
वाराणसी: ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत वाले शहरों में नवनिर्माण पर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन में परिचर्चा हुई। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि पर्यटन एवं धर्मार्थ कार्य मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी ने काशी की प्राचीनता के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के दिशा-निर्देश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने काशी के नवनिर्माण के लिए जो प्रयास किए गए हैं, वह उनकी और प्रदेश सरकार की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत वाले शहरों के उचित एवं समग्र विकास के प्रति प्रतिबद्धता दिखाते हैं।
एकेटीयू के कुलपति प्रोफेसर विनीत कंसल ने अपने स्वागत उद्बोधन में वैज्ञानिक सोच को धरातल पर होने वाले कार्य से जोड़ने के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि हम एकेटीयू से संबद्ध 750 कालेजों में पढ़ने वाले छात्र एवं उनके गुरुओं की सोच को व्यवहारिक धरातल से जोड़ने के लिए कटिबद्ध हैं। प्राविधिक शिक्षा के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने ऐतिहासिक शहरों के विकास के लिए उत्तर प्रदेश शासन की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने ऐतिहासिक शहरों के समस्त हितधारकों के विचारों को समाहित करने के लिए भविष्य में इस तरह के समागम करने की योजना भी साझा की।
एकेटीयू लखनऊ के वास्तु कला संकाय की डीन डॉ. वंदना सहगल ने विभिन्न ऐतिहासिक शहरों के ऊपर बनाए अपने रंगचित्र प्रदर्शित किए। उन्होंने पंचकोसी यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि वाराणसी में मूर्त और अमूर्त दोनों तरह के धरोहर हैं। इनका सचेत अनुभव केवल वाराणसी में आकर ही हो सकता है। मध्य भारत विज्ञान भारती के अध्यक्ष डा. अमोघ गुप्ता ने कहा कि ज्ञान को जनहित के लिए लिपिबद्ध करके जनसुलभ करने पर वह विज्ञान हो जाता है। वैज्ञानिकों के लिए एक संग्रहालय उज्जैन में बनाने की योजना चल रही है, जो शायद देश में पहला होगा।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री प्राविधिक शिक्षा जितिन प्रसाद ने दूरस्थ माध्यम से अपनी शुभकामनाएं भेंजी। विशेष सचिव, प्राविधिक शिक्षा सुनील चौधरी ने एकेटीयू एवं आईआईटी बीएचयू को कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए धन्यवाद दिया।
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