कौन करेगा पूर्वाचंल फतह: 2017 में सीटों का शतक लगा चुकी BJP के सामने विपक्ष ने खड़ी बड़ी चुनौतियां

 भाजपा ने 2017 में पूर्वांचल में सीटों का शतक लगाया था, जबकि सपा को यहां शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की पिछले चुनाव का इतिहास दोहराने की पूरी कोशिश है लेकिन सपा और अन्य विपक्षी दलों से मिल रही चुनौतियां पहले के मुक़ाबले अधिक हैं।

Asianet News Hindi | Published : Feb 8, 2022 7:40 AM IST / Updated: Feb 08 2022, 01:46 PM IST

हेमेंद्र त्रिपाठी
लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) ने पिछले विधानसभा चुनाव (UP Vidhansabha chunav 2022) में उत्तर प्रदेश की सत्ता का रास्ता पूर्वांचल से जाने की मान्यता को साबित कर चुकी है लेकिन इस क्षेत्र के गोरखपुर तथा बस्ती मंडल में भाजपा और अन्य दलों के लिये इस बार राह आसान नहीं है। भाजपा ने 2017 में पूर्वांचल में सीटों का शतक लगाया था, जबकि सपा को यहां शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की पिछले चुनाव का इतिहास दोहराने की पूरी कोशिश है लेकिन सपा और अन्य विपक्षी दलों से मिल रही चुनौतियां पहले के मुक़ाबले अधिक हैं।

 विधानसभा चुनाव के छठे चरण में पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर तथा बस्ती मंडल की कुल 41 विधान सभा सीटों पर उम्मीदवारों के नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया चल रही है। मुख्यमंत्री योगी आदत्यिनाथ भी गोरखपुर सदर सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं। योगी के चुनाव लड़ने के कारण गोरखपुर सदर सीट पर सभी की निगाहें टिकी हैं। भाजपा ने गोरखपुर और बस्ती मंडल में इस चुनाव में तगड़ी चुनौती को देखते हुये ही मुख्यमंत्री योगी को गोरखपुर सदर सीट से उम्मीदवार बनाया है। उनके अयोध्या या मथुरा से चुनाव लड़ाने की चर्चायें थी लेकिन पार्टी नेतृत्व ने पूर्वांवल में विपक्ष से मिल रही चुनौती को कुंद करने के इरादे से योगी को गोरखपुर से उम्मीदवार बनाया है। विपक्षी दलों में सपा ने सुभासपा से गठबंधन कर पूर्वांचल के राजभर वोटों में सेंधमारी करने की कोशिश कर भाजपा की चुनौती को बढ़ा दिया है। 

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ओ पी राजभर की सुभासपा ने 2017 में भाजपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में पूर्वी उत्तर प्रदेश में पिछड़ी जातियों का राजनैतिक उभार भाजपा के लिये बाधक बन सकता है। इसके जवाब में गोरखनाथ मठ का प्रभाव इन दोनों मंडलों में भाजपा को कितनी सफलता दिलाता है, यह देखना होगा। साथ ही निषाद पार्टी के साथ भाजपा का गठबंधन भी उसे सहायक सिद्ध होता दिख रहा है। मगर, राजनीतिक विश्लेषकों की राय में निषाद पार्टी को उसकी अपेक्षा के अनुसार 15 सीटें नहीं मिलने और उसकी पसन्द की सीट न दिये जाने से निषाद मतदाता पूरी तरह से संतुष्ट नहीं है। ऐसे में यह लड़ाई बहुत दिलचस्प हो गयी है। राजनीतिक दलों ने धर्म और जाति को इस चुनावी समर के प्रमुख हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की तैयारी कर ली है। विकास एवं किसानों की बदहाली और युवाओं को रोजगार जैसे मुद्दे गौण हो गए हैं। ऐसे में विपक्ष जाति को और सत्तापक्ष धर्म को अपनी चुनावी वैतरणी पार करने का जरिया बनाने की कोशिश में है।

 राजनितिक प्रतिष्ठा के आकलन में लगी संघ और BJP 
सपा जहां जातिगत समीकरणों के आधार पर चुनावी गठजोड़ कर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश की है, वहीं भाजपा की रणनीति महिला कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर प्रचार करने का जिम्मा सौंप कर मतदाताओं को लुभाने की है। इस मुहिम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी भाजपा और गोरखनाथ मठ के साथ खड़ा हो गया है। इस चुनाव में भाजपा और संघ भी अपनी राजनितिक प्रतिष्ठा के आकलन में लगे हुए हैं, जहां भाजपा की नजर में हन्दिुत्व का चेहरा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं, संघ के नये चेहरे के रूप में योगी आदत्यिनाथ को आगे किया गया है। सपा ने सोमवार को ही योगी के सामने भाजपा के दिवंगत नेता उपेन्द्र शुक्ला की पत्नी सभावती शुक्ला को चुनाव मैदान में उतारा है। बसपा ने मुस्लिम कार्ड खेलते हुये गोरखपुर सदर सीट से ख्वाजा समसुद्दीन को उम्मीदवार बनाकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है। पूर्वांचल में योगी, अखिलेश यादव और मायावती के चेहरों के सहारे चुनावी बिसात अब बिछ गयी है। देखना होगा कि शह और मात इस खेल में चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश की सत्ता का रास्ता पूर्वांचल से जा पाता है या नहीं।

UP Election Info: उत्‍तर प्रदेश व‍िधानसभा चुनाव 2022 में 403 व‍िधानसभा सीट के ल‍िए पहले चरण का मतदान 10 फरवरी, दूसरा चरण 14 फरवरी, तीसरा चरण 20 फरवरी, चौथा चरण 23 फरवरी, पांचवां चरण 27 फरवरी, छठा चरण 3 मार्च और अंतिम चरण का मतदान 7 मार्च को है। कुल 7 चरणों में होगा यूपी में चुनाव। मतगणना 10 मार्च को होगी।
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