राजधानी लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज यानी केजीएमयू (KGMU) से महिला डॉक्टर की ओर से तीमारदारों से बदसलूकी करने व मानसिक प्रताड़ना देने का मामला सामने आया। डॉक्टर और कर्मचारियों की तानाशाही से परेशान होकर अस्पताल में भर्ती महिला मरीज के बेटे ने लोगों से न्याय की गुहार लगानी शुरू कर दी।
हेमेंद्र त्रिपाठी
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत बीते कार्यकाल में कानून मंत्री रहे बृजेश पाठक (Brajesh Pathak) को इस बार स्वास्थ्य मंत्रालय (health Ministry) सौप दिया गया। प्रदेश की जनता में एक बार फिर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के मिलने की उम्मीद जगने लगी। इधर स्वास्थ्य विभाग (Health Department) की जिम्मेदारी हाथ मिलते ही बृजेश पाठक ने मोर्चा संभालते हुए अस्पतालों का औचक निरीक्षण करना शुरू कर दिया। यूपी के स्वास्थ्य मंत्री की ओर से व्यवस्थाओं को लेकर दिखाई जा रही सक्रियता के बावजूद राजधानी लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज यानी केजीएमयू (KGMU) से महिला डॉक्टर की ओर से तीमारदारों से बदसलूकी करने व मानसिक प्रताड़ना देने का मामला सामने आया। डॉक्टर और कर्मचारियों की तानाशाही से परेशान होकर अस्पताल में भर्ती महिला मरीज के बेटे ने लोगों से न्याय की गुहार लगानी शुरू कर दी। मामला सोशल मीडिया पर तूल पकड़ता उससे पहले ही यूपी स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक के घटना को संज्ञान में लेते हुए पीड़ित को न्याय दिलाने और जिम्मेदारों कर उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
जानिए, क्या था पूरा मामला -
पूरा मामला यूपी की राजधानी लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी यानी केजीएमयू का है। जहां बीते 5 दिन पहले आजमगढ़ से पीयूष सिंह अपनी मां का इलाज कराने आए, जिन्हे ट्रामा सेंटर के न्यूरोसर्जरी विभाग में भर्ती कराया गया। पीयूष ने बताया कि उनकी मां के इलाज को लेकर बीते 15 अप्रैल को डॉक्टर ने दो यूनिट ब्लड की मांग की थी, जिसे देर रात एक संगठन के लोगों की मदद से पूरा कराया गया। पीयूष का कहना है कि 16 अप्रैल की सुबह अचानक डॉक्टर ने दोबारा से ब्लड की मांग की। सोशल मीडिया के जरिए एक स्थानीय पत्रकार मौके पर डोनेशन के लिए पहुंचे। लेकिन वहां मौजूद सरिता नाम की महिला डॉक्टर ने पत्रकार शब्द सुनते ही ब्लड लेने और इलाज करने से इंकार कर दिया और मरीज को वहां से ले जाकर कहीं और भर्ती कराने को कहा। इतना ही नहीं, पीड़िता पीयूष का कहना है कि उनकी मां को ब्रेन हैमरेज हुआ है, जिसके चलते वे लगातार डॉक्टर के आगे हाथ जोड़ते रहे लेकिन सरिता नाम की महिला डॉक्टर पीयूष व उनके परिवार के साथ अभद्रता करती रहीं।
विभागीय अफसरों से शिकायत होने पर नाराज हुई थीं महिला डॉक्टर
मिली जानकारी के अनुसार, 16 अप्रैल की सुबह ब्लड डोनेट करने पहुंचे डोनर ने जैसे ही खुद को पत्रकार बताया, उसी दौरान महिला के इलाज में जुटे कर्मचारी और डॉक्टरों में हड़कंप मच गया। वे इस बात से नाराज हुए कि उन्होंने पत्रकार को क्यों बुलाया। पीड़ित पीयूष और उसके परिवार के साथ हो रही अभद्रता को देखकर पत्रकार ने मामले की जानकारी अस्पताल के CMS और पीआरओ को दी। मामला को लेकर हुई शिकायत के बाद महिला डॉक्टर इस कदर नाराज हुईं कि उन्होंने महिला का इलाज करने से ही इंकार कर दिया। पीयूष ने बताया कि मामले के बाद कुछ सीनियर डॉक्टर मौके पर आए और समझाकर चले गए। लेकिन कुछ देर बाद ही महिला डॉक्टर ने मरीज को यहां से ले जाने की बात कहते हुए परिसर में अनाउंसमेट कराना शुरू कर दिया।
10 मिनट पहले तक इलाज के लिए तैयार थे डॉक्टर- पीड़ित
पीड़ित पीयूष ने यह भी बताया कि उसकी मां के भर्ती होने के बाद से लगातार डॉक्टर बेहतर इलाज देने और उन्हे स्वस्थ करने का दावा कर रहे थे। लेकर सुबह पत्रकार के आने के बाद महज 10 मिनट बाद ही उन्होंने अपना फैसला बदल दिया और इलाज करने से मना कर दिया। इतना ही नहीं, पीड़ित ने बताया कि महिला डॉक्टर ने यह तक कहा कि 'किसी और अस्पताल में भी इलाज नहीं होने देंगे। और साथ ही अभद्रता के साथ देख लेने की धमकी भी दी।
सोशल मीडिया से सामने आया पूरा मामला, डिप्टी सीएम ने कार्रवाई के दिए निर्देश
घटना के बाद से लगातार पीड़ित पीयूष और उसके परिवार को परेशान किया जा रहा था। वहीं, यह मामला सोशल मीडिया पर भी तूल पकड़ने लगा। घटना के बाद से सोशल मीडिया यूजर्स और विपक्ष के नेताओं ने हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक की ओर से किए गए औचक निरीक्षक को लेकर सवाल खड़े करना शुरू कर दिया। इसी बीच समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के नेताओं ने प्रदेश सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को को लेकर जमकर घेरा। सोशल मीडिया पर मामला बढ़ता देकर यूपी के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने घटना को संज्ञान में लेते आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि 'के०जी०एम०यू, लखनऊ में अपनी माँ के इलाज हेतु आये एक बेटे के साथ अभद्र व्यवहार व उचित इलाज न होने के प्रकरण का तत्काल संज्ञान लेकर मैंने उक्त प्रकरण पर जिम्मेदार अधिकारियों से आख्या प्रस्तुत करने एवं जिम्मेदार व्यक्तियों के विरुद्ध कठोरतम कार्यवाही करने के निर्देश दिये हैं'।
डिप्टी सीएम तक मामला पहुंचते ही हरकत में आया अस्पताल प्रशासन
डिप्टी सीएम के ट्वीट करते ही मामले को लेकर अस्पताल प्रशासन की नींद खुली। आनन - फानन में अस्पताल प्रशासन ने मरीज को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिए प्रबंध करना शुरू कर दिया। केजीएमयू के वाइस चांसलर डॉक्टर पुरी ने Asianet News हिंदी से बात करते हुए बताया कि 'अभी मरीज की हालत स्थिर है और इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी प्रोसीजर के लिए हम काम कर रहे हैं। जिस भी डॉक्टर ने मरीज के अटेंडेट से अभद्र व्यवहार किया है और ठीक तरीके से बातचीत नहीं की है, उन पर हम निश्चित रूप से अनुशासनात्मक कार्रवाई करेंगे'।