंगल की सैर कराई जाती है। एक व्यक्ति का किराया 200 से 300 रुपए तक लगता है। फिर तीन से चार घंटे की सैर के बाद उन्हें वापस मुख्य द्वार पर छोड़ दिया जाता है। जो पर्यटक यहां रुकने के लिए आते हैं, उनको जंगल की सैर के बाद बुकिंग हाउस में छोड़ दिया जाता है। जंगल के बीच बने मकानों में अंधेरा होते ही बोन फायर और लाइट म्यूजिक का इंतजाम होता है। लोगों की सुरक्षा के लिए गार्ड भी तैनात रहते हैं। इसके अलावा ऑर्डर पर स्पेशल फूड भी सर्व किया जाता है। यहां पर बच्चों के मनोरंजन के लिए पालतू हाथी भी यहां पर है। सुबह-शाम बोटिंग के लिए मोटरबोट सर्विस भी है। यहां की खास बात यह है कि यहां घूमने आए पर्यटक खरीददारी भी कर सकते हैं। कतर्नियाघाट की सीमा से लगे गांवों में 40-45 परिवार रहते हैं। जिसमें से पुरुष खेती करते है या फिर मजदूरी करते हैं। वहीं महिलाएं हाथ से सामान बनाकर यहां बेचती हैं जैसे-शेर, मोर, हाथी, बंदर इत्यादि। इसका मुख्य कारण सिर्फ यहीं है कि गांव के लोगों को रोजगार से जोड़ा जा सके। यहां पर सुबह-शाम बोटिंग की भी व्यवस्था है। 

थारू व्यंजन से लेकर हर तरह का मिल जाएगा फूड
सेंचुरी के अंदर इतनी व्यवस्थाओं के बीच कैंटीन भी है। जहां साउथ इंडियन, चाइनीज से लेकर नार्थ इंडियन फूड मिलेगा। पर्यटकों के लिए बहुत सारे खास इंतजाम किए गए हैं। उनमें से एक थारू व्यंजन भी शामिल है। इसका नाम इसलिए थारू पड़ा क्योंकि यहां की जनजाति प्रजाति का नाम यहीं है। इसी प्रजाति की महिलाएं ऑर्डर देने पर खाना लेकर आती हैं और फिर थाल में परोसती हैं। इसमें दाल, चावल, सूखी सब्जी, तीन तरह के चावल, गेंहू, चावल और बेसन की रोटी के साथ ही मेवा मिश्रित दूध भी दिया जाता है। इस स्पेशल थाली की कीमत करीब 200 से 250 रुपए होती है जबकि कैंटीन में सामान्य खाना 350 रुपए तक का है। आपको बता दें कि कतर्निया घाट कभी रेलवे स्टेशन था। शहर के पास बसे गोंडा की ओर से छोटी लाइन की गाड़ी का आखिरी स्टेशन था। यह पूरा नक्शा तब बदला जब गिरिजापुरी के पास नदी पर सड़क और रेलपुल बन गया। \

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