पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद का निधन, पैदल और रिक्शा से करते थे सफर, 5 बार MLA और 1 बार बने थे मंत्री

मछलीशहर के कजियाना मोहल्ले में जन्मे माता प्रसाद साल 1980 से 1992 तक 12 वर्ष उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य रहे। प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने इन्हें अपने मंत्रिमंडल में 1988 से 89 तक राजस्व मंत्री बनाया था। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 20, 2021 5:46 AM IST / Updated: Jan 20 2021, 12:54 PM IST


लखनऊ (Uttar Pradesh)। अरुणाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद का मंगलवार की देर रात पीजीआइ लखनऊ में निधन हो गया। वे 97 साल के थे और शाहगंज (सुरक्षित) विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर 1957 से 1974 तक लगातार पांच बार विधायक थे। 

एमएलसी और राजस्व मंत्री भी थे माता प्रसाद
मछलीशहर के कजियाना मोहल्ले में जन्मे माता प्रसाद साल 1980 से 1992 तक 12 वर्ष उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य रहे। प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने इन्हें अपने मंत्रिमंडल में 1988 से 89 तक राजस्व मंत्री बनाया था।

आडवाणी की बातों को कर दिए थे दर किनार
केंद्र की नरसिंह राव सरकार ने 21 अक्टूबर 1993 को इन्हें अरुणाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया था। 31 मई 1999 तक यह राज्यपाल रहे। राज्यपाल पद पर रहते हुए उनको तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने पद छोड़ने को कहा तो उन्होंने दरकिनार कर दिया था। 

साहित्यकार के रूप में थी पहचान
सादगी के लिए प्रसिद्ध माता प्रसाद पैदल और रिक्शे से चलते थे। वे साहित्यकार के रूप में भी जाने जाते रहे। उन्होंने एकलव्य खंडकाव्य, भीम शतक प्रबंध काव्य, राजनीति की अर्थ सतसई, परिचय सतसई, दिग्विजयी रावण जैसी काव्य कृतियों की रचना ही नहीं की वरन अछूत का बेटा, धर्म के नाम पर धोखा, वीरांगना झलकारी बाई, वीरांगना उदा देवी पासी, तड़प मुक्ति की, धर्म परिवर्तन प्रतिशोध, जातियों का जंजाल, अंतहीन बेड़ियां, दिल्ली की गद्दी पर खुसरो भंगी जैसे नाट्य भी लिखे थे।
 

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