यूपी में डेंगू के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। हालांकि यह संख्या पिछली बार की अपेक्षा कम है। इस बीच सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों पर हाईकोर्ट ने सवाल भी उठाए हैं।
लखनऊ: यूपी के अलग-अलग जिलों में डेंगू के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है। इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने भी डेंगू के बढ़ते प्रकोप के बीच राज्य सरकार, नगर निगम की ओर से उठाए जा रहे कदमों को नाकाफी बताया। हाईकोर्ट ने कहा कि कागजों के साथ-साथ जमीन पर भी काम होता नजर आए और फॉगिंग के नाम पर सिर्फ औपचारिकता ही न हो। ज्ञात हो कि इससे पहले कोर्ट ने वेक्टरजनित रोगों की रोकथाम को लेकर किए जा रहे प्रयासों पर हलफनामा भी मांगा था।
डॉक्टर बोले डेंगू का बदला रूप बना रहा खतरा
यूपी के लखनऊ, कानपुर, मेरठ, बरेली, फतेहपुर, कन्नौज, उन्नाव, बाराबंकी और गोरखपुर समेत कई जिलों में रोजाना डेंगू के मरीज सामने आ रहे हैं। डेंगू का नया वैरिएंट मरीजों पर धोखे से हमला कर रहा है। डॉक्टरों ने बताया कि मरीज ठीक होने के बाद अचानक ही उसकी प्लेटलेट्स कम होने लगती है। इस तरह के लक्षण कई मरीजों में देखे गए जहां रोगी को पहले दो दिन बुखार रहा। उसके बाद तीसरे दिन बुखार उतरा तो रोगी ने खुद को स्वस्थ महसूस किया। फिर उसकी प्लेटलेट्स अचानक से कम होने लगती हैं। केजीएमयू माइक्रोबायोलॉजी विभाग के द्वारा बताया गया कि इस बार मानसून काफी देर तक सक्रिय रहा। इसी के चलते अक्टूबर तक बारिश हुई और जगह-जगह पानी जमा हुआ। नमी का प्रभाव भी रहा। यह मौसम मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल रहा। ठंड बढ़ने पर इनका प्रकोप कम हो जाएगा। डेंगू से निपटने के लिए फॉगिंग करवाई जा रही है लेकिन ज्यादा फॉगिंग के साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं।
पिछले साल से कम है डेंगू के मरीजों का आंकड़ा
यूपी में डेंगू ने 2021 में 25,383 लोगों को अपना शिकार बनाया था। वहीं साल 2022 में डेंगू ने अब तक तकरीबन 9 हजार लोगों को अपनी चपेट में लिया है। आंकड़ों की बात की जाए तो रोजाना औसतन 200 लोग डेंगू से पीड़ित हो रहे हैं। हालांकि पिछले साल ये आंकड़ा 300 से अधिक हुआ करता था। इस वर्ष डेंगू से हुई मौत के आंकड़ों में भी कमी देखी गई। इस बीच मरीजों की मदद के लिए स्वास्थ्य महानिदेशालय में राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम भी तैयार किया गया है। इस कंट्रोल रूम में दो हेल्पलाइन नंबर के 18001805145 के जरिए भी मरीजों की मदद की जा रही है।
सरकार भी कर रही कई प्रयास
डेंगू से लोगों की जान बचाने के लिए सरकार भी कई प्रयास कर रही है। तमाम जागरूकता अभियानों के अलावा एंटी लार्वा के छिड़काव और फॉगिंग पर भी जोर दिया जा रहा है। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री खुद जाकर जनपदों में अस्पतालों का निरीक्षण कर रहे हैं और जनपद के अधिकारियों को भी निर्देश दिए जा रहे हैं। मरीजों के इलाज में लापरवाही न बरतने, प्लाज्मा और बेड का इंतजाम, समय-समय पर अस्पतालों के निरीक्षण को लेकर भी दिशा-निर्देश जारी किए जा रहे हैं।
कैसे फैलता है डेंगूं और क्या है इसके लक्षण
डेंगू फैलाने वाले एडीज मच्छर गंदे या इक्टठा हुए पानी में आते हैं। ज्यादातर यह गमले या कूलर के पानी में पनपते हैं। इसी के चलते सलाह भी दी जाती है कि कहीं पर भी पानी जमा न होने दें। डेंगू से पीड़ित होने पर कुछ ही दिनों में लक्षण दिखने लग जाते हैं।
* संक्रमित मच्छर के काटने के बाद बुखार आमतौर पर 4 से 10 दिन में शुरू होता है।
* मसल्स, हड्डियों या फिर जोड़ों में दर्द होना।
* शरीर में रैशेज होना और आंखों के पीछे दर्द होना।
* चिड़चिड़ापन और ज्यादा थकान महसूस होना।
* उल्टी आया या फिर जी मिचलाना।
* उल्टी, नाक या फिर मसूड़ों से खून का आना।
इस तरह से करें डेंगू से बचाव
* डेंगू से बचाव के लिए सबसे जरूरी है कि उस जगह पर जाने से बचा जाए जहां डेंगू के मच्छर काटे जाने की आशंका हो।
* घर के आसपास साफ-सफाई रखना।
* कूलर या किसी भी जगह पर जानी पानी जमा हो उसे दो-तीन दिन में साफ जरूर करें। गमले या सड़कों पर भी पानी जमा न होने दें।
* डेंगू होने पर पपीते के पत्तों या खानपान का ध्यान रखकर।
बुखार आने पर क्यों करवाए टेस्ट
डेंगू के लक्षण वायरल फीवर और मलेरिया से काफी मिलते हैं। इसी के चलते कई बार बुखार आने पर लक्षणों की सही से पहचान नहीं हो पाती है। डॉक्टर बुखार आने और डेंगू से पीड़ित होने का संदेह होने पर टेस्ट की सलाह देते हैं और इसके जरिए पता चलता है। एलाइजा टेस्ट से 100 फीसदी तक सही रिजल्ट आता है। एलाइजा में भी 2 तरह के टेस्ट होते हैं। इसमें पहला टेस्ट आईजीएम और दूसरा आईजीजी होता है। डॉक्टर बताते हैं कि आईजीएम टेस्ट डेंगू के लक्षण आने से 3-5 दिन के अंदर-अंदर करवाना जरूरी होता है। जबकि दूसरा टेस्ट यानी आईजीजी भी 5 से 10 दिन के अंदर करवाना अनिवार्य है।