माघ मेला में भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर हुए धर्माचार्य, 16 जनवरी से करेंगे आंदोलन

कल्पवासियों के लिए शौचालय तक की ठीक से व्यवस्था नहीं है। जगह-जगह गड्ढे खोदकर छोड़ दिए गए, जिसके कारण कल्पवारियों को खुले में शौच करने जाना पड़ रहा है, जबकि इसके लिए सरकार ने बजट भी जारी किया है।
 

Ankur Shukla | Published : Jan 12, 2020 3:49 PM IST

प्रयागराज (uttar pradesh) । माघ मेला में अव्यवस्था के कारण साधु-संत के साथ-साथ कल्पवासी परेशान हैं। सुविधाओं के नाम पर कागजी कोरपूर्ति की गई है। वहीं, मेला प्रशासन पर भ्रष्टाचार का आरोप भी अब लगने लगा है। अब अखिल भारतीय संयुक्त धर्माचार्य मंच ने 16 जनवरी से आंदोलन करेगा। इसके लिए आज मेला क्षेत्र में बैठक भी की।

साधु संत हो रहे हैं प्रताड़ित
अखिल भारतीय संयुक्त धर्माचार्य मंच के महामंत्री आचार्य कुश मुनि स्वरूप ने कहा कि जब से प्रयागराज मेला प्राधिकरण बना है प्रयागराज का माघ मेला भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है। साधु संत प्रताडित हो रहे हैं। 

इस बार हो रही सुविधाओ के नाम पर कटौती
माघ मेला में मूलभूत सुविधा बिजली, पानी शौचालय में कटौती नहीं की गई, लेकिन इस बार माघ मेले में हो रही है। साधु संतों से कहा जा रहा है कि अपने शिविर में एम सी बी लगवाइए वर्ना बिजली कनेक्शन काट दिया जाएगा। यह इसलिए क्योंकि माघ मेला प्रशासन बिजली से होने वाले कांड की जिम्मेदारी लेना नहीं चाहता है। 

सरकारी विभागों के लिए ली गई जमीनें
आचार्य कुश मुनि स्वरूप ने कहा कि माघ मेला में साधु संतों के शिविर के लिए जगह नहीं है, क्योंकि तमाम सरकारी विभागों ने जरूरत से ज्यादा जमीन ले ली है। माघ मेला अब सरकारी विभागों के लिए पिकनिक स्पाट बन गया है। माघ मेला की सुरक्षा का हाल यह है कि माघ मेला 2020 का इन्श्योरेंस भी नहीं है। 

तीर्थ यात्रियों का उत्पीडन का हो रहा उत्पीड़न
आरोप है कि वाहन प्रतिबंध के नाम पर माघ मेला पुलिस संतों, कल्पवासियों और तीर्थ यात्रियों का उत्पीडन कर रही है। माघ मेला का अधिकांश बजट सरकारी विभागों के कार्यालयों, अफसरों की संस्थाओं और वीआईपी कैंप को सजाने में जा रहा है।
 

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