इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- 'बच्चे के DNA के लिए नहीं कर सकते रेप पीड़िता को मजबूर'

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अहम फैसला लेते हुए कहा कि  रेप के बाद जन्मे बच्चे के पिता का पता लगाने के लिए डीएनए टेस्ट का अधिकार पीड़िता के पास होगा। कोई भी उसे मजबूर नहीं कर सकता। साथ ही हाई कोर्ट ने पॉस्को कोर्ट का वो आदेश भी अमान्य कर दिया जिसमें नाबालिग आरोपी की याचिका पर बच्ची का डीएनए टेस्ट कराने को कहा गया था।

Asianet News Hindi | Published : Dec 10, 2021 9:58 AM IST / Updated: Dec 10 2021, 03:31 PM IST

लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) की लखनऊ पीठ (Lucknow Bench) ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि  पिता का पता लगाने के लिए बलात्कार (Rape) पीड़िता को अपने बच्चे का डीएनए टेस्ट कराने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही पीठ ने पॉस्को कोर्ट (POCSO Court) के उस आदेश को भी खारिज कर दिया, जिसमें दुष्कर्म मामले के नाबालिग आरोपी की याचिका पर बच्ची का डीएनए टेस्ट कराने का निर्देश दिया गया था। साथ ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पूर्व विधायक की जमानत याचिका खारिज की

जस्टिस संगीता चंद्रा ने सुनाया फैसला
जस्टिस संगीता चंद्रा (Sangeeta Chandra)की एकल पीठ ने पीड़िता की मां की पुनर्विचार याचिका को स्वीकार करते हुए यह फैसला सुनाया। अपने आदेश में जस्टिस चंद्रा ने कहा कि यह स्पष्ट है कि पॉक्सो जज ने अपनी शक्ति को गलत तरीके से निर्देशित किया। कोर्ट ने कहा कि सवाल यह नहीं था कि आरोपी पीड़िता के बच्चे का पिता है या नहीं, बल्कि पॉक्सो कोर्ट को यह तय करना था कि अभियुक्त ने पीड़िता से रेप किया है या नहीं।

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क्या है पूरा मामला
पीड़िता की मां ने 17 दिसंबर 2017 को सुल्तानपुर के कोतवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि उसकी नाबालिग बेटी के साथ दुष्कर्म किया गया है। जिसमें जांच के बाद, पुलिस ने एक नाबालिग आरोपी के खिलाफ बलात्कार के आरोप में चार्जशिट दाखिल की थी। इस मामले में कुछ अन्य आरोपियों पर भी आईपीसी और पॉस्को एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। आपको बता दें सुनवाई के दौरान नाबालिग आरोपी ने बलात्कार पीड़िता के बच्चे के डीएनए (DNA) टेस्ट की मांग करते हुए जेजेबी में आवेदन दिया था। लेकिन जेजेबी ने 25 मार्च 2021 को यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि याचिका केवल बचाव स्तर पर ही उठाई जा सकती है। जिसके बाद नाबालिग आरोपी ने पॉक्सो कोर्ट के समक्ष एक अपील दायर की, जिसके आधार पर कोर्ट ने बच्चे के डीएनए टेस्ट का निर्देश दिया। इस आदेश के खिलाफ पीड़िता की मां ने पुनर्विचार याचिका दायर करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
 

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