लखनऊ के इस घर से था गांधी जी का गहरा नाता, आजादी की लड़ाई में था सबसे भरोसेमंद ठिकाना

आजादी की लड़ाई में लखनऊ का बड़ा योगदान  है। 2 अक्टूबर के दिन जब देश महात्मा गांधी की जयंती देश मनाने जा रहा है तो आज हम आपको लखनऊ के एक घर से महात्मा गांधी के गहरे नाते के बारे में बताने जा रहे हैं।

Asianet News Hindi | Published : Oct 2, 2020 12:04 AM IST / Updated: Oct 02 2020, 02:55 PM IST

लखनऊ. आजादी की लड़ाई में लखनऊ का बड़ा योगदान  है। 2 अक्टूबर के दिन जब देश महात्मा गांधी की जयंती देश मनाने जा रहा है तो आज हम आपको लखनऊ के एक घर से महात्मा गांधी के गहरे नाते के बारे में बताने जा रहे हैं। महात्मा गांधी से लखनऊ का जुड़ाव 1921 में उस समय शुरू हुआ जब मोहम्मद अली जौहर ने लखनऊ में मौलाना अब्दुल बारी फरंगी महली को एक टेलीग्राम लिखकर यह बताया कि महात्मा गांधी लखनऊ आ रहे हैं। इसके बाद महात्मा गांधी जब लखनऊ पहुंचे तो उन्होंने अब्दुल बारी फरंगी महली के घर में अपना ठिकाना बनाया। इसके बाद जब भी गांधी जी लखनऊ आते तो फरंगी महल में ही रुकते।

आज अब्दुल बारी की तीसरी पीढ़ी इस मकान में रहती है जो महात्मा गांधी के उस कमरे को दिखाकर भावुक हो जाती है जिसमें महात्मा गांधी रहा करते थे। अब्दुल बारी के नवासे फैजान अली जो घर का देखरेख करते हैं उन्होंने आज भी इस गांधीजी के कमरे को संभाल कर रखा है। मौलाना बारी के वंशज फैजान अली के मुताबिक आज भी उनके पास गांधी जी द्वारा भेजे गए मूल टेलीग्राम मौजूद हैं। फैजान बताते हैं कि हमने उन टेलीग्राम को बहुत कायदे से संभाल कर रखा है।

3 बार रुके फिरंगी महल में
फैजान के मुताबिक कि गांधीजी लगभग 3 बार फरंगी महल में रुके। फैजान ने हमें वह कमरा भी दिखाया जहां पर गांधीजी रुका करते थे। एक छोटे से कमरे में जहां धन्नी की छत पड़ी थी वहां गांधी जी की यादों को संजो कर रखा गया है। फैजान बताते है कि हमारे नाना हमें बताते थे कि गांधी जी जब भी यहां आते थे उनके साथ हमेशा एक बकरी होती थी, जिसे कमरे के बाहर लगे एक पेड़ से बांध कर रखा जाता था। बकौल फैजान गांधी जी के लिए हमारे पर नाना मौलाना बारी एक खास रसोइए का भी इंतिज़ाम करते थे जो गांधी जी के लिए शुद्ध वेजिटेरियन खाना बनाया करते थे। गांधी जी हमेशा बकरी का दूध पीते थे। हालांकि इमारत बहुत जर्जर हो चुकी है, लेकिन फिर भी जैसे-तैसे परिवार वाले गांधी जी की इस अमानत को संभाल कर रखे हैं।

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