4POINT: चुनावी समय में पिछड़ों की याद-परिवारवाद से ग्रसित...स्वामी प्रसाद के जाने से BJP को नहीं पड़ेगा फर्क

मौर्य के बीजेपी छोड़ने की मुख्य वजह बीजेपी द्वारा उनके बेटे को टिकट ना दिया जाना है। काफी दिनों से स्वामी प्रसाद मौर्य पार्टी से नाराज चल रहे थे। वो अपने लिए, अपने बेटे के लिए और अपने कई समर्थकों के लिए टिकट मांग रहे थे।

लखनऊ: स्वामि प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) यूपी की राजनीति में बड़े नाम जरूर माने जाते हैं। लेकिन चुनाव से पहले बार-बार उनका पार्टी बदलना उनकी छवि पर भी खास असर डाल रहा है।  ओबीसी वोट बैंक (OBC Vote Bank) पर उनका प्रभाव जरूर है लेकिन उनके वोटरों के बीच इस बात की भी चर्चा है कि चुनाव के अंतिम समय ही क्यों उनको पिछड़ों की समस्याएं याद आती हैं। बाकी चार साल वो पीछड़ों की समस्यों को पूरी ताकत के साथ क्यों नहीं उठाते हैं।

मौका परस्त
स्वामी प्रसाद मौर्य को अगर मौका परस्त कहा जाए तो वो गलत नहीं होगा क्युकी ये नेता लगातार अपने दल राजनीतिक मौसम के आधार पर बदलता रहा है। करीब 20 साल बसपा (BSP) में रहने के बाद 2017 विधानसभा चुनाव (Vidhansabha Chunav) से पहले ये बीजेपी (BJP) में शामिल हुए। अब बदलती लहर को देखकर ये सपा में शामिल हो सकते हैं।

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परिवारवाद से ग्रसित 
मौर्य के बीजेपी छोड़ने की मुख्य वजह बीजेपी द्वारा उनके बेटे को टिकट ना दिया जाना है। काफी दिनों से स्वामी प्रसाद मौर्य पार्टी से नाराज चल रहे थे। वो अपने लिए, अपने बेटे के लिए और अपने कई समर्थकों के लिए टिकट मांग रहे थे। 

चुनाव के अंतिम समय में ही समस्याओं का याद आना
ओबीसी वोट बैंक पर उनका प्रभाव जरूर है लेकिन उनके वोटरों के बीच इस बात की भी चर्चा है कि चुनाव के अंतिम समय ही क्यों उनको पिछड़ों की समस्याएं याद आती हैं। बाकी चार साल वो पीछड़ों की समस्यों को पूरी ताकत के साथ क्यों नहीं उठाते हैं।

खुद का कद घटा तो बदल ली पार्टी
मौर्य के बारे में शुरुआत से माना जाता है कि जब वो किसी पार्टी में खुद का कद घटता दखते हैं तो वो दल बदलने की तरफ रुख करने लगते हैं। वजह पूछे जाने पर पिछड़ों को सामने ले आते हैं। पिछड़ा वर्ग उनके इस रवैया को समझ चुका है।

14 जनवरी को सामने आएंगे सपा में शामिल होने वाले चेहरों के नाम- स्वामी प्रसाद मौर्य
बुधवार को स्वामी प्रसाद मौर्य ने मीडिया से बात करते हुए जब पत्रकारों ने उनसे समाजवादी पार्टी में शामिल होने की बात कही तो उन्होने साफ करते हुए कहा कि 14 जनवरी को आपको पता चलेगा और जो भी मेरे साथ पार्टी में शामिल होंगे, उनके चेहरे आपके सामने आ जाएंगे। हम 2 दिन तक संवाद करेंगे। स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान के बाद यह तो साफ हो गया है कि  मौर्य ने सकर संक्रांति यानी 14 जनवरी को अन्य नेताओं के साथ सपा में शामिल होने का मन बना लिया है।

मौर्य समाज पर स्वामी प्रसाद का कितना दबदबा, BJP को हो सकता है क्या नुकसान...जानिए डिटेल में

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