औरैया जिले की बिधूना सीट ने खूब सुर्खियों में रही है। बिधूना विधानसभा सीट का परिणाम भी चौकाने वाला आया है। दरअसल बिधूना सीट का चुनाव बेटी बनाम पिता का था। बीजेपी छोड़कर एसपी में शामिल होने वाले पूर्व विधायक विनय शाक्य की बेटी ने बगावत कर दी थी। विनय शाक्य की बेटी रिया ने पिता के बीजेपी छोड़ने का विरोध किया था। इसके साथ ही पिता की मर्जी के खिलाफ जाकर बीजेपी के टिकट पर चुनाव भी लड़ी।
सुमित शर्मा
कानपुर: यूपी विधानसभा चुनाव (UP Vidhansabha Chunav) में औरैया जिले की बिधूना सीट ने खूब सुर्खियों में रही है। बिधूना विधानसभा सीट का परिणाम भी चौकाने वाला आया है। दरअसल बिधूना सीट का चुनाव बेटी बनाम पिता का था। बीजेपी छोड़कर एसपी में शामिल होने वाले पूर्व विधायक विनय शाक्य की बेटी ने बगावत कर दी थी। विनय शाक्य की बेटी रिया ने पिता के बीजेपी छोड़ने का विरोध किया था। इसके साथ ही पिता की मर्जी के खिलाफ जाकर बीजेपी के टिकट पर चुनाव भी लड़ी। फिलहाल रिया शाक्य को एसपी प्रत्याशी रेख वर्मा के सामने हार का सामना करना पड़ा।
पूर्व विधायक विनय शाक्य एसपी प्रत्याशी रेखा वर्मा को चुनाव लड़ा रहे थे। विनय शाक्य के साथ ही उनके भाई देवेश और दादी द्रोपदी भी एसपी प्रत्याशी रेखा को चुनाव लड़ाने में दिन-रात एक कर दिया। बिधूना सीट पर शाक्य समाज के वोटरों की संख्या सबसे अधिक है। इसके साथ विनय शाक्य का अपने समाज के वोटरों में अच्छी पकड़ है। इसके बाद भी बीजेपी प्रत्याशी रिया शाक्य और एसपी प्रत्याशी रेखा वर्मा के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली।
बिधूना सीट का रिजल्ट
बिधूना विधानसभा सीट पर बीजेपी और एसपी के बीच कांटे की टक्कर थी। बिधूना सीट पर एसपी प्रत्याशी रेखा वर्मा ने बीजेपी प्रत्याशी रिया शाक्य को 7419 वोटों से हराया है। बीजेपी की रिया शाक्य को 89,179 वोट मिले थे। वहीं एसपी की रेखा वर्मा को 96,598 वोट मिले थे। इसके साथ ही इस सीट पर बीएसपी प्रत्याशी गौरव रघुवंशी भी अच्छा चुनाव लड़े हैं। गौरव रघुवंशी को 32,130 वोट मिले हैं।
राजनीतिक विरासत संभालने की जंग
विनय शाक्य की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए परिवार दो घड़ में बट गया था। रिया का कहना था कि मैं और मेरा भाई सिद्धार्थ बीजेपी के साथ हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपना आर्दश बताया था। पिता की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए पहले चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुकी थीं। वहीं रिया ने आरोप लगाया था कि पिता की राजनीतिक विरासत पर चाचा अपना हक जताते हैं।
राजनीतिक कैरियर
स्वामी प्रसाद मौर्य के करीबी होने की वजह से विनय शाक्य को 2002 में बीएसपी की टिकट पर बिधूना से चुनाव लड़ाया गया था। जिसमें विनय शाक्य ने शानदार जीत दर्ज की थी। इसके साथ ही 2009 में विनय शाक्य को एमएलसी बनाया गया था। एमएलसी रहते हुए 2012 में विनय शाक्य के भाई ने देवेश शाक्य ने बिधूना सीट से चुनाव लड़े। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में विनय शाक्य बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़े विधानसभा पहुंचे थे।