Inside Story: बिकरू में जमकर चली साइकिल, कभी 'विकास की कोठी' में लगे झंडे को देखकर पड़ते थे वोट

Published : Mar 16, 2022, 05:45 PM ISTUpdated : Mar 16, 2022, 05:47 PM IST
Inside Story: बिकरू में जमकर चली साइकिल, कभी 'विकास की कोठी' में लगे झंडे को देखकर पड़ते थे वोट

सार

कानपुर का बिकरू गांव विधानसभा चुनावों में भी सुर्खियों में छाया रहा। विकास दुबे एनकांउटर ने यूपी का सियासी गणित बिगाड़ने का काम किया था। बिकरू कांड के बाद विपक्ष ने माहौल बनाया था कि यूपी का ब्राह्मण प्रदेश सरकार से नाराज है। लेकिन बिकरू का चुनावी आकड़े कुछ और ही कह रहे हैं। बिकरू गांव में जमकर साइकिल चली। 

सुमित शर्मा
कानपुर:
उत्तर प्रदेश के जिले कानपुर का बिकरू गांव विधानसभा चुनावों में भी सुर्खियों में छाया रहा। विकास दुबे एनकांउटर ने यूपी का सियासी गणित बिगाड़ने का काम किया था। बिकरू कांड के बाद विपक्ष ने माहौल बनाया था कि यूपी का ब्राह्मण प्रदेश सरकार से नाराज है। लेकिन बिकरू का चुनावी आकड़े कुछ और ही कह रहे हैं। बिकरू गांव में जमकर साइकिल चली। पिछले दो दशक से विकास की कोठी पर लगे झंडे को देखकर ग्रामीण वोट करते थे। लेकिन विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद गांव की तस्वीर बदल गई है। ग्रामीण अपने पसंद के प्रत्याशी को वोट कर रहे हैं। गांव वासियों की इस स्वतंत्रता को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिकरू में लोकतंत्र का भी उदय हो गया।

कुख्यात अपराधी विकास दुबे का बिकरू गांव बिल्हौर विधानसभा क्षेत्र में आता है। विकास दुबे का एनकांउटर होने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे थे। पंचायत चुनावों में भी बिकरू वासियों का जोश देखने को मिला था। विधानसभा चुनाव में भी मतदान केंद्रों पर लंबी-लंबी कतारे देखने को मिली थीं। ग्रामीणों का वोटिंग के दिन जोश देखने लायक था। वहीं बिकरू गांव की प्रधान मधु देवी ने भी ग्रामीणों को वोट करने के लिए जागरूक किया था।

बिकरू में दौड़ी साइकिल
विधानसभा चुनाव 2022 में बिकरू गांव पर सभी की नजर थी। बिकरू गांव में मतदान के लिए तीन बूथ बनाए गए थे। बिकरू गांव की ईवीएम पर नजर डाली जाए तो, ग्रामीणों का रूझान एसपी की तरफ सबसे ज्यादा था। लेकिन एसपी और बीजेपी के बीच ज्यादा अंतराल नहीं था। बिकरू गांव के तीनों बूथों पर एसपी की रचना सिंह को 819 वोट मिले थे। वहीं बीजेपी के राहुल बच्चा सोनकर को 605 वोट मिले थे। जातीय आधार पर मुस्लिम, यादव, ओबीसी वोटरों की संख्या अधिक होने की वजह से एसपी का वोट प्रतिशत ज्यादा माना जा रहा है।

विकास की कोठी पर लगे झंडे को देखकर करते थे वोट
दुर्दांत अपराधी विकास दुबे ने बीते 2 जुलाई 2020 की रात अपने गुर्गों के साथ मिलकर आठ पुलिस कर्मियों की बेरहमी से हत्या कर दी थी। इसके जवाब में यूपी एसटीएफ ने विकास दुबे समेत 6 बदमाशों को मार गिराया था। इसके साथ ही बिकरू हत्याकांड से जुड़े 36 बदमाशों को जेल भेजा जा चुका है। लोकसभा, विधानसभा या फिर पंचायत चुनाव हो, विकास दुबे की मर्जी के खिलाफ ग्रामीण कहीं और वोट नहीं कर सकते थे। विकास दुबे का दबदबा था, विकास अपनी कोठी पर जिस भी पार्टी का झंडा लगा देता था। कोठी पर लगे झंडे को देखकर बिकरू और उसके आसपास के ग्रामीण उसी पार्टी को वोट करते थे।

25 वर्षों तक रहा विकास का राज
हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे का जैसे-जैसे कद बढ़ता गया। उसकी जड़े मजबूत होती चली गई। विकास जिसको चाहता था, उसको ग्राम प्रधान बनाता था। 1995 में विकास दुबे पहली बार ग्राम प्रधान चुना गया था। चुनाव जीतने के बाद लोकतंत्र की चाभी उसके हाथ लग गई। सन् 2000 में अनुसूचितजाति की सीट होने पर विकास ने गांव की गायत्री देवी को प्रत्याशी बनाया था। गायत्री देवी चुनाव जीत कर प्रधान बन गई। 2005 में जनरल सीट होने पर विकास के छोटे भाई दीपक की पत्नी अंजली को निर्विरोध प्रधान चुना गया। सन् 2010 में बैकवर्ड सीट होने पर विकास ने रजनीश कुशवाहा को मैदान में उतारा था। रजनीश कुशवाहा ग्राम प्रधान चुना गया। 2015 में अंजली दुबे दोबारा निर्विरोध ग्राम प्रधान चुनी गई थी। प्रधान कोई भी बने लेकिन उसकी चाभी विकास के हाथों में रहती थी।  

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