CM योगी ने केजीएमयू को दिया बड़ा तोहफा, एशिया की पहली पैथोजेन रिडक्शन मशीन का लोकार्पण कर कही ये बात

सीएम योगी ने केजीएमयू में थोरेसिक सर्जरी विभाग एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग व ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में एशिया की पहली पैथोजेन रिडक्शन मशीन का उद्घाटन किया। इस दौरान सीएम ने कहा कि हमें समय से दो कदम आगे चलने की जरूरत है। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 27, 2022 9:55 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गुरुवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में थोरेसिक सर्जरी विभाग एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग व ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में एशिया की पहली पैथोजेन रिडक्शन मशीन का उद्घाटन किया। इस दौरान सीएम योगी ने कहा कि यूपी के तीन बड़े मेडिकल कॉलेज केजीएमयू, आरएमएल और एसजी पीजीआई को सुपर स्पेशियलिटी फैसिलिटी की दिशा में तेज गति से आगे बढ़ना होगा। सीएम ने कहा कि हमें समय से भी दो कदम आगे चलना होगा, तभी समाज हमारा अनुकरण करेगा। अगर ऐसा नहीं होगा तो समाज हमें अविश्वसनीय नजरों से देखेगा। 

योग्य डॉक्टरों की नहीं है कमी- सीएम योगी
सीएम योगी ने कहा कि केजीएमयू ने मेडिकल साइंस के क्षेत्र में अपनी लंबी यात्रा को पूरा किया है। वहीं पांचा साल पहले 100 वर्ष की य़ात्रा भी पूरी हुई है। सीएम योगी ने कहा कि हमारे पास योग्य डॉक्टरों की कमी नहीं है। लेकिन समस्या ये हा कि ना तो हम रिसर्च पेपर लिख रहे हैं और ना ही कोई अंतरराष्ट्रीय पब्लिकेशन दे रहे हैं। ऐसे में पेटेंट करने की दिशा में हमारी प्रगति लगभग शून्य जैसी है। केजीएमयू के कुछ शिक्षकों को दुनिया भर में अच्छे वैज्ञानिकों के तौर पर मान्यता मिली है। लेकिन हमें अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है। सीएम ने आगे कहा कि जब हम मौजूदा मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों को नए मेडिकल कॉलेजों में नियुक्ति देने की बात करते हैं तो राष्ट्रीय चिकित्सा (एनएमसी) का कहना है कि इसमें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन समस्या यह है कि उन्होंने एक भी शोध पत्र नहीं लिखा है। 

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शोध पत्र और प्रकाशन को दिनचर्या में करना होगा शामिल
सीएम ने आगे कहा कि यदि हम शोध पत्र नहीं लिख पाने की दशा में पेटेंट की दिशा में कोई प्रगति नहीं होगी। उन्होंने कहा कि केजीएमयू में मरीजों की कमी नहीं है लेकिन शोध पत्र और प्रकाशन कहां हैं। शोध पत्र और प्रकाशन को हमें अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना होगा और यदि ऐसा नहीं होता है तो यह हमारी प्रगति में बाधा बनेगा। लिखने की आदत को डालना होगा। इसलिए आप अपने इलाज को स्वयं तक ही सीमित ना रखें। केजीएमयू से नए शोध पत्र आने चाहिए, हर संकाय सदस्य की ओर से, हर विभाग की ओर से, हमें अपना प्रकाशन देना चाहिए। इसके अलावा हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज खुल रहा है, तो स्वाभाविक रूप से मरीजों की भीड़ निचले स्तर पर ही छंटनी चाहिए। 

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