लखनऊ के गन्ना संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में बोले चंपत राय- लोकसभा चुनाव से पहले पूरा होगा राम मंदिर का काम

रामनवमी की पूर्व संध्या पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सचिव चंपत राय ने मंदिर निर्माण को लेकर बड़ा बयान दिया। राजधानी लखनऊ में वेदांत भारत द्वारा शनिवार को गन्ना संस्थान में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान चंपत राय ने कहा कि कोशिश है कि अगले साल दिसंबर में काम पूरा हो जाए।

Pankaj Kumar | Published : Apr 10, 2022 3:25 AM IST

लखनऊ: प्रदेश के भीतर होने वाले सभी चुनावों में राम मंदिर (Ram Mandir) का मुद्दा बीजेपी के लिए हमेशा के लिए खास रहा है और इसी के चलते सभी चुनावों में भाजपा को हिंदू वोटबैंक (Hindu Vote Bank) से काफी हद तक लाभ भी मिला। यूपी के विधानसभा चुनाव (UP Vidhansabha Chunav 2022) के बाद अब भाजपा लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Chunav 2022) की ओर रफ्तार तेज करने में जुट गई है। और यह सब शनिवार को यूपी की राजधानी लखनऊ पहुंचे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सचिव चंपत राय (Champat Rai) की बातों से साफ जाहिर हो गया। एक कार्यक्रम के दौरान चंपत राय ने कहा कि 2024 में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो जाएगी। उससे पहले ही राममंदिर का काम खत्म हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि काम पत्थरों का है, इस लिए अधिक जल्दबाजी नहीं हो सकती।

दिसम्बर 2023 तक गर्भ गृह का काम पूरा करने की है योजना 
रामनवमी की पूर्व संध्या पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सचिव चंपत राय ने मंदिर निर्माण को लेकर बड़ा बयान दिया। राजधानी लखनऊ में वेदांत भारत द्वारा शनिवार को गन्ना संस्थान में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान चंपत राय ने कहा कि कोशिश है कि अगले साल दिसंबर में काम पूरा हो जाए। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि संभावना कम है, तो भी हम ये सोचकर चल रहे हैं कि गर्भ गृह का स्थान बन जाए और हम भगवान को वहां स्थापित कर दें। वह आगे बोले, दिसंबर का अर्थ होता है, सूर्य जब उत्तरायण में आएंगे। सूर्य 15 दिन बाद मकर संक्रांति को उत्तरायण में आएंगे। इससे ज्यादा लंबा खींच नहीं सकते।

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वैज्ञानिक तथ्य पर चंपत राय ने कहा कि 2014 के पहले भारत सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में शपथ पत्र दिया था कि राम कभी हुए ही नहीं, यह महज कल्पना है। तीन या चार दिन लगे होंगे, भारत सरकार को अपना शपथ पत्र वापस लेना पड़ा। वह आगे बोले कि जब राम जन्म भूमि आंदोलन हाथ में लिया गया। तब 10-15 पृष्ठों की पुस्तक से ज्यादा साहित्य नहीं था, आज 150 ग्रंथ होंगे जो विदेशियों, भारतीयों और आंदोलन का विरोध करने वालों ने भी लिखे हैं।

वैदिक युग से भारत की परंपरा
इंस्टीट्यूट आफ साइंटिफिक रिसर्च आन वेद की पूर्व निदेशक सरोज बाला ने भी इस कार्यक्रम के दौरान इस विषय पर अपने विचार रखे। उन्होने कहा कि प्लेनिटोरियम साफ्टवेयर के माध्यम से वाल्मीकि रामायण में वर्णित तिथियों को सही सिद्ध करके समझाया। रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव एवं अपर वित्तीय सलाहाकार वेदवीर आर्या ने सूर्य सिद्धांत के जरिए श्री राम की ऐतिहासिकता सिद्ध की। उन्होंने कहा कि वैदिक युग से भारत की परंपरा है कि हमने हमेशा गुणों की पूजा की है किसी विजेता राजा की नहीं।उन्होंने आगे कहा कि जिसमें भी गुण हैं, वह देवता के समान है, इसलिए हमारे सभी ऐतिहासिक पुरुष ईश्वर समान हुए।
 

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