
दिव्या गौरव
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पड़ोसी जिले सीतापुर की एक विधानसभा सीट है सिधौली। यह विधानसभा सीट इसलिए भी खास है क्योंकि जब 2017 में भाजपा की लहर में बड़े-बड़े महारथी बह गए थे, तब यह सीट बहुजन समाज पार्टी ने रखी थी। इससे भी ज्यादा रोचक तथ्य यह है कि इस सीट पर 41 साल से भाजपा को जीत का स्वाद चखने का मौका नहीं मिला है। हालांकि इस बार के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक गोटियां कुछ इस तरह से सेट हो चुकी हैं कि राजनीतिक पंडित उम्मीद जता रहे हैं कि शायद कमल खिल जाए।
दरअसल बीते विधानसभा चुनाव में बसपा के हरगोविंद भार्गव ने सपा के मनीष रावत को मात्र 2510 वोटों से मात दी थी। मनीष 2012 में विधायक भी थे और लोगों के बीच में काफी लोकप्रिय भी माने जाते हैं। उस चुनाव में भाजपा यहां तीसरे नंबर पर रही थी। इस बार हरगोविंद भार्गव बसपा का दामन छोड़कर सपा के टिकट पर चुनावी रण में उतरे हैं। वहीं टिकट कटने से नाराज मनीष ने भी भाजपा का दामन थाम लिया है। ऐसे में जहां पहले मुकाबला सपा और बसपा के बीच रहता था, अब वह सपा और भाजपा के बीच हो गया है।
मनीष की छवि का भाजपा को मिलेगा फायदा
स्थानीय लोग कहते हैं मनीष की अच्छी छवि का फायदा भाजपा को मिल सकता है। भाजपा से जुड़े सतेन्द्र गुप्ता कहते हैं, 'हम सभी लोग मनीष को जिताने के लिए लगे हैं। मनीष जब सपा में भी थे, तो भी लोगों से जुड़े हुए थे। अब भाजपा में हैं तो वैचारिक तौर पर भी लोग उनके साथ जुड़ रहे हैं।' सतेन्द्र ने कहा कि बीते पांच साल में हरगोविंद ने विकास के नाम पर कोई काम नहीं किया है, इसलिए लोग उनसे काफी नाराज हैं। ये लोग इस चुनाव में भाजपा के साथ आएंगे और मनीष को जीत दिलाएंगे।
ऐसा रहा है चुनावी इतिहास
सिधौली विधानसभा सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो इस विधानसभा सीट से 1977 में गणेश लाल चौधरी और 1980 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के रामलाल विधायक निर्वाचित हुए थे। 1985 में कांग्रेस के रामलाल पुत्र ललतू विधायक निर्वाचित हुए तो इसके बाद 2002 तक इस सीट पर श्याम लाल का कब्जा रहा। श्याम लाल 1989 में जनता दल, 1991 में जनता पार्टी और 1993 से 2002 तक समाजवादी पार्टी (सपा) से विधायक रहे। 2007 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के डॉक्टर हरगोविंद भार्गव, 2012 में सपा के मनीष रावत विधायक निर्वाचित हुए। शुरुआत से अब तक कुल 21 चुनावों में भाजपा सिर्फ एक बार 1980 के चुनाव में विजेता बनी थी। सिधौली सीट वर्ष 1957 से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
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