Inside Story: यूपी चुनाव के बीच स्वामी प्रसाद की बेटी संघमित्रा के इस कदम से चौंके भाजपाई, जानिए पूरा मामला

भाजपा छोड़कर समाजवादी पार्टी में गए अपने पिता पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के कदम के खिलाफ न जाने और भाजपा में निष्ठा रखने का बयान देने वालीं बरेली मंडल के जिले बदायूं की सांसद संघमित्रा मौर्य ने भाजपा कैडर के अपने दो प्रतिनिधियों को हटा दिया है। भाजपा उनके इस कदम से हतप्रभ है।

राजीव शर्मा

बदायूं: उत्तर प्रदेश के बरेली मंडल के बदायूं जिले की भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य पर तब से ही सबकी नजरें हैं, जब से उनके पिता पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी का दामन थामा है। अलबत्ता, पिता के भाजपा छोड़ने के कदम को संघमित्रा ने उनका निजी फैसला बताकर अपनी आस्था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा में ही व्यक्त की थी। हालांकि उसके बाद उनसे निगाहें हट जानी चाहिए थीं लेकिन अब उन्होंने दो भाजपा पदाधिकारियों को अपने प्रतिनिधि पद से मुक्त कर दिया है। उनके इस कदम से भाजपाई भी चौंक गए हैं। इसके निहितार्थ निकाले जाने लगे हैं।

Latest Videos

सांसद संघमित्रा ने इन्हें हटाया प्रतिनिधि पद से
दरअसल, सांसद संघमित्रा मौर्य ने अपने लोकसभा प्रतिनिधि डीपी भारती और सहसवान विधानसभा क्षेत्र के प्रतिनिधि पुरुषोत्तम टाटा को पदमुक्त कर दिया। इसकी जानकारी उन्होंने बदायूं के डीएम को पत्र लिखकर दी। सांसद ने दोनों भाजपा पदाधिकारियों को अपने प्रतिनिधि के पद से कार्यमुक्त किए जाने के पीछे दिए तर्क में अवगत कराया कि इन प्रतिनिधियों को इसलिए जिम्मेदारी से मुक्त किया गया है, क्योंकि इन दोनों के पास पार्टी संगठन के दायित्व हैं और पार्टी ने उन दोनों को जिले से बाहर की जिम्मेदारी भी दे रखी है। वह बाधित न हो, इसलिए उनको प्रतिनिधि के पद के दायित्व से मुक्त किया गया है। गौरतलब है कि सांसद की ओर से प्रतिनिधि के पद से मुक्त किए गए डीपी भारती भाजपा के प्रदेश मंत्री हैं और पुरुषोत्तम टाटा पार्टी में ब्रज क्षेत्र स्तर के पदाधिकारी हैं।

दोनों भाजपा नेताओं को प्रतिनिधि के पद से हटाया जाना न सिर्फ पार्टी के लोगों के लिए बल्कि हर किसी के लिए चौंका रहा है। ऐसा इसलिए संघमित्रा के पिता स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा में जाने के बाद से उनके कदम पर भी सभी की निगाहें लगी हुई हैं। अलबत्ता, सांसद संघमित्रा पहले ही कह चुकी हैं कि पिता का सपा में जाना उनका अपना स्वतंत्र निर्णय है। इससे उनका कोई वास्ता नहीं है। संघमित्रा ने यह भी बयान दिया था कि उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में आस्था है और वह भाजपा में हैं। हालांकि भाजपा के दोनों पदाधिकारियों को सांसद की ओर से प्रतिनिधि के पद से हटाने पर पार्टी की ओर से कोई प्रतिक्रिया इसलिए नहीं आई है, क्योंकि किसे प्रतिनिधि बनाना है, किसे नहीं यह सांसद का अपना विशेषाधिकार होता है।

पिता के खिलाफ चुनाव प्रचार करने से भी किया था इंकार
बेशक भाजपा सांसद डॉ. संघमित्रा मौर्य ने यह संकेत दिए थे कि उनकी अपनी पार्टी भाजपा ही है, पिता भले ही सपा में चले गए हैं लेकिन शुरू में ही उन्होंने कह दिया था कि अगर उनकी अपनी पार्टी पिता के खिलाफ चुनाव प्रचार को कहेगी तो वह इन्कार कर देंगी। इसके अलावा पार्टी जो जिम्मेदारी सौंपेगी, उसको निभाएंगी। संघमित्रा ने कहा था-  पार्टी और परिवार दोनों अपनी जगह हैं। संघमित्रा ने यह भी कहा था कि राजनीति में यह कोई नई बात नहीं है, एक ही परिवार के लोग अलग-अलग पार्टियों में रहते हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि परिवार से अलग हो गए। ऐसा ही उनके साथ है।

यूपी चुनाव: नड्डा ने अखिलेश पर लगाया आरोप कहा- मुख्यमंत्री रहते हुए आतंकवादियों को दी पनाह, रक्षक बने भक्षक

Read more Articles on
Share this article
click me!

Latest Videos

दिल्ली चुनाव से पहले केजरीवाल को कोर्ट से लगा झटका, कर दिया इनकार । Arvind Kejriwal । Delhi HC
Maharashtra Jharkhand Exit Poll से क्यों बढ़ेगी नीतीश और मोदी के हनुमान की बेचैनी, नहीं डोलेगा मन!
महज चंद घंटे में Gautam Adani की संपत्ति से 1 लाख Cr रुपए हुए स्वाहा, लगा एक और झटका
UP bypoll Election 2024: 3 सीटें जहां BJP के अपनों ने बढ़ाई टेंशन, होने जा रहा बड़ा नुकसान!
'मणिपुर को तबाह करने में मोदी साझेदार' कांग्रेस ने पूछा क्यों फूल रहे पीएम और अमित शाह के हाथ-पांव?