
लखनऊ: महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाए जाने पर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने विरोध की शुरुआत कर दी हैं। SP सांसद शफीकुर रहमान बर्क ने कहा कि हम सदन में इसका विरोध करेंगे, शादी की उम्र 18 की बजाय 17 करनी चाहिए। सपा सांसद ST हसन ने कहा कि फर्टिलिटी एज के बाद शादी का क्या फायदा, लेट शादी से बच्चे पैदा होना भी मुश्किल है। साथ ही कहा कि शादी की उम्र सीमा बढ़ाने से लड़कियां आवारगी करेंगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2020 को लाल किले की प्राचीर से अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण के दौरान लड़कियों की शादी की उम्र को 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष किए जाने संबंधी प्रस्ताव का ऐलान किया था। PM ने इसके पीछे की वजह बताते हुए कहा था, ''सरकार बेटियों और बहनों के स्वास्थ्य को लेकर हमेशा से चिंतित रही है। बेटियों को कुपोषण से बचाने के लिए, ये जरूरी है कि उनकी शादी सही उम्र में हो।''
अभी भारत में महिलाओं की शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष और पुरुषों की 21 वर्ष है। कानून में बदलाव के बाद अब महिला और पुरुष दोनों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष हो जाएगी।
शादी की उम्र बढ़ाने के लिए किन ऐक्ट में होंगे बदलाव?
महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाने के लिए सरकार हिंदू मैरिज ऐक्ट, 1955 के सेक्शन 5 (iii), स्पेशल मैरिज ऐक्ट, 1954 और बाल विवाह निषेध ऐक्ट, 2006 में बदलाव करेगी, इन तीनों में ही सहमति से महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष और पुरुषों के लिए 21 वर्ष होने का जिक्र है।
PM नरेंद्र मोदी ने महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाने के फैसले के पीछे उन्हें स्वस्थ्य बनाना और कुपोषण से बचाना बताया था। साथ ही सरकार शादी की उम्र बढ़ाकर महिलाओं के कम उम्र में मां बनने से उनके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले कुप्रभावों को रोकना करना चाहती है।
इस मामले में टास्क फोर्स गठित किए जाने के बारे में जानकारी देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 के अपने बजट भाषण में कहा था कि 1978 में शारदा एक्ट 1929 में बदलाव करते हुए महिलाओं की शादी की उम्र 15 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष की गई थी। उन्होंने महिलाओं की शाद की उम्र बढ़ाने के हालिया प्रस्ताव की वजह बताते हुए कहा था कि अब जबकि भारत और तरक्की कर रहा है, तो महिलाओं के लिए ऊंची शिक्षा हासिल करने और करियर बनाने के अवसर भी बढ़ गए हैं।
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