वाराणसी में रंगभरी एकादशी की धूम, सड़क से लेकर शमशान तक मस्ती में डूबे काशीवासी

रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा काशी विश्वनाथ में होती है। इतना ही नहीं इस दिन बाबा विश्वनाथ माता पार्वती के साथ नगर का भ्रमण करते हैं। आज बाबा विश्वनाथ का माता गौरा के साथ गौना होगा। इसी दिन बाबा विश्वनाथ अपने भक्तों के साथ अबीर-गुलाल खेल कर काशी में पारंपरिक तरीके से होली की शुरुआत करेंगे।

Asianet News Hindi | Published : Mar 14, 2022 10:36 AM IST

अनुज तिवारी
वाराणसी:
उत्तर प्रदेश के जिले वाराणसी में रंगभरी एकादशी का विशेष महत्व है। इस दिन पूरी काशी बाबा के साथ गुलाल की होली खेलती है। मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा काशी विश्वनाथ में होती है। इतना ही नहीं, इस दिन बाबा विश्वनाथ माता पार्वती के साथ नगर का भ्रमण करते हैं। इस दौरान खूब रंग गुलाल उड़ाया जाता है। 

मोक्षदायिनी सेवा समिति के तत्वावधान में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बाबा कीनाराम स्थल रविंद्रपुरी से बाबा मसान नाथ की परंपरागत ऐतिहासिक शोभायात्रा निकाली गई। यह बाबा कीनाराम स्थल से आईपी विजया मार्ग होते हुए भेलूपुर थाना सोनारपुरा होते हुए हरिश्चंद्र घाट स्थित सुप्रसिद्ध बाबा मशान नाथ स्थल पर पहुंची। यहां पर चिता भस्‍म की होली खेल रंगभरी के बाद बाबा का आशीर्वाद लेकर होली की परंपरा का निर्वहन किया।

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पूरे रास्ते लगता रहा जयकारा
शोभायात्रा में बग्‍घी, जोड़ी, ऊंट, घोड़ा तथा ट्रक पर शिव तांडव नृत्य करते भक्तजन तथा नर मुंड की माला पहने श्रद्धालुजन बाबा मशान नाथ का जयकारा लगाते रहे। जय हर हर महादेव का गगनभेदी जयकारा रास्‍ते भर लगता रहा। इस पूरी यात्रा के दौरान शामिल भक्तगणों ने सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल भी रखा। बनारसी मस्ती में सराबोर श्रद्धालु भक्तजनों ने पूरी निष्ठा व हर्षोल्लास के साथ भाग लिया।

काशी में रंगभरी एकादशी की तैयारियां 
आज बाबा विश्वनाथ का माता गौरा के साथ गौना होगा। इसी दिन बाबा विश्वनाथ अपने भक्तों के साथ अबीर-गुलाल खेल कर काशी में पारंपरिक तरीके से होली की शुरुआत करेंगे। आज बाबा विश्वनाथ के साथ माता गौरा की चल प्रतिमा का पंचगव्य और पंचामृत स्नान के बाद दुग्धाभिषेक हुआ। 11 वैदिक ब्रह्मणों द्वारा षोडशोपचार पूजन किया। दोपहर बाद बाबा माता गौरा के साथ नगर भ्रमण पर होली खेलने निकलें।

पिछले कई सालों से निभाई जाती है यह रस्म
काशी में यह रस्म पिछले 364 साल से निभाई जा रही है। इसे देखने के लिए देश के दूर दराज हिस्सों से शिवभक्त काशी आते हैं। गौरा के गौना के लिए मंहत आवास को माता गौरा का मायका बनाकर यहीं पर रस्म अदा कि जाएगी। अब ये उत्सव रंगभरी एकादशी तक जारी रहेगा। सारी रस्में टेढी नीम स्थित महंत आवास पर होनी है। इसकी शुरूआत गौरा को हल्दी-तेल लगाने की रस्म के साथ हुई। इस मौके पर महिलाओं ने मंगल गीत गाए।

मान्यता है रंगभरी एकादशी की
रंगभरी एकादशी के दिन भगवान हरि विष्णु के साथ आंवले के पेड़ की भी पूजा की जाती है। मान्यता है कि आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है। रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा काशी विश्वनाथ में होती है। इतना ही नहीं, इस दिन बाबा विश्वनाथ माता पार्वती के साथ नगर का भ्रमण करते हैं। इस दौरान खूब रंग गुलाल उड़ाया जाता है। 

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