फाजिलनगर सीट रिजल्ट 2022: सपा की साइकिल विधानसभा नहीं ले जा पाए स्वामी प्रसाद मौर्य, बुरी तरह हारे

Published : Mar 10, 2022, 11:06 AM ISTUpdated : Mar 10, 2022, 07:03 PM IST
फाजिलनगर सीट रिजल्ट 2022: सपा की साइकिल विधानसभा नहीं ले जा पाए स्वामी प्रसाद मौर्य, बुरी तरह हारे

सार

कैबिनेट मंत्री का पद छोड़कर सपा में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya ) कुशीनगर जिले की फाजिलनगर विधानसभा सीट से चुनाव  हार गए हैं। पडरौना विधानसभा सीट छोड़कर नए सीट व नए सिंबल पर आए स्वामी के सामने भाजपा से अधिक मुश्किल उनकी नई पार्टी के पुराने सिपाहसलार ही खड़ा कर रखी थी। फाजिलनगर विधानसभा में छठवें चरण में 3 मार्च को वोटिंग हुई है।  

कुशीनगर: यूपी विधानसभा चुनाव से पहले योगी सरकार से कैबिनेट मंत्री का पद छोड़कर सपा में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya ) कुशीनगर जिले की फाजिलनगर विधानसभा सीट से चुनाव  हार गए हैं। पडरौना विधानसभा सीट छोड़कर नए सीट व नए सिंबल पर आए स्वामी के सामने भाजपा से अधिक मुश्किल उनकी नई पार्टी के पुराने सिपाहसलार ही खड़ा कर रखी थी। फाजिलनगर विधानसभा में छठवें चरण में 3 मार्च को वोटिंग हुई है।  

चुनाव के पहले बीजेपी छोड़कर सपा में गए स्वामी प्रसाद मौर्य चुनाव हार गए हैं। यहां बीजेपी के सुरेन्‍द्र कुशवाहा ने जीत दर्ज की है। कुशवाहा ने यहां 26 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की है। ऐसे में स्वामी प्रसाद ने ट्वीट करते हुए सभी विजयी प्रत्याशियों को बधाई देते हुए कहा है कि चुनाव हारा हूं, हिम्मत नहीं. संघर्ष का अभियान जारी रहेगा।

इलाहाबाद यूनिवर्स‌िटी से हासिल की डिग्री
वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का साथ छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए थे और अब 2022 विधानसभा चुनाव से पहले वह भाजपा छोड़ सपा का हाथ थाम लिया हैं। यूपी के प्रतापगढ़ जिले में जन्मे मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने इलाहाबाद यूनिवर्स‌िटी से लॉ में स्नातक और एमए की डिग्री की हासिल की है।

1980 में उन्होंने राजनीति में सक्रिय रूप से कदम रखा। वह इलाहाबाद युवा लोकदल की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बने और जून 1981 से सन 1989 तक महामंत्री पद पर रहे। इसके बाद 1989 से सन 1991 तक यूपी लोकदल के मुख्य सचिव रहे। मौर्य 1991 से 1995 तक उत्तर प्रदेश जनता दल के महासचिव पद पर रहे। 1996 को स्वामी प्रसाद मौर्य ने बसपा की सदस्यता ली और प्रदेश महासचिव बने। इसके बाद उन्होंने बसपा के टिकट पर डलमऊ, रायबरेली से विधानसभा सदस्य बने और चार बार विधायक बने। मंत्री ने 2009 में पडरौना विधानसभा उपचुनाव जीता और केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह की मां को हराया। 2016 में उन्होंने बसपा से बगावत करके भाजपा का हाथ थाम लिया था। 

क्यों बदली सीट 
आरपीएन के भाजपा में आते ही काफी उठापटक हुई और स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) पडरौना से फाजिलनगर (Fazil Nagar seat) शिफ्ट कर दिए गए। उनके लिए अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने सुरक्षित सीट चुनी क्योंकि विशेषज्ञों का मानना था कि आरपीएन के बीजेपी में आने से पडरौना में स्वामी प्रसाद की सीट फंस सकती है। 

कितनी संपत्ति के मालिक हैं मौर्य
नामांकन पत्र में स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी कुल संपत्ति 1 करोड़ 93 लाख 89 हजार 554 रुपये बताया है। जबकि पत्नी शिवा मौर्य की कुल संपत्ति 2 करोड़ 21 लाख 12 हजार 836 रुपये घोषित की है। स्वामी प्रसाद मौर्य के पास 50 हजार रुपये नकद है जबकि उनकी पत्नी के पास 65 हजार रुपये नकदी है। इसके अलावा स्वामी प्रसाद मौर्य के पास 30 हजार रुपये की नीलम की अंगूठी है। उनके पास एक रिवाल्वर और एक राइफल भी है।

कौन-कौन था मैदान में
भाजपा-सुरेंद्र कुशवाहा
कांग्रेस-  मनोज उर्फ सुनील सिंह
सपा- स्वामी प्रसाद मौर्य
बसपा- इलियास अंसारी 

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