Special Story: पश्चिमी यूपी में भाजपा फिर चल रही पुराना जिताऊ दांव, इन समूहों पर है खास नजर

Published : Jan 24, 2022, 11:07 AM IST
Special Story: पश्चिमी यूपी में भाजपा फिर चल रही पुराना जिताऊ दांव, इन समूहों पर है खास नजर

सार

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा ने अपना पुराना जिताऊ दांव एक बार फिर से चल दिया है। इसके तहत अल्पसंख्यकों के समानांतर बहुसंख्यक वोटों का ध्रुवीकरण और छोटे जाति समूहों को साधने की कोशिश की जा रही है। 

लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा अपने पुराने दांव के जरिए ही फिर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जीत का सिलसिला जारी रखना चाहती है। भाजपा ने अल्पसंख्यकों के समानांतर बहुसंख्यक वोटों का ध्रुवीकरण और छोटे जाति समूहों को साधने के साथ ही आजादी के बाद से मुस्लिम, दलित और जात केंद्रित क्षेत्र की राजनीति को बदल दिया है। 
गौरतलब है कि तकरीबन 70 फीसदी हिस्सेदारी के चलते ही आजादी से लेकर 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले तक इस क्षेत्र की राजनीति जाट, मुस्लिम और दलित जातियों के आसपास ही घूमती दिखाई पड़ती थी। हालांकि साल 2014 में भाजपा ने यहां नए समीकरणों का सहारा लेकर  राजनीति की नई इबारत को लिखा। बात अगर इस क्षेत्र की हो तो पार्टी यहां न सिर्फ अल्पसंख्यक मुस्लिमों के खिलाफ बहुसंख्यकों का समानांतर ध्रुवीकरण कराने में कामयाब रही है, बल्कि दलितों में प्रभावी जाटव बिरादरी के खिलाफ भी अन्य दलित जातियों का समानांतर ध्रुवीकरण कराने में कामयाब रही। 

क्या है टिकट का गणित 
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अभी तक 108 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए गए हैं। यहां अगर गौर किया जाए तो 64 टिकट दलित बिरादरी और ओबीसी को दिए गए हैं। इनके जरिए भाजपा पूर्व की भांति ही गैर यादव ओबीसी और गैर जाटव दलित को साधना चाहती है। इसी के चलते पार्टी ने यहां कई टिकट गुर्जर, सैनी, कहार-कश्यप, वाल्मिकी बिरादरी को भी दिया है। यहां सैनी बिरादरी 10 तो गुर्जर बिरादरी 2 दर्जन सीटों पर प्रभावी संख्या में दिखाई पड़ती है। वहीं कहार-कश्यप जाति के मतदाताओं की बात हो तो वह 10 सीटों पर बेहद प्रभावी दिखाई पड़ती है। 
 
अमित शाह ने कैराना से की शुरुआत
चुनाव की रणनीति की कमान की बात की जाए तो वह गृहमंत्री अमित शाह के हाथों में है। इसी के चलते कैराना से हिंदुओं के पलायन के मुद्दे को भाजपा ने बीते चुनावों में भी जोरशोर से उठाया और वोटों का ध्रुवीकरण किया। उस दौरान मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक दंगों के कारण जाट-मुस्लिम एकता पर भी ग्रहण लग चुका था। अमित शाह ने इस बार भी अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत कैराना से ही की है। प्रयास है कि इस बार भी वोटों का ध्रुवीकरण हो और भाजपा को यहां से फायदा मिले। 

छोटे जाति समूहों को किया अपने पक्ष में 
बीते चुनावों में जीत हासिल करने के कारणों पर गौर किया जाए तो इसकी एक बड़ी वजह यह भी निकलकर सामने आती है कि भाजपा दलित-मुसलमान और जाट से इतर भी कई छोटी अन्य जातियों के बीच पैठ बनाने में कामयाब रही। इस क्षेत्र की बात करें तो यहां अलग-अलग हिस्सों में कश्यप, वाल्मिकी, ब्राह्मण, त्यागी, सैनी, गुर्जर, राजपूत बिरादरी की संख्या भी हार-जीत में निर्णायक भूमिका में रहती है। भाजपा ने यहां तकरीबन 30 फीसदी वोटर वाली इन बिरादरी को भी अपने पक्ष में किया है। 

PREV

उत्तर प्रदेश में हो रही राजनीतिक हलचल, प्रशासनिक फैसले, धार्मिक स्थल अपडेट्स, अपराध और रोजगार समाचार सबसे पहले पाएं। वाराणसी, लखनऊ, नोएडा से लेकर गांव-कस्बों की हर रिपोर्ट के लिए UP News in Hindi सेक्शन देखें — भरोसेमंद और तेज़ अपडेट्स सिर्फ Asianet News Hindi पर।

Recommended Stories

यूपी में जापान का ‘मिनी टोक्यो’! जानिए कब तक बनकर तैयार होगी यह जापानी सिटी
काशी तमिल संगमम 4.0 में दक्षिण भारत के प्रतिनिधियों ने योगी सरकार की गुड गवर्नेंस को दिए 10/10 अंक