सुल्तानपुर का नाम 'कुशभवनपुर' करने की मांग, बीजेपी विधायक ने सीएम योगी को लिखा पत्र

बीजेपी विधायक ने लिखा की आज के प्रजातांत्रिक युग में सुल्तान जैसे नाम जनता की आंखों में खटकते रहते हैं और इसे बदलवाने के लिये कई बार जन आंदोलन हुए हैं ज्ञापन दिए गए। जनता के लिए एक संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है।

सुल्तानपुर: उत्तर प्रदेश में जगाहों के नाम बदलने की राजनीति जोरों पर है। कुछ दिन बीजेपी सासंद की तरफ से फर्रुखाबाद का नाम बदलने को लेकर सीएम योगी को पत्र लिखा गया था। अब सुल्तानपुल जिले का नाम बदलने की मांग उठी है। सुल्तानपुल का नाम कुशभवनपुर करने की मांग की गई है। 

सुल्तानपुर विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक विनोद सिंह ने सीएम योगी को पत्र लिखकर अवगत कराया है की जनपद सुल्तानपुर अयोध्या और प्रयागराज पवित्र धामों के बीच अवस्थित है जिले में धोपाप, मकरीकुंड, सीताकुंड, विजेथुआ जैसे महत्वपूर्ण पौराणिक स्थल स्थित है इस तथ्य के पौराणिक साक्ष्य है कि हम सबके आराध्य भगवान राम के कनिष्ठ पुत्र कुश ने इस जनपद को अपनी राजधानी बनाया और इसका नामकरण कुशभवनपुर के रूप में किया था।

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'सुल्तान जैसे नाम जनता की आंखों में खटकता है'
पत्र में बताया गया की खिलजी बादशाह ने अपनी संस्कृत के प्रचार प्रसार के क्रम में जनपद का नामकरण सुल्तानपुर कर दिया। बीजेपी विधायक ने लिखा की आज के प्रजातांत्रिक युग में सुल्तान जैसे नाम जनता की आंखों में खटकते रहते हैं और इसे बदलवाने के लिये कई बार जन आंदोलन हुए हैं ज्ञापन दिए गए। जनता के लिए एक संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है।

'सांस्कृतिक प्रतीकों का हमारे लिए विशेष महत्त्व'
सीएम को लिखे पत्र में बीजेपी विधायक विनोद सिंह ने मुख्यमंत्री योगी को अवगत कराया है की हाल के विधानसभा चुनाव में 25 फरवरी को कटका में आयोजित सभा में आपने भी इस मुद्दे को उठाया था अजंता ने अपना सकारात्मक समर्थन दिया था बीजेपी विधायक ने बताया है की हम सब सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पद के पथिक हैं इसलिए सांस्कृतिक प्रतीकों का हमारे लिए विशेष महत्त्व है।

फ़र्रुख़ाबाद से बीजेपी सांसद मुकेश राजपूत ने फ़र्रूख़ाबाद का नाम बदलकर पांचालनगर करने की मांग की थी। उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी भी लिखी है। उन्होंने अपनी चिट्ठी में इस इलाके के महत्व का वर्णन करते हुए लिखा था कि यह इलाका प्राचीन काल में पांचाल क्षेत्र कहलाता था। यह शहर पांचाल की राजधानी हुआ करती थी। कालांतर में बौद्ध और जैन धर्म का केंद्र भी रहा। जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर श्रृषभ देव ने यहां अपना पहला उपदेश दिया था। हालांकि जिले का नाम अभी बदला नहीं गया है। 

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