ग्राउंड रिपोर्टः कोई कुछ भी दिखाए-कोई कुछ भी कहे लेकिन अयोध्या की आवाम ने कहा- यहां ऑल इज वेल

अयोध्या के विषय में जो खबरें चल रही हैं। उसमें कितनी सत्यता है? इन सब बातों की जानकारी के लिए hindi.asianetnews.com की टीम अयोध्या के कई इलाकों में गई और वहां के लोगों से बात की।

अयोध्या (Uttar Pradesh). अयोध्या मामले पर सुनवाई पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। अयोध्या में इस फैसले को लेकर क्या माहौल है, लोगों में कितना उत्साह है? अयोध्या के विषय में जो खबरें चल रही हैं। उसमें कितनी सत्यता है? इन सब बातों की जानकारी के लिए hindi.asianetnews.com की टीम अयोध्या के कई इलाकों में गई और वहां के लोगों से बात की। 

अपनी मस्ती में हैं अयोध्यावासी...

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# टीम सुबह 10:00 बजे अयोध्या के चौक बाजार पहुंची। यहां रोज की तरह चहल पहल थी। दुकानों पर लोगों की भीड़ थी। लोग खरीदारी में बिजी व्यस्त थे। हमने मार्केट में कपड़ा खरीदने आए मोहम्मद मशरूफ से बात की। उन्होंने बताया, अयोध्या मामले को लेकर लोगों में उत्सुकता जरूर है। लेकिन कहीं से इस तरह का कोई माहौल नहीं है, जिससे सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न हो। अयोध्या गंगा जमुनी तहजीब का सबसे नायाब उदाहरण है। यहां हिंदू-मुस्लिम दोनों धर्मों के लोग साथ मिलकर रहते हैं। उनमें कभी आपस में कोई तनाव नहीं हुआ। 

# कपड़े की दुकान लगाने वाले राजेश माहेश्वरी का कहना था, अयोध्या पर फैसला जल्द आने वाला है। लेकिन इसका शहर के माहौल पर कोई फर्क नहीं है। यहां सब अमन चैन से रह रहे हैं। जैसे पहले रहते थे।

मुस्लिम बस्ती के लोगों ने कही ये बात

# चौक से निकलकर टीम सुबह 11 बजे कटरा इलाके में पहुंची। यहां मुस्लिमों की एक घनी बस्ती है। यहां रहने वाले परास्नातक के छात्र इफ्तेखार ने अयोध्या मुद्दे पर राय पूंछने पर हंसते हुए कहा, फैसला जो भी आए यहां पहले भी आल इज वेल था, आगे भी आल इज वेल रहेगा। 

# अपने घर के बाहर बैठे 80 साल के बुजुर्ग मुमताज अहमद ने कहा, मामला सुप्रीम कोर्ट में है। क्या फैसला आएगा, इससे अयोध्या के माहौल में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। अयोध्या में आज भी हिंदू मुस्लिम साथ रहते हैं, एक दूसरों के त्योहारों में शरीक होते हैं, एक दूसरों के सुख दुख में साथ खड़े रहते हैं। फैसला मंदिर या मस्जिद किसी के पक्ष में भी आए, हमारा आपसी सौहार्द ऐसे ही बना रहेगा। 

# बगल में ही रहने वाले याकूब खान का कहना था, यह बात सही है कि कार सेवकों द्वारा बाबरी मस्जिद को गिराया गया। लेकिन विवादित भूमि राम मंदिर की है या बाबरी मस्जिद की इस पर फैसला देना कोर्ट का काम है। कोर्ट सबूतों के आधार पर अपना फैसला सुनाएगी। हम सभी इस फैसले का इंतजार कर रहे हैं। कोर्ट के फैसले का पूरा सम्मान होगा। हालांकि, उससे यहां के माहौल में कुछ फर्क नहीं पड़ेगा। 

राम की पैड़ी के पास मुस्लिम भी लगाते हैं दुकान

# कटरा से निकलने के बाद टीम दोपहर करीब एक बजे राम की पैड़ी (नया घाट) पहुंची। यहां आसपास लगने वाली तमाम दुकानों पर खरीददारों की भीड़ जुटी थी। यहां मूर्तियों की दुकान चलाने वाले शिव कुमार मोदनवाल का कहना था, दूर-दूर से लोग रामलला के दर्शन करने आते हैं। यहां खरीदारी करते हैं और शांतिपूर्ण तरीके से चले जाते हैं। अयोध्या आस्था का केंद्र है। यहां पर मंदिर बनना चाहिए। कई मुस्लिम दुकानदार भी यहां अपनी दुकानें चलाते हैं। वह भी रामलला की मूर्तियां, कपड़े और पूजा-पाठ के सामान बेजते हैं। उनके मन में कभी ऐसी भावना देखने को नहीं मिली कि वह हिंदू-मुस्लिम जैसी किसी सामाजिक सौहार्द जैसी भावना से ग्रसित हो। 

# पास में ही चाय नाश्ते की दुकान चलाने वाले राघवेंद्र यादव से बात की गई। उन्होंने बताया, रोजाना सैकड़ों ग्राहक नाश्ते के लिए दुकान पर आते हैं। उसमें हिंदू मुस्लिम समेत कई धर्मों और जातियों के लोग होते हैं। सभी एक साथ बैठकर चाय नाश्ता करते हैं। एक दूसरे के सुख दुख की बातें करते हैं। यहां राम मंदिर या बाबरी मस्जिद जैसे विवाद की कोई चर्चा अगर होती भी है तो वह सिर्फ एक उत्सुकता वश होती है।

मुस्लिम दुकानदार का क्या है कहना...

# राम की पैड़ी के पास चूड़ी की दुकान लगाने वाले आरिफ अंसारी का कहना था, कोर्ट का फैसला क्या होगा, इससे उन्हें कोई लेना देना नहीं। उन्हें बस इतना पता है कि रामलला का दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं से ही उनकी दुकान चलती है। दुकान से मिले पैसों से उनके परिवार का भरण पोषण होता है। वो बस यही चाहते हैं कि रामलला का दर्शन करने ज्यादा से ज्यादा संख्या में श्रद्धालुओं आएं, जिससे उनकी आमदनी बढ़े।

# थोड़ी दूर चलने के बाद ही जनरल स्टोर की दुकान चलाने वाली आसिफा बानो से बात की। उनका कहना था, 10 सालों से उनकी दुकान यूं ही चल रही है। यहां पर मंदिरों में दर्शन करने आने वाली महिला श्रद्धालुओं की भारी भीड़ दुकान पर आती है। उनकी आस्था है यहां से खरीदे गए चूड़ी और सिंदूर से महिला का सुहाग सलामत रहे। इसी से उनकी जीविका चलती है। राम मंदिर या बाबरी मस्जिद के विवाद से उनका कोई सरोकार नहीं।
 

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