Exclusive:अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 17 हजार ग्रेनाइट का स्लैब साउथ से कानपुर 3 दिन में कैसे पहुंचा?

श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बन रहा है। मंदिर का काम अगस्त, 2020 से शुरू हुआ है और तब से निरंतर चल रहा है। अब तक मंदिर की नींव का काम पूरा हो चुका है और अब चबूतरे को बनाया जा रहा है। 

Asianet News Hindi | Published : May 2, 2022 7:16 AM IST / Updated: May 05 2022, 08:42 AM IST

नई दिल्ली। श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या (Ayodhya) में रामलला का भव्य मंदिर बन रहा है। इसका काम 5 अगस्त, 2020 को शिलापूजन के साथ ही प्रारंभ हो गया था। मंदिर के गर्भगृह को दिसंबर, 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य है। वहीं, पूरे मंदिर परिसर को 2024 के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा। राम मंदिर का काम अब तक कितना हो चुका है और इसे किस तकनीक से बनाया जा रहा है, इस बारे में एशियानेट न्यूज (Asianet News) के राजेश कालरा ने राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा से बातचीत की। उन्होंने बताया कि मंदिर को सबसे मजबूत पत्थर ग्रेनाइट से बनाया जा रहा है, जिसे कनार्टक से मंगाया गया है। 

कर्नाटक से अयोध्या सिर्फ 3 दिन में पहुंचे ग्रेनाइट के 17 हजार स्लैब : 
नृपेन्द्र मिश्रा के मुताबिक, प्लिंथ स्ट्रक्चर (चबूतरे) को ग्रेनाइट पत्थरों से बनाया गया है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ये सबसे मजबूत पत्थर होता है। इसके लिए साउथ इंडिया के कर्नाटक से 17 हजार ग्रेनाइट के स्लैब्स मंगाने पड़े। अब समस्या ये थी कि इतनी दूर से बड़ी संख्या में ग्रेनाइट स्लैब मंगवाने के लिए हमें उतने ट्रक नहीं मिल पा रहे थे। 

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कंटेनर कॉर्पोरेशन ने पत्थर मंगवाने के लिए किया स्पेशल इंतजाम : 
बाद में ग्रेनाइट पत्थरों को वहां से मंगाने के लिए हमें कंटेनर कार्पोरेशन (Concor) ने मदद की। उन्होंने स्पेशल अरेंजमेंट करते हुए कनार्टक से कानपुर तक सिर्फ 3 दिनों में ग्रेनाइट स्लैब पहुंचा दिए। इसके बाद कानपुर से इन स्लैब को अयोध्या तक कई सारे ट्रेलर में लाया गया। इस तरह बड़ी संख्या में ग्रेनाइट पत्थर साउथ से कानपुर तक तीन दिन में पहुंचे।  

कब आया राम मंदिर का फैसला और कब बना ट्रस्ट : 
सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर, 2019 को अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक मानते हुए फैसला मंदिर के पक्ष में सुनाया। इसके साथ ही चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की विशेष बेंच ने राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए अलग से ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया। इसके बाद 5 फरवरी, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में ट्रस्ट के गठन का ऐलान किया। इस ट्रस्ट का नाम 'श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' रखा गया। 

कौन हैं नृपेन्द्र मिश्रा : 
नृपेन्द्र मिश्रा यूपी काडर के 1967 बैच के रिटायर्ड आईएएस अफसर हैं। मूलत: यूपी के देवरिया के रहने वाले नृपेन्द्र मिश्रा की छवि ईमानदार और तेज तर्रार अफसर की रही है। नृपेंद्र मिश्रा प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव भी रह चुके हैं। इसके पहले भी वो अलग-अलग मंत्रालयों में कई महत्वपूर्ण पद संभाल चुके हैं। मिश्रा यूपी के मुख्य सचिव भी रह चुके हैं। इसके अलावा वो यूपीए सरकार के दौरान ट्राई के चेयरमैन भी थे। जब नृपेंद्र मिश्रा ट्राई के चेयरमैन पद से रिटायर हुए तो पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन (PIF) से जुड़ गए। बाद में राम मंदिर का फैसला आने के बाद सरकार ने उन्हे अहम जिम्मेदारी सौंपते हुए राम मंदिर निर्माण समिति का अध्यक्ष बनाया।

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