आगरा में बंदरों ने इस कदर आतंक मचाया कि लोग अपने घरों में कैद होकर रह गए। कालामहल क्षेत्र में करीब 250 से ज्यादा बंदरों के खौफ के चलते लोग न तो घंटो तक घर से बाहर निकल पाए और न ही घर वापस आ पाए। स्थानीय लोगों का कहना है कि बंदर आए दिन इसी तरह से आतंक मचाते रहते हैं।
आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में बंदरो के आतंक से लोग अपने घरों में कई घंटों के लिए कैद हो गए। आगरा के कालामहल क्षेत्र में करीब 250 से ज्यादा बंदरों ने एक गली में आतंक मचा दिया। जिस कारण लोग अपने घरों से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा सके। स्कूलों में दो बजे की छुट्टी के बाद बच्चे बंदरो की लड़ाई की वजह से अपने घर नहीं जा सके। जिस कारण काफी देर तक लोगों को अपने घर से बाहर जाने और बाहर से घर लौटने के लिए घंटो इंतजार करना पड़ा।
बंदरों की दहशत से घरों में कैद रहे लोग
बताया जा रहा है कि कालामहल क्षेत्र में करीब 250 से ज्यादा बंदरों ने कब्जा कर लिया। घर में कैद लोगों ने बताया कि दोपहर 12 बजे से लेकर 3 बजे तक उनके क्षेत्र में बंदरों ने आतंक मचा दिया। काफी देर बाद सभी लोगों ने एक साथ मिलकर लाठी-डंडों से डराकर बंदरों को इलाके से भगाया। बंदरों के गली खाली करने के बाद बच्चे घर वापस आ सके और लोग अपने घरों से सुरक्षित बाहर निकल सके। क्षेत्र में जमा बंदरों के काटने के खौफ से लगभग दो घंटे तक लोग अपने घरों में ही बंद रहे।
शहर में 40,000 से ज्यादा है बंदरों की संख्या
जानकारी के मुताबिक, शहर में करीब 40 हजार से ज्यादा बंदरों का कब्जा है। इससे पहले भी कई बार बंदर आतंक मचा चुके हैं। करीब 1 महीने पहले रावतपाड़ा क्षेत्र में बंदर का एक बच्चा जालीदार कमरे में कैद हो गया था। जिसके बाद शहर के लगभग 300 से ज्यादा बंदरों ने घर को घेर लिया था। बंदरों द्वारा घर घेरे जाने पर वहां के निवासियों को दिक्कतों का समना करना पड़ा था और लोगों के बीच दहशत फैल गई थी। जिसके बाद बड़ी मुश्किल से बंदर के बच्चे को बाहर निकाला गया। तब जाकर बंदरों ने इलाके को खाली किया था। लोगों का कहना है कि आए दिन लोग इन बंदरों के आतंक से परेशान हुआ करते हैं।
दहशत में रहने को मजबूर स्थानीय लोग
बंदरों को पकड़ने और उनकी नसबंदी करने को लेकर नगर निगम और वन विभाग दोनों एक दूसरे की जिम्मेदारी बता कर कई वर्षों से इस मामले को टाल रहे थे। हाईकोर्ट के आदेश के बाद नगर निगम ने वन विभाग को 10 हजार बंदर पकड़ने और उनकी नसबंदी कर उन्हीं इलाकों में छोड़ने का जिम्मा सौंपा था। लेकिन लखनऊ के प्रधान मुख्य वन संरक्षक की अनुमति नहीं मिलने पर लोग बंदरों द्वारा आएदिन किए जा रहे आतंक के साए में डर-डर कर रहने के लिए मजबूर हैं।
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