यूपी में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन का कोई मरीज अभी तक सामने नहीं आया है लेकिन सोमवार को कोरोना के एक अन्य वैरिएंट डेल्टा के 21 मरीज पाए गए हैं। ये 21 लोग विदेश से यूपी लौटे थे। विदेश से वापस आए ऐसे लोग जिनकी कोरोना रिपोर्ट पाजिटिव आ रही है, उनकी जीनोम सिक्वेंसिंग कराई जा रही है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग की टीम कोरोना और उसके नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर सख्त नजर आ रही है। लेकिन उससे पहले एक बार फिर यूपी में 1 दर्जन से अधिक लोग कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित पाए गए हैं। जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश में विदेश से लौटे 21 लोग कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित पाए गए हैं। अभी ओमिक्रोन वैरिएंट का एक भी रोगी प्रदेश में नहीं मिला है। ओमिक्रॉन के मुकाबले डेल्टा वैरिएंट की संक्रमण दर कम है। यानी यह कम तेजी से फैलता है, मगर इसमें रोगी की जान जाने का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे में प्रदेश में सतर्कता और बढ़ा दी गई है। विदेश से वापस आए ऐसे लोग जिनकी कोरोना रिपोर्ट पाजिटिव आ रही है, उनकी जीनोम सिक्वेंसिंग कराई जा रही है। कुल 22 सैंपल भेजे गए थे और उसमें से एक खराब निकला।
यूपी में तेजी से चल रहा फोकस टेस्टिंग अभियान
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक डा. वेदब्रत सिंह का कहना है कि कोरोना से बचाव के लिए सभी जरूरी उपाए किए जा रहे हैं। फोकस टेस्टिंग अभियान को और तेज कर दिया गया है। एयरपोर्ट, बस व रेलवे स्टेशन पर बाहर से आ रहे लोगों की जांच की जा रही है। कोरोना जांच पर विशेष जोर दिया जा रहा है। देश में अब तक सबसे ज्यादा 8.85 करोड़ लोगों की कोरोना जांच उत्तर प्रदेश में की गई है।
1 व्यक्ति हुआ संक्रमित तो 50 की हो रही जांच
जांच के साथ-साथ सर्विलांस पर भी विशेष जोर दिया जा रहा है। कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए 50 से अधिक लोगों की जांच की जा रही है। 80 हजार निगरानी कमेटियों की मदद से बाहर से आए लोगों पर नजर रखी जा रही है। कोरोना की दूसरी लहर में डेल्टा वैरिएंट के कारण तमाम लोगों की जान गई थी। ऐसे में लोगों को सलाह दी गई है कि वह दो गज की शारीरिक दूरी के नियम का सख्ती से पालन करें और मास्क जरूर लगाएं।
ओमिक्रॉन से बचाव के लिए अस्पतालों में अलर्ट
उत्तर प्रदेश में ओमिक्रॉन से बचाव के लिए हर संभव उपाए किए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश ने इसके लिए कमर कस ली है। ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट की नीति को सख्ती से लागू किया जा रहा है। अस्पतालों में अभी से बेड बढ़ाने का काम तेजी से शुरू कर दिया गया है। मेडिकल कालेजों से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) तक पर बेड बढ़ाए जा रहे हैं। सभी अस्पतालों को अलर्ट कर दिया गया है, कि वह इससे निपटने के लिए मजबूत इंतजाम अभी से रखें। मेडिकल कालेजों में 100 बेड के पीडियाट्रिक आइसीयू (पीकू) व नियोनेटल आइसीयू (नीकू) तैयार कर लिए गए हैं।