जालसाजों ने खुद को बताया उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य का रिश्तेदार, फिर नौकरी दिलाने के नाम पर ठग लिए लाखों रुपए

राजधानी लखनऊ में ठगी का एक बड़ा मामला सामने आया, जहां जालसाजों ने पहले तो यूपी के उप मुख्यमंत्री का रिश्तेदार बताया, फिर झांसे में लेकर बेरोजगार पीड़ितों से लाखों रुपये की ठगी कर ली। ठगी का शिकार हुए लोगों ने बताया कि सभी को रेलवे और राजस्व विभाग में नौकरी दिलाने का झांसा दिया। 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जालसाजी और ठगी करने वाले अलग अलग तरीके अपनाते हुए नजर आते हैं। इसी से जुड़ा हुआ एक नया मामला राजधानी लखनऊ से आया, जहां यूपी के जालसाजों ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या का रिश्तेदार बनकर छह बेरोजगारों से ठगी की घटना को अंजाम दिया। ठगी का शिकार हुए लोगों ने बताया कि सभी को रेलवे और राजस्व विभाग में नौकरी दिलाने का झांसा दिया। पीड़ित ने डीजीपी मुकुल गोयल से शिकायत की, जिस पर गौतमपल्ली थाने में जालसाजों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।


जालसाजों ने पीड़ितों से नौकरी दिलाने के नाम पर 6 लाख रुपये एडवांस हासिल कर लिए। इसके बाद सभी को फर्जी नियुक्ति पत्र भी सौंप दिया। जब ज्वॉइन करने पहुंचे तो हकीकत सामने आई। आरोपियों से रुपये वापस करने को कहा तो धमकी देने लगे। पीड़ित ने डीजीपी मुकुल गोयल से शिकायत की जिस पर गौतमपल्ली थाने में जालसाजों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

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प्रभारी निरीक्षक दिनेश सिंह बिष्ट के मुताबिक, हरदोई के पूरा बहादुर निवासी धर्मवीर सिंह बरेली पुलिस लाइन में रसोइया था, उसको किसी कारण से निकाल दिया गया था। धर्मवीर पैरवी कराने के लिए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या के आवास पर पहुंचा। वहां स्वागत कक्ष में बैठने के दौरान उसकी मुलाकात उन्नाव के मौरावां निवासी रामनारायण कुशवाहा से हुई। रामनारायण ने बताया कि वह कृष्णानगर के सिंधु नगर में रहता है। रामनारायण ने खुद को डिप्टी सीएम का रिश्तेदार बताया।

धर्मवीर से पूरी बात सुनने के बाद रामनारायण ने उसकी नौकरी दूसरे विभाग में लगवाने की बात कही। आरोपी ने धर्मवीर से कहा कि जल्द ही राजस्व विभाग में रिक्तियां आने वाली हैं, उसमें आपकी नौकरी लगवा दूंगा। आरोपी ने धर्मवीर से उसके अलावा दूसरों की भी नौकरी लगवाने का आश्वासन दिया। डिप्टी सीएम का रिश्तेदार समझकर धर्मवीर उसके झांसे में आ गए। राजस्व विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नौकरी के लिए रामनारायण ने धर्मवीर की मुलाकात धर्मराज से कराई थी। धर्मराज ने भी खुद को डिप्टी सीएम का रिश्तेदार बताया था।

राजस्व और रेलवे विभाग का फर्जी नियुक्ति पत्र पकड़ा
धर्मवीर ने सरकारी विभागों में नौकरी मिलने की बात रिश्तेदारों को भी बताई। धर्मवीर के साले महेंद्र पाल, संतोष कुमार, भांजा व दोस्तों ने भी हामी भर दी। धर्मवीर ने रामनारायण को बताया कि छह लोगों की नौकरी दिलानी है। रामनारायण ने हामी भरी। इसके बाद कहा कि छह लोगों के 6 लाख रुपये लगेंगे। उसने कहा कि राजस्व विभाग के अलावा रेलवे में भी नौकरी लग जाएगी। रुपये लेने के बाद आरोपी रामनारायण ने सभी को नियुक्ति पत्र भी दिया।

धर्मवीर का दोस्त राशिद नियुक्ति पत्र लेकर दिल्ली में रेलवे कार्यालय ज्वाइन करने पहुंचा तो वहां पता चला कि नियुक्ति पत्र फर्जी है। पीड़ित धर्मवीर के दोस्त राशिद ने वापस आकर पूरी जानकारी दी। इसके बाद सभी ने पड़ताल शुरू की। सामने आया कि रामनारायण व धर्मराज का डिप्टी सीएम से कोई रिश्ता ही नहीं है। सभी उनके नाम पर दुरुपयोग कर रहे थे। पीड़ित ने डीजीपी मुकुल गोयल से शिकायत की जिस पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। मामले की जांच की जा रही है।

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