
रामपुर: मुस्लिम बाहुल्य रामपुर सदर विधानसभा सीट पर इस बार भाजपा की रणनीति सफल होती दिखाई पड़ रही है। इस सीट से 10 बार विधायर रहे कद्दावर नेता आजम खान के किले को ध्वस्त करने के लिए भाजपा ने सबका साथ सबका विकास का नारा बुलंद किया है। यहां चुनाव प्रचार के लिए मुख्तार अब्बास नकवी से लेकर दानिश आजाद और मोहसिन रजा ने कमान संभाल रखी है।
रामपुर उपचुनाव के लिए बीजेपी ने बदला अपना प्लान
रामपुर सदर जिले की इस सीट में मुस्लिम मतदाता तकरीबन 60 फीसदी हैं। यही कारण है कि यहां आजादी के बाद से अब तक के हुए चुनावों में ज्यादातर मुस्लिम प्रत्याशियों के सिर पर ही जीत का सेहरा सजा है। सबसे ज्यादा 10 बार इस सीट से जीत का रिकॉर्ड खुद आजम खान ने बनाया है। हालांकि इस बार इस सीट पर माहौल थोड़ा सा अलग जरूर आ रहा है। यहां आजम के परिवार के सदस्य के उम्मीदवार न होने पर कई नेताओं ने सपा से किनारा कर लिया है। कई ऐसे दिग्गज नेता और कार्यकर्ता हैं जो अभी तक आजम खां के साथ रहते थे लेकिन उपचुनाव से पहले उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया है। यहां भाजपा ने इस बार हिंदुत्व के एजेंडे से भी किनारा किया है। चुनाव प्रचार को लेकर भी यहां इस बार पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, राज्यमंत्री दानिश आजाद, मोहसिन रजा जैसे कई बड़े मुस्लिम चेहरों को मैदान में उतारा गया है। यहां भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने भी डेरा डाल रखा है।
आजम खां को सता रहा वोटों की सेंधमारी का डर
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा को यहां महज 34.62 फीसदी ही वोट मिले थे। जबकि सपा के खाते में सर्वाधिक 59.71 फीसदी वोट आए थे। जीत के बाद आजम खां विधायक बने थे। जिस समय आजम खां को जीत मिली थी उस समय वह सीतापुर जेल में बंद थे और प्रचार तक की अनुमति उन्हें नहीं मिली थी। बेटे अब्दुल्ला आजम ने अपनी सीट पर चुनाव प्रचार के साथ ही पिता के लिए भी प्रचार किया था। हालांकि विधानसभा चुनाव में आजम खां को वोटबैंक खिसकने का डर सता रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि इस बार उनके परिवार से कोई सदस्य यहां प्रत्याशी नहीं है। इसी के साथ वह तमाम नेता औऱ कार्यकर्ता जिनके कंधों पर रामपुर सीट से सपा की जीत की जिम्मेदारी रहती थी वह भी अब भाजपा के साथ में हैं।
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