कानपुर हिंसा: जेल से बाहर आते ही दूसरी साजिश में शामिल हो गए पीएफआई सदस्य, लापरवाह बना रहा खुफिया विभाग

कानपुर हिंसा के बाद खुफिया विभाग और एलआईयू की बड़ी लापरवाही सामने आई है। मामले में तीन लोगों की गिरफ्तारी के बाद इस लापरवाही का खुलासा हो गया है। 

Gaurav Shukla | Published : Jun 9, 2022 9:07 AM IST

कानपुर: जनपद में बीते दिनों हुई हिंसा के बाद खुफिया और एलआईयू की नाकामी जमकर उजागर हो रही है। मामले में पीएफआई के तीन और सदस्यों की गिरफ्तारी ने सभी को अचंभित कर दिया है। यह वही पीएफआई सदस्य हैं जो सवा दो साल पहले सीएए हिंसा में जेल भेजे गए थे। हैरान करने वाली बात यह है कि यह सदस्य जेल से छूटने के बाद दोबारा से बवाल और हिंसा की साजिश में शामिल हो गए। लेकिन इनको लेकर कोई भी भनक खुफिया विभाग या फिर एलआईयू को नहीं लगी। जबकि इन लोगों के बाहर निकलने के बाद उनकी गंभीर निगरानी की जानी चाहिए थी। इस तीनों की गिरफ्तारी के बाद खुफिया विभाग सवालों के घेरे में है।

तीन सदस्यों को गिरफ्तार कर भेजा गया जेल 
आपको बता दें कि बवाल की साजिश में पुलिस ने पीएफआई के तीन सदस्य मोहम्मद उमर, मोहम्मद नसीम और सैफुल्ला को गिरफ्तार करके जेल भेजा है। चौंकाने वाला मामला यह है कि यह तीनों दिसंबर 2019 में हुई हिंसा के दौरान भी जेल भेजे गए थे। पुलिस की ओर से दावा किया जा रहा है कि बवाल में मुख्य साजिशकर्ता हयात जफर हाशमी लगातार इनके संपर्क में थी। उसी कड़ी के चलते पुलिस भी इन तक पहुंच सकी। यह सभी बाजार बंदी की साजिश में शामिल थे। 

सामने आई खुफिया औऱ एलआईयू की ढिलाई 
पुलिस ने व्हाट्सऐफ चैट और मोबाइल नंबर की सीडीआर के जरिए इन सभी का खुलासा किया है। जिसके बाद मामले में सवाल खड़ा हो रहा है कि जब यह आरोपी जेल से छूटकर आए तो खुफिया या फिर एलआईयू ने इनकी निगरानी क्यों नहीं की। हालांकि मामले को लेकर कमिश्रर विजय सिंह मीना का कहना है कि इस मामले की जांच जारी है कि खुफिया विभाग को बवाल की साजिश की जानकारी क्यों नहीं थी। इसकी जांच लगातार जारी है। माना जा रहा है कि कई अहम बिंदुओं पर जांच के बाद मामले में और भी खुलासे हो सकते हैं। 

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