
गोंडा: उत्तर प्रदेश के जिले गोंडा में जन्म के कुछ देर बाद ही किसी ने नवजात बच्ची को झाड़ियों में फेंक दिया। इसकी जानकारी तब हुई जब गांव में सुबह महिलाएं खेतों की तरफ जा रही थी। इस बीच उन्हें बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी तो दौड़कर पहुंची तो देखा कि नवजात बच्ची काले कपड़े में लिपटी पड़ी हुई थी। उसके बाद महिलाओं ने उसे उठाकर सीने से लगा लिया और पुलिस को बताया। सूचना के बाद पहुंची पुलिस नवजात को लेकर पीएचसी में भर्ती करवाया। उसके बाद चाइल्ड लाइन को बताकर बच्ची को उनको सौंप दिया गया है।
खेत जाने के दौरान महिलाओं ने सुनी थी आवाज
जानकारी के अनुसार यह संवेदनशील मामला शहर के खरगूपुर थाने का है। इस इलाके की जानकी नगर पुलिस चौकी का देवरहना गांव है। किसी अज्ञात ने गांव के बाहर खेत के पास झाड़ियों में जन्मी बच्ची को चार घंटे बाद ही फेंक दिया था। देवरहना गांव की महिलाओं का कहना है कि सुबह करीब छह बजे खेत जा रहे थे। गांव के बाहर गन्ने के खेत से करीब 50 मीटर पहले झाड़ियों में किसी बच्चे के रोने की आवाज सुनी। उसके बाद देखा जाकर तो वहां घास में बच्ची काले और हरे रंग के कपड़े में लिपटी पड़ी थी। भूख की वजह से बच्ची खूब रो रही थी।
पांच से छह घंटे पहले हुआ था बच्ची का जन्म
उसके बाद महिलाओं ने बताया कि बच्ची को उठाकर दुलारा और चुप कराया। उसके बाद गांव वालों को बुलाया और इसकी सूचना पुलिस को दी। ग्रामीणों के द्वारा सूचना मिलने के बाद चौकी प्रभारी घनश्याम वर्मा मौके पर पहुंचे। उनका कहना है कि मौके पर 108 एंबुलेंस को बुलाकर बच्ची को महिलाओं के साथ ले जाकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इटियाथोक लाया गया। जहां नवजात बच्ची का चेकअप करवाया गया। बच्ची का इलाज कर रहे चिकित्सक का कहना है कि सुबह करीब आठ बजे मासूम को अस्पताल लाया गया। प्राथमिक इलाज में पता चल रहा है कि बच्ची का जन्म पांच से छह घंटे पहले ही हुआ है। फिलहाल बच्ची स्वस्थ्य है और उसके चाइल्ड लाइन को सुपुर्द कर दिया गया है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से मंगाई जा रही डिटेल
इस पूरे प्रकरण में खरगूपुर थाना अध्यक्ष कुबेर तिवारी का कहना है कि फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच में जुटी हुई है। तिवारी आगे कहते है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से डिटेल मंगवाई जा रही है कौन-कौन से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में नवजात बच्ची का जन्म हुआ है और किसके घर में बच्ची नहीं है। इसके साथ ही प्रसव कराने वाली दाइयों से भी पूछताछ की जा रही है। गांव वालों का कहना है कि भगवान का शुक्र है कि नवजात बच्ची के पास कोई जानवर नहीं पहुंचा अन्यथा गलत ही हो जाता।
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