Special Story: जहां गिरा था झुमका, फ्लाईओवर में खो जाएगा बरेली का वो कुतुबखाना बाजार

1966 में बनी मेरा साया फिल्म के गीत- झुमका गिरा रे बरेली की बाजार में... के बाद से सुर्खियों में आए बरेली के कुतुबखाना बाजार में जहां अमिताभ बच्चन की मां तेजी बच्चन का झुमका गिरा था, उस जगह की पहचान अब फ्लाईओवर में खो जाएंगी। बरेली के झुमका बाजार को अब फ्लाईओवर बनाकर नया स्वरूप देने की तैयारी पूरी कर ली गई है।  विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते फंसा निर्माण इसी माह शुरू होने के आसार हैं।

Asianet News Hindi | Published : Apr 16, 2022 5:17 AM IST

राजीव शर्मा
बरेली:
यह तब का किस्सा है, जब हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन की शादी भी नहीं हुई थी। कवि सम्मेलन के आयोजनों के सिलसिले में तेजी बच्चन बरेली आती थीं। हरिवंश राय भी आते थे और यहां सिविल लाइंस में स्थित बाल सहित्यकार निरंकार देव सेवक के आवास पर रुकते थे। एक बार तेजी बच्चन बरेली पहुंचीं। सेवक के आवास पर तांगे से जा रही थीं, तब बरेली में कुतुबखाना ही प्रमुख बाजार हुआ करता था, यहां कहीं उनके कान का झुमका गिर गया। यह बात उन्होंने सेवक जी के आवास पर पहुंचकर पहले से ही मौजूद हरिवंश राय बच्चन को बताई, तब तो बात आई-गई हो गई लेकिन उसके कुछ समय बाद बच्चन जी ने मुंबई में अपने मित्र गीतकार राजा मेंहदी अली खान से बरेली में तेजी बच्चन का झुमका गिर जाने का जिक्र किया। इसके बाद पता नहीं मेंहदी अली को क्या सूझा, उन्होंने इस पर गीत ही लिख डाला- झुमका गिरा रे बरेली की बाजार में... और फिर उसे फिल्म निर्देशक राजा घोसला ने 1966 में अपने निर्देशन में रिलीज की फिल्म- मेरा साया में फिल्मा दिया तो बरेली शहर इतना मशहूरा हुआ कि यहां का कुतुबखाना बाजार झुमका बाजार के तौर पर भी जाना जाने लगा।

56 साल में भी न बदला था झुमका बाजार
यह तो किस्सा है, बरेली के झुमके का, लेकिन मेरा साया फिल्म आने के 56 साल बाद भी बरेली का झुमका बाजार यानी कुतुबखाना के बाजार में कुछ भी न बदला था, पर अब बदलने जा रहा है। असल में, बरेली शहर को स्मार्ट बनाने की कड़ी में कुतुबखाना बाजार में पिछले साल 2021 में फ्लाईओवर मंजूर किया गया था। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से जुड़े अफसरों और जनप्रतिनिधियों ने इसे मंजूरी इस तर्क पर दी कि फ्लाईओवर बनने से बाजार में जाम लगने की समस्या से मुक्ति मिल जाएगी। अलबत्ता, यहां के हजारों दुकानदार फ्लाईओवर का विरोध कर रहे थे। इसके लिए उन्होंने धरना-प्रदर्शन भी किए। दुकानदारों का कहना था कि जाम के नाम पर फ्लाईओवर बनाए जाने से झुमका बाजार की पहचान खो जाएगी और यहां पुराना बाजार खत्म हो जाएगा। व्यापारियों का तर्क था कि जाम की समस्या तो पुलिस बंदोबस्त से दूर होगी इसलिए पुलिस को जाम का समाधान करना चाहिए, न कि फ्लाईओवर का निर्माण किया जाना चाहिए। इसके बाद भी यह प्रोजेक्ट न थमा और 133 करोड़ लागत से 1377 मीटर लंबे फ्लाईओवर को मंजूरी मिल गई। चूंकि विधानसभा चुनाव नजदीक थे इसलिए अफसरों और जनप्रतिनिधियों ने दुकानदारों के विरोध को देखते हुए फ्लाईओवर के निर्माण पर चुप्पी साध ली थी लेकिन अब चुनाव भी निपट चुके हैं इसलिए फिर से फ्लाईओवर निर्माण की तैयारी तेज हो गई है।

इसी माह शुरू हो सकता है निर्माण
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से जुड़े अफसरों ने तैयारी तेज कर फ्लाईओवर का निर्माण की प्रक्रिया आगे बढ़ा दी है। चूंकि निर्माण के लिए टेंडर निकाला जा चुका है इसलिए अफसरों ने संकेत दिए हैं कि इसी माह अप्रैल में फ्लाईओवर का निर्माण शुरू करा दिया जाएगा। माना जा रहा है कि अगले डेढ़ साल में फ्लाईओवर बनकर भी तैयार हो जाएगा। ऐसा होने पर झुमका लोकेशन की पहचान फ्लाईओवर में खो जानी तय है।

व्यापारी अब भी पक्ष में नहीं
कुतुबखाना बाजार में भले ही अफसर फ्लाईओवर का निर्माण शुरू कराने जा रहे हैं लेकिन यहां के व्यापारी और अभी भी इसके पक्ष में नहीं हैं। कुतुबखाना बाजार बचाओ संघर्ष समिति से जुड़े व्यापारी नेता संजय आनंद कहते हैं कि कुतुखाना पर फ्लाईओवर की कोई जरूरत नहीं है फिर भी अफसर स्मार्ट सिटी का पैसा खर्च करने पर आमादा हैं। वह कहते हैं कि जनप्रतिनिधि भी इस बात को नहीं समझ पा रहे, यह अफसोसजनक है। संजय आनंद कहते हैं कि फ्लाईओवर के विरोध में व्यापारी पहले भी थे और अब भी हैं।

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