कोरोना से जंग तेज, अब 40 भाषाओं में लीजिए कोविड 19 की जानकारी

लखनऊ यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर कविता रस्तोगी ने अपने एनजीओ सोसाइटी फॉर एंडेन्जर्ड एंड लैसर नोन लैंग्वेजेज की टीम के साथ इस काम में लगी हैं। टीम ने भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा दिए गए कोरोना वायरस से बचने के उपाय व अन्य सूचना को उत्तरी और उत्तर पूर्वी भारत की 40 क्षेत्रीय और लुप्तप्राय भाषाओं में अनुवादित किया है। 

Ankur Shukla | Published : Apr 13, 2020 9:42 AM IST

लखनऊ ( Uttar Pradesh)। कोरोना के खिलाफ जंग और तेज हो गई है। लोग पूरी तरह से जागरूक हो गए हैं। शहर से लेकर गांव तक लोग संक्रमण से खुद को बचाने के लिए इंतजाम कर रहे हैं। वहीं, सरकार भी सलाह दे रही है कि अभी तक कोरोना वायरस के संक्रमण को खत्म करने का कोई इलाज नहीं है। वहीं, सरकार ने एडवाइजरी भी जारी कर चुकी है। एडवाइजरी के पालन के लिए जरुरी है इसे समझना। हालांकि लखनऊ यूनिवर्सिटी के भाषा विज्ञान की प्रोफेसर डॉ. कविता रस्तोगी ने इस एडवाइजरी को 40 भाषाओं में अनुवाद कराने का अनूठा काम किया है,जिसकी मदद से लोग आसानी से समझ सके और कोरोना के संक्रमण से दूर रह सके। 

क्षेत्रीय और लुप्तप्राय भाषाओं में कराया ट्रांसलेट
प्रोफेसर कविता रस्तोगी ने बताया कि क्षेत्रीय और लुप्तप्राय भाषा बोलने वाले समुदाय के लोगों को कोविड-19 के विषय में उन्हीं की भाषा में सूचना पहुंचाना अति आवश्यक है, क्योंकि यह समस्या बहुत ही ज्यादा गंभीर है। 

इन्फॉर्मेशन ही है कोरोना के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार
लखनऊ यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर कविता रस्तोगी ने अपने एनजीओ सोसाइटी फॉर एंडेन्जर्ड एंड लैसर नोन लैंग्वेजेज की टीम के साथ इस काम में लगी हैं। टीम ने भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा दिए गए कोरोना वायरस से बचने के उपाय व अन्य सूचना को उत्तरी और उत्तर पूर्वी भारत की 40 क्षेत्रीय और लुप्तप्राय भाषाओं में अनुवादित किया है। वो कहती हैं कोरोना के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार इन्फॉर्मेशन ही है। 

इन भाषाओं में दे रहे कोरोना की जानकारी
उत्तर प्रदेश में बोली जाने वाली भोजपुरी, अवधी, थारु। उत्तराखंड में बोली जाने वाली कुमाउनी, बंगाणी, बांवरी, ब्यांस, रवालटी, पर्वतीया, तोल्छा, गढ़वाली, जौनसारी, जाड़, दारमा। छत्तीसगढ़ में बोली जाने वाली कुरुख, हल्बी, सरगुजिया, लरिया, मानक छत्तीसगढ़ी। असम में बोली जाने वाली पाइवे, कारबी, दिमासा, स्यालहेटी, मिसिंग, मैवेई, बोडो, रुआंग्लट, लियांगमई, ज़ेमे। मेघालय में बोली जाने वाली खासी समेत अन्य भाषाओं में अनुवादित किया है।

वीडियो से बता रहीं कैसे बनाए घर पर मास्क
प्रोफेसर कविता रस्तोगी ने सिर्फ इस जानकारी का ही अनुवाद नहीं कराया है, बल्कि मास्क बनाने की विधि के वीडियो भी इसी तरह अलग अलग भाषाओं में तैयार कराई हैं। फिलहाल प्रो. कविता इस जानकारी और वीडियो को और भी कई भाषाओं में तैयार करने में लगी हैं। ये सारी जानकारी और मेटेरियल सोशल मीडिया और वोलेंटिएर्स के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। 

टीम में ये भी हैं शामिल
प्रो. कविता रस्तोगी की टीम में तेजपुर यूनिवर्सिटी की डॉ. बिपाशा, मोनालीलॉन्गमलाई, रायपुर यूनिवर्सिटी की डॉ. आरती पाठक, उत्तराखंड से डॉ. महावीर, सुरेन्द्र समेत कई अन्य लोग जुड़े हैं।

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