पूर्व सांसद धनंजय सिंह भेजे गए जेल, जौनपुर से हुए थे सोते समय गिरफ्तार,लगे हैं ये गंभीर आरोप

जौनपुर में करीब 300 करोड़ रुपये से सीवर लाइन बिछाने का काम हो रहा है। इसका काम देख रही कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने आरोप लगाया कि पूर्व सांसद ने पचहतिया में चल रहे कार्यं में बाधा पहुंचाई। पिस्टल सटाकर उनका अपहरण कर लिया। उन्हें धमकी देते हुए रंगदारी मांगी गई। प्रोजेक्ट मैनेजर ने आनलाइन की धनंजय समेत चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। 

जौनपुर (Uttar Pradesh) । पूर्व सांसद धनंजय सिंह को उनके आवास से बीती रात दो बजे आधा दर्जन थाने की फोर्स ने सोते समय गिरफ्तार कर लिया। आज सुबह सीजीएम की कोर्ट में पेश किया गया। जहां से कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। बता दें कि धनंजय सिंह पर पचहटिया स्थित जल निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने गंभीर आरोप लगाया है।  आरोप है कि पूर्व सांसद ने पचहतिया में चल रहे कार्यं में बाधा पहुंचाई। पिस्टल सटाकर उनका अपहरण कर लिया। उन्हें धमकी देते हुए रंगदारी मांगी गई। जिसके आधार पर पुलिस ने केस दर्ज कर यह कार्रवाई की।


यह है पूरा मामला
जौनपुर में करीब 300 करोड़ रुपये से सीवर लाइन बिछाने का काम हो रहा है। इसका काम देख रही कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने आरोप लगाया कि पूर्व सांसद ने पचहतिया में चल रहे कार्यं में बाधा पहुंचाई। पिस्टल सटाकर उनका अपहरण कर लिया। उन्हें धमकी देते हुए रंगदारी मांगी गई। प्रोजेक्ट मैनेजर ने आनलाइन की धनंजय समेत चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। 

रात दो बजे की गिरफ्तारी
केस दर्ज होते ही पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार के निर्देश पर आधा दर्जन थानों फोर्स रात दो बजे पूर्व सांसद के आवास पर पहुंची। लाइन बाजार थाने की पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। धनंजय के साथ उनके एक समर्थक विक्रम सिंह को भी गिरफ्तार कर लाइन बाजार थाने लाया गया है। 

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कौन है धनंजय सिंह
धनंजय सिंह 27 साल की उम्र में साल 2002 में रारी (अब मल्हनी) विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव जीते थे। वह दोबारा इसी सीट पर जनता दल यूनाइटेड के टिकट से जीते, फिर धनंजय सिंह बसपा में शामिल हुए। वर्ष 2009 में वह बसपा के टिकट पर जीत दर्ज कर जौनपुर से सांसद हुए। इससे पहले तीन दशक तक जौनपुर की लोकसभा सीट से बसपा नहीं जीत पाई थी।

बसपा से बाहर होने के बाद भी हैं प्रभावशाली
धनंजय सिंह को बसपा सुप्रमो मायावती ने साल 2011 में पार्टी से निकाल दिया था। बसपा से बाहर होने के बाद भी धनंजय सिंह प्रभावशाली हैं। जौनपुर से वर्ष 2014 में निर्दलीय लोकसभा चुनाव लड़ा, मगर हार गए। साल 2017 में धनंजय सिंह मल्हनी सीट से निषाद पार्टी के बैनर से विधानसभा चुनाव लड़े थे, तब दूसरे स्थान पर रहे थे। हालांकि, साल 2019 का लोकसभा चुनाव वह नहीं लड़े। वहीं, उनपर कई आपराधिक मामले भी दर्ज हैं।

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