यूपी विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने परिवारवाद के जरिए राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का ख्वाब देख रहे मंत्री, सांसद और वरिष्ठ नेताओं को बड़ा झटका देने का फैसला किया है। दरअसल पार्टी से किसी भी ऐसे व्यक्ति को टिकट नहीं मिलेगा जिसके परिजन मंत्री, सांसद है और वह पहली बार चुनावी मैदान में उतरा है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) में अपनी नई पीढ़ी के जरिए नई राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का ख्वाब देख रहे मंत्रियों, सांसदों और वरिष्ठ नेताओं को भाजपा की नई नीति बड़ा झटका देगी। पार्टी ने तय किया है कि किसी भी ऐसे मंत्री, सांसद और नेता के परिवार के सदस्य को टिकट नहीं मिलेगा जो पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं।
भाजपा के प्रदेश व राष्ट्रीय नेतृत्व ने साफ कह दिया है कि किसी भी नेता की नई पीढ़ी को टिकट नहीं दिया जाएगा। पार्टी उन्हीं नेताओं के परिवार के सदस्यों, बेटा-बेटी और पत्नी को टिकट देगी जो वर्तमान में विधायक या सांसद हैं। हालांकि यहां उन्हें रियायत के आसार है जिनकी उम्र 75 वर्ष से अधिक होने के कारण ही उनका टिकट काटा जा रहा है।
पार्टी के नेताओं का मानना है कि अगर शीर्ष नेतृत्व ने परिवारवाद को रोकने के लिए नई नीति को सख्ती से लागू किया तो कई दिग्गजों के परिजन चुनाव लड़ने से वंचित रहा जाएंगे। इस लिस्ट की बात की जाए तो इसमें राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र के बेटे अमित मिश्रा, बिहार राज्यपाल फागू सिंह चौहान के बेटे रामविलास चौहान, विधानसभा अध्यक्ष ह्रदय नारायण दीक्षित के बेटे दिलीप दीक्षित व सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा के बेटे गौरव वर्मा का नाम प्रमुख है। हालांकि इस नए नियम के बाद सांसद रीता बहुगुणा जोशी के बेटे मयंक जोशी, केंद्रीय राज्यमंत्री कौशल किशोर और मलिहाबाद विधायक जयदेवी कौशल के बेटे विकास किशोर व प्रभात किशोर और कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के बेटे सुब्रत शाही को टिकट मिलने में मुश्किल हो सकती है।
पहले ही दिया जा चुका है इन दो बेटों को टिकट
यूपी विधानसभा चुनाव की बात हो तो भाजपा की अभी तक जारी की गई लिस्ट में ही रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह को नोएडा से और एटा सांसद राजबीर सिंह के बेटे संदीप सिंह को अतरौली से दोबारा टिकट दिया गया है। हालांकि अब यह नियम आने के बाद जाहिरतौर पर विरोध के शुर उठने लाजमी हैं।