सहारनपुर को सुरक्षित ठिकाना समझते हैं बांग्लादेशी, स्थानीय पुलिस से लेकर खुफिया विभाग तक को नहीं लगती है भनक

Published : Apr 30, 2022, 01:01 PM IST
सहारनपुर को सुरक्षित ठिकाना समझते हैं बांग्लादेशी, स्थानीय पुलिस से लेकर खुफिया विभाग तक को नहीं लगती है भनक

सार

सहारनपुर हमेशा से ही बांग्लादेशियों के लिए सुरक्षित जगह रही है। पूर्व में पकड़े गए कई आतंकियों औऱ बांग्लादेशियों ने पूछताछ में कई बार खुद भी इसका जिक्र किया है। यहां बांग्लादेशी नागरिकों के रहने की जानकारी खुफिया विभाग तक को नहीं हो पाती। 

गौरव शुक्ला

सहारनपुर: बांग्लादेशी नागरिकों के लिए सहारनपुर हमेशा ही सुरक्षित ठिकाना रहा है। कई आतंकियों की गिरफ्तारी भी यहां से हो चुकी है। इस बात की गवाही अलग-अलग जगहों से पकड़े गए आतंकी या फिर सुरक्षा एजेंसियों की ओर से की गई कार्रवाई पर नजर डालने के बाद खुद-ब-खुद हो जाती है। यह जगह इनके रहने के लिए इतनी ज्यादा मुफीद होती है कि कई बार इसके बारे में खुफिया विभाग और स्थानीय पुलिस तक को जानकारी नहीं लग पाती है। पुरानी घटनाओं का जिक्र किया जाए तो फरवरी 2021 में भी एटीएस ने लखनऊ से बांग्लादेशी पिता-पुत्र को गिरफ्तार किया था। यह दोनों ही 1994 से सहारनपुर में रह रहे थे। इन्होंने वहीं से भारत का आधार, पैन कार्ड आदि डॉक्यूमेंट बनवाया था।

आठवीं से यहीं रहकर पढ़ाई कर रहा था आरोपी
एसटीएफ ने एक बार फिर से देवबंद के दारुल उलूम में रह रहे संदिग्धों को दबोच लिया है। एटीएस की गिरफ्त में आया तलहा बांग्लादेश का निवासी बताया जा रहा है। वह देवबंद में रहकर दारुल उलूम के मदरसे में आठवीं से ही पढ़ रहा है। उसका यहां तक का सफर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ही तय हुआ है। गिरफ्तारी के बाद दारुल उलूम प्रबंधन संस्था कार्रवाई से तक इंकार कर रही है। दारुल उलूम के कार्यवाहक मोहतमिम मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी का कहना है कि किसी भी तरह की कोई गिरफ्तारी संस्था की ओर से नहीं की गई है। हालांकि तलहा की गिरफ्तारी को लेकर एटीएस की ओर से जो प्रेस नोट जारी हुआ है उसमें इस बात का भी जिक्र है कि गिरफ्तारी कहां से हुई। तलहा के पास से भारत में ही बना आधार कार्ड, पैन कार्ड भी बरामद हुआ है। इस बीच तलाशी में उसका बांग्लादेशी पासपोर्ट भी मिला है जिसके बाद ही उसने स्वीकारा की वह चटगांव से आया है। 

पश्चिम बंगाल के बाद सहारनपुर को बनाया ठिकाना
एटीएस ने फरवरी 2021 में भी नदीम कॉलोनी से बांग्लादेशी तनवीर और उसके पिता उमर मोहम्मद को गिरफ्तार किया था। पूछताछ में दोनों के द्वारा बताया गया कि वह बांग्लादेश के रहने वाले है, सहारनपुर से पहले वह पश्चिम बंगाल में रह रहे थे। जब वहां की पुलिस ने जेल भेज दिया तो वह जमानत के बाद सहारनपुर में आकर रहने लगे। उन्होंने खुद कबूला था कि उन्हें सहारनपुर सुरक्षित लगा औऱ इसी वजह से वह यहां आकर रहने लगे। 

सहारनपुर में पहले भी हो चुकी है गिरफ्तारी 
- थाना कुतुबशेर की एकता कालोनी में रहने वाले बांग्लादेशी पिता-पुत्र को फरवरी 2021 में एटीएस ने दबोचा। वह 20 सालों से यहां रह रहे थे। 
- एटीएस ने लश्कर-ए-तैयबा के संदिग्ध आतंकी इनामुल हक को गिरफ्तार किया। वह गिरिडीह जिले के गांवा प्रखंड के पटना का रहने वाला है। 
- दो वर्ष पूर्व जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शाहनवाज तेली निवासी कुलगाम और आकिब अहमद मलिक निवासी पुलवामा की गिरफ्तारी देवबंद से हुई। 
- दो संदिग्ध इकबाल और फारुख को एटीएस ने नवंबर 2020 में गिरफ्तार किया जो फर्जी कागजात के सहारे रह रहे थे। 
- 2019 में देबवंद से ही 5 बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया गया। 
-  अयोध्या में हुए बम विस्फोट में तीतरो निवासी डॉ इरफान को यहीं से पकड़ा गया था। 
- 2001 में मुफ्ती इसरार को गिरफ्तार किया गया था। 
- किफायत उल्लाह उर्फ जाफर अहमद उर्फ अताउर्रहमान उर्फ अल उल्लाह जो कि मोहल्ला कस्साबान सरसावा का निवासी था बाद में जम्मू-कश्मीर जाकर आतंकी बना। 

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