बांदा: नाव हादसे के शिकार पीड़ितों ने बताया दर्द, देवर के सामने गई भाभी और भतीजे की जान

बांदा में नाव पलटने से न जाने कितने परिवारों ने अपनों को खो दिया। इस हादसे में दिनेश निषाद ने अपनी पत्नी और 9 माह के बेटे को खो दिया। वहीं परिजनों ने प्रशासन पर सही से खोज न करने के आरोप लगाए हैं।

Asianet News Hindi | Published : Aug 14, 2022 9:32 AM IST

बांदा: उत्तर प्रदेश के बांदा जनपद में यमुना नदी में नाव पलटने से बड़ा हादसा हो गया था। हादसे के वक्त नाव में करीब 35 लोग सवार थे। बताया जा रहा था कि यह लोग नदी पार कर के फतेहपुर जा रहे थे। इस घटना के बाद कई लोगों के डूबने की खबर सामने आई थी। कई लोग तैरकर नदी से बाहर आ गए थे और कुछ लोग लापता हो गए थे। दादसे की जानकारी मिलते ही लापता लोगों को रेसक्यू करने के लिए सर्च ऑपरेशन भी चलाया गया था। इस हादसे का शिकार हुए कई परिवारों में अपनों के खोने का दुख है।

11 अगस्त को हुआ था हादसा
बांदा के मरका घाट से करीब 2 किलोमीटर दूर ऐसे ही एक परिवार ने अपने घर के दो सदस्यों को इस हादसे में खो दिया। मरका गांव के निवासी दिनेश निषाद ने 11 अगस्त को हुए इस हादसे में अपनी पत्नी माया और 9 माह के बेटे को खो दिया। दिनेश की पत्नी माया अपने 9 महीने के बेटे को लेकर रक्षाबंधन में अपने मायके जा रही थी। इस दौरान माया का देवर पिंटू भी उसके साथ था। पिंटू ने बताया कि मरका घाट से दिन में लगभग तीन बजे 35 लोगों से भरी नाव जरौली घाट की तरफ बढ़ी। माया का भाई नदी के दूसरी ओर खड़ा अपनी बहन की राह देख रहा था।

देवर नहीं बचा सका भाभी व भतीजे की जान
पिंटू के अनुसार, करीब 300 मीटर आगे जाने के बाद नाव तेज हवा के कारण हिचकोले खाने लगी और नाव में पानी भरने लगा। जिसके बाद नाव डूबने लगी। घटना के वक्त पिंटू भाभी और भतीजे के बगल में ही बैठा था। पिंटू ने कहा कि जिस वक्त नाव डूबी तो उसने भाभी और भतीजे को पकड़ लिया। करीब 50 फुट तक दोनों को लाने के बाद उनका हाथ छूट गया। दोनों का न बचा पाने की दर्द उसके चेहरे पर साफ देखा जा सकता है। बता दें कि दिनेश और माया के तीन बच्चे थे जिनमें से बड़े लड़का महेश 8 साल का है और छोटी बहन संगीता 5 साल की है। छोटे बेटे के सात वह अपने मायके भाई को राखी बांधने जा रही थी।

बच्चों के सिर से उठा मां का साया
अपनी मां और मासूम भाई को खो चुके महेश और संगीता को इस बात की समझ भी नहीं कि उनकी मां नहीं रही। बच्चों ने बताया कि नानी के घर जाने से पहले मां ने दोनों से कहा था कि आराम से रहना और झगड़ा मत करना। जब माया के बेटे से पूछा गया कि उसकी मां कहां है तो उसने केवल एक लाइन में जवाब दिया कि, मां मर गई। उन बच्चों को मां के मरने का मतलब ही नहीं पता है। माया कि ननद बुधिया ने बताया कि भाभी के घर जाते वक्त मैं भी आ चुकी थी। माया ने अपनी ननद से कहा था कि दीदी तुम आज मत जाना कल जब हम वापस आएंगे तो आपको और बच्चों को राखी बांधेंगे। जिसके बाद वह कभी वापस ही नहीं आ पाई।

खाता गलत होने पर नहीं मिल सकी आर्थिक मदद
परिवार ने प्रशासन पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जब हम अपने सदस्यों को वहां खोजने गए तो उन्होंने हमें वहां से भगा दिया। किसी ने भी लापता लोगों को सही से नहीं ढूंढा और जब लाश उतराकर ऊपर आ गई तो ढूंढने का श्रेय खुद ले लिया। बता दें कि हादसे के बाद सरकार ने मृतकों के परिवार को 4-4 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की थी। माया के 8 महीने के बच्चे का शव 11 अगस्त को ही मिल गया था। इसलिए उसे अगले ही दिन सहायता राशि मिल गई थी। लेकिन अकाउंट नंबर गलत होने की वजह से पैसा परिवार को नहीं मिल सका। परिवार ने बताया कि माया के नाम से मिली मदद 2 से 3 दिन में जारी हो सकती है।

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