
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा-रालोद गठबंधन पर टिकट बेचने का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय लोक दल के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले डा. मसूद अहमद ने कहा है कि गठबंधन चुनाव इसलिए हारा क्योंकि अखिलेश यादव अति उत्साह में यह मान चुके थे कि वह मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। नतीजा उल्टा आया।
'कांग्रेस को छोड़ सभी राजनीतिक पार्टियां बेंचती हैं टिकट'
डा. मसूद ने कहा कि कांग्रेस को छोड़ सभी राजनीतिक पार्टियों में टिकट बेचे जाते हैं। उन्होंने बताया कि वह भारतीय क्रांति मोर्चा नामक गैर राजनीतिक संगठन गठित कर अल्पसंख्यकों, दलितों, पिछड़ों और किसानों की आवाज उठाकर उनके लिए संघर्ष करते रहेंगे। मोर्चा की बैठक जल्द ही मुरादाबाद में होगी।
डा. मसूद अहमद ने कहा कि किसान आंदोलन की वजह से गठबंधन की लहर थी। यह बात और है कि गठबंधन अति आत्मविश्वास, सीटों के बंटवारे को लेकर ऊहापोह और टिकटों के वितरण में घालमेल के कारण हारा।
'पुराने नेताओं को नहीं मिला टिकट'
उन्होंने कहा कि गठबंधन में एका नहीं था और उसके घटक दलों में दूरी बनी रही। जयंत चौधरी जो सीटें मांग रहे थे, उन्हें नहीं मिली। हमारे कई नेता जो दो-तीन बार के विधायक थे और जिन्हें जनता पहचानती थी, चुनाव नहीं लड़ पाए। घटक दल के प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते वह खुद टांडा से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे लेकिन उन्हें टिकट के काबिल नहीं समझा गया।
डा. मसूद अहमद ने कहा कि विधानसभा चुनाव के पहले चरण के बाद रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कहीं मंच साझा करते नहीं दिखे। आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर के साथ जो दुर्व्यवहार हुआ, उससे दलित भाजपा की ओर चले गए। उन्होंने गठबंधन के नेतृत्वकर्ताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि मुसलमानों के वोटों की चाहत रखने वाले मुस्लिमों से जुड़े मुद्दों पर चुप्पी साधे रहे।
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