सीबीआई ने तत्कालीन प्रमुख सचिव ऊर्जा और यूपीपीसीएल के चेयरमैन रहे आलोक कुमार और उस समय एमडी रहीं अपर्णा यू. से गहन पूछताछ की और उनके बयान दर्ज किये
लखनऊ(Uttar Pradesh). उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड के कर्मचारियों के भविष्य निधि (PF) घोटाले में सीबीआई ने रविवार को दो आईएएस अफसरों से घंटों तक पूछताछ की। सीबीआई ने तत्कालीन प्रमुख सचिव ऊर्जा और यूपीपीसीएल के चेयरमैन रहे आलोक कुमार और उस समय एमडी रहीं अपर्णा यू. से गहन पूछताछ की और उनके बयान दर्ज किये। बयान दर्ज करने के लिए सीबीआई ने दोनों आईएएस अधिकारियों को अपने दफ्तर बुलाया था। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी आलोक कुमार इस समय प्रमुख सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास और अपर्णा यू. विशेष सचिव सिंचाई के पद पर तैनात हैं।
पीएफ घोटाले में पावर कारपोरेशन के कर्मचारियों के पीएफ की लगभग चार हजार करोड़ रुपये की रकम अनियमित तरीके से डीएचएफएल में निवेश की गई थी। मामला पिछले साल नवंबर में उजागर हुआ था। प्रकरण में यूपीपीसीएल के पूर्व एमडी एपी मिश्रा समेत डेढ़ दर्जन लोग जेल भेजे जा चुके हैं। सीबीआइ ने इस मामले में छह मार्च 2020 को एफआइआर दर्ज की थी। प्रवर्तन निदेशालय भी मनी लांड्रिंग के तहत केस दर्ज कर इस मामले की जांच कर रहा है।
CBI ने दोनों अफसरों से घंटों तक की पूछताछ
सूत्रों की माने तो सीबीआई ने दोनों अफसरों से पीएफ की रकम को दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (DHFL) में निवेश करने के लिए अपनायी गई प्रक्रिया और इसमें उनकी भूमिका को लेकर सवाल पूछे। सीबीआई अधिकारियों ने उनसे यह भी पूछा कि DHFL में पीएफ की रकम के निवेश की जानकारी उन्हें कब हुई और इसमें उन्होंने क्या कार्रवाई की। सूत्रों के अनुसार दोनों अधिकारियों ने बताया कि पीएफ की धनराशि के निवेश के बारे में ट्रस्ट और वित्त निदेशक मिलकर तय करते थे। जब उन्हें अनियमितता की जानकारी हुई तो कार्रवाई की गई। आलोक कुमार के कार्यकाल में ही बिजलीकॢमयों के पीएफ की 80 फीसद रकम डीएचएफएल में ट्रांसफर हुई थी। तब अपर्णा यू. यूपीपीसीएल के एमडी पद पर तैनात थीं।
गुमनाम चिट्ठी से सामने आया था घोटाले का सच
जुलाई, 2019 में UPPCL के अध्यक्ष आलोक कुमार के पास एक गुमनाम चिट्ठी आई। चिट्ठी में लिखा था कि विभाग में काम करने वाले कर्मचारियों के पीएफ के पैसे में भारी गड़बड़ी हुई है। जांच के लिए UPPCL ने एक कमेटी बनाई। कमेटी ने बताया कि 45,000 कर्मचारियों के पीएफ के पैसे का 65% हिस्सा तीन कंपनियों में लगा दिया गया। और इस पैसे का भी करीब 90% से ज़्यादा हिस्सा सिर्फ एक कंपनी में लगा है। वह कम्पनी दीवान हाउसिंग एंड फाइनेंस लिमिटेड DHFL थी ।