शिक्षक ने नौकरी का झांसा देकर चेले से ठगे लाखों रुपए, युवक को विश्वास दिलाने के लिए बताई थी झूठी कहानी

यूपी के जिले बाराबंकी में एक शिक्षक ने अपने पढ़ाए छात्र को नौकरी लगवाने के नाम पर लाखों रुपए ठगे। शिक्षक ने अपने साथी के साथ मिलकर एफसीआई में सुपरवाइजर की नौकरी दिलाने का वादा अपने ही चेले से किया था। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 8, 2022 1:25 PM IST

बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के जिले बाराबंकी में एक टीचर ने अपने पढ़ाए छात्र को नौकरी लगवाने के नाम पर लाखों रुपए ठग लिए। शिक्षक ने अपने साथी के साथ मिलकर एफसीआई में सुपरवाइजर की नौकरी दिलाने का वादा किया। इस काम के लिए उन्होंने साढ़े तीन लाख रुपए लेकर फर्जी नियुक्ति पत्र भी दे दिया। उसके बाद युवक ने नियुक्ति पत्र पर बने क्यूआर कोड को स्कैन किया तो वह नहीं खुला, तो युवक को अपने साथ हुए धोखाधड़ी के बारे में पता चला। टीचर और उसके साथी जब बाकी के बचे रुपए लेने के लिए पहुंचे तो युवक ने पुलिस को बुलाकर आरोपियों को पकड़ा दिया। 

विश्वास दिलाने के लिए बनाई झूठी कहानी
जानकारी के अनुसार यह मामला शहर के देवा थाना क्षेत्र के नरैनी गांव का है। यहां के रहने वाले भानु प्रताप सिंह बाइक रिपेयरिंग की दुकान में काम करते हैं। भानु का आरोप है कि उन्हें कक्षा आठ तक पढ़ाने वाले वासखंड मजरे कासिमगंज के उदयभान वर्मा ने एफसीआइ में सुपरवाइजर की नौकरी दिलाने की बात कही। इसी के नाम पर उन्होंने कानपुर के कोयलानगर निवासी आलोक श्रीवास्तव से ले जाकर मिलवाया। इसको लेकर टीचर ने 12 लाख रुपए लगने की बात कही थे। बेरोजगार भानू को विश्वास दिलाने के लिए शिक्षक उदयभान ने बताया कि उसने अपनी पत्नी और साले की नौकरी रेलवे में लगवाई है। 

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नियुक्ति के बाद बाकी पेमेंट की हुई थी बात
पीड़ित भानु का कहना है कि शिक्षक उदयभान ने उसे कानपुर ले गया और वहां उसने अपने दोस्त आलोक श्रीवास्तव से मुलाकात करवाई। उसने आगे बताया कि शिक्षक और उसके दोस्त ने नगद और आरटीजीएस के जरिए करीब तीन लाख 55 हजार रुपए लिए। उसके बाद बाकी का पेमेंट नियुक्ति पत्र मिलने के बाद देने को तय हुआ था। फिर टीचर ने पैसे लेने के दो दिन बाद नियुक्ति पत्र देने को कहा और तभी पांच लाख रुपए तैयार रखने की भी बात कही। तीन-चार दिन बाद भानु को कॉल करके आलोक ने बताया कि नियुक्ति पत्र आ गया है।

दोबारा स्कैन नहीं होने पर शक यकीन में बदला
आलोक की कॉल के बाद भानु ने नियुक्त पत्र पर ही क्यूआर कोड छपा था, जो स्कैन नहीं हो पा रहा था। इसी वजह से भानु को शक हुआ और इसकी पूरी जानकारी पुलिस को दी। दूसरी ओर भानु ने आलोक को फोन कर बताया कि क्यूआर कोड स्कैन नहीं हो पा रहा है, तो आलोक ने कहा कि हार्ड कॉपी से स्कैन होगा। उसके बाद गुरुजी ने नियुक्ति पत्र का हार्ड कॉपी भी भेजी लेकिन फिर दोबारा स्कैन नहीं हुआ तो शक यकीन में बदल गया। भानु ने टीचर को कॉल कर रुपए लेने के लिए बुलाया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

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