वर्चुअल रैली और डिजिटल प्रचार के फैसले से कहीं खुशी तो कहीं गम, इंटरनेट की पिच पर हाथ आजमा रहे प्रत्याशी

प्रत्याशी केवल पांच लोगों के साथ डोर टू डोर कन्वेशिंग कर सकेगा। गोरखपुर मंडल में चार जिले गोरखपुर, महाराजगंज, देवरिया और कुशीनगर है। जहां कुल 28 विधानसभा क्षेत्र हैं। यहां पर ​इस बार विधानसभा चुनाव में ताल ठोकने वाले प्रत्याशी प्रचार के लिए चुनाव की डेट का इंतजार कर रहे थे। तभी चुनाव आयोग का ऐसा डिसिजन आया कि कई प्रत्याशी के पांव जहां थे वहीं जम गए। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 14, 2022 4:48 AM IST / Updated: Jan 14 2022, 10:29 AM IST

अनुराग पाण्डेय
गोरखपुर:
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में विधानसभा चुनाव (UP Vidhansabha chunav 2022) की तारिख तय होने के बाद सभी प्रत्याशी अपनी जीत निश्चित करने के लिए अभी जोर लगाना शुरू ही किए थे। तभी कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए चुनाव आयोग का एक फैसला आया कि यूपी में डिजिटल प्रचार और वर्चुअल रैली (Virtual rally) होगी। प्रत्याशी केवल पांच लोगों के साथ डोर टू डोर कन्वेशिंग कर सकेगा। गोरखपुर मंडल में चार जिले गोरखपुर, महाराजगंज, देवरिया और कुशीनगर है। जहां कुल 28 विधानसभा क्षेत्र हैं। यहां पर ​इस बार विधानसभा चुनाव में ताल ठोकने वाले प्रत्याशी प्रचार के लिए चुनाव की डेट का इंतजार कर रहे थे। तभी चुनाव आयोग का ऐसा डिसिजन आया कि कई प्रत्याशी के पांव जहां थे वहीं जम गए। जबकि कई प्रत्याशी इस डिसिजन से काफी खुश हुए। आइए जानते हैं कि चुनाव आयोग (Election Commission) के फैसले से कितने संतुष्ट हैं गोरखपुर के अलग-अलग पार्टियों के प्रत्याशी।

गरीब जनता क्या जाने डिजिटल: कौशल किशोर
गोरखपुर मंडल के महाराजगंज जिले के नौतनवां विधानसभा से वर्ष 2012 में कांग्रेस से विधायक रहे कौशल किशोर सिंह उर्फ मुन्ना सिंह ने चुनाव आयोग के फैसले का विरोध करते हुए कहा कि ये पूरी तरह से भाजपा के पक्ष में लिया गया डिसिजन है। उन्होंने कहा कि लाइन लगाकर पांच किलो चावल और तेल लेने वाली जनता दिनभर मेहनत करती है, इसके बाद भी उसका पेट नहीं भरता है, वो भला डिजिटल क्या जाने। वो वर्चुअल रैली में कैसे शामिल होंगे। एक तरफ देश के प्रधानमंत्री ये कह रहे हैं कि जनता को कोरोना के टीके की डबल डोज लग चुकी है, अब घबराने की जरूरत नहीं है। दूसरी तरफ चुनाव आते ही गांव की उन महिलाओं पर जो घर पर गोबर उठाना और खाना बनाने में बिजी रहती हैं, उनके पास मोबाइल तक नहीं है। महाराजगंज वैसे भी तराई बेल्ट है, यहां बच्चों को आॅनलाइन पढ़ाई तो गार्जियन करा नहीं पा रहा है। दूसरी तरफ वर्चुअल रैली ये कहां संभव हो पाएगा। हां एक बात जरूर है कि इस डिसिजन से चुनाव के परिणाम जरा भी असर नहीं पड़ेगा। जनता भाजपा को जान चुकी है। मंहगाई से त्रस्त जनता इस बार भाजपा को सबक सिखाएगी। 

बरसाती मेढ़क को इससे होगी परेशानी: राधामोहन
गोरखपुर की शहर विधानसभा से 2002 से लगातार चार बार के भाजपा के विधायक डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल एक अच्छे डॉक्टर भी हैं। वे 25 साल से जनता की सेवा कर रहे हैं। चुनाव आयोग के फैसले पर डॉ. राधामोहन ने कहा कि मैं तो वर्ष 2017 से ही वर्चुअली सभा कर रहा हूं। उन्होंने बताया कि मैं शुरू से ही चुनाव प्रचार के पक्ष में नहीं रहा हूं। इस समय कोरोना को देखते हुए चुनाव आयोग ने जो डिसिजन लिया है उसका मैं समर्थन करता हूं। उन्होंने बताया कि इस बार चुनाव में मैं डेली अपने फेसबुक पेज पर शाम को 8 बजे नागरिकों संबोधित कर रहा हूं। इसके लिए बकायदा सभी नागरिकों को इसकी सूचना दे दी गई है। उन्होंने कहा कि जो बरसाती मेढ़क होते हैं, अचानक से चुनाव की डेट आते ही जनता के बीच आते हैं। ऐसे लोगों को जरूर परेशानी होगी। बाकी वर्ष 2017 चुनाव के बाद 5 साल का समय था, इनको पांच साल में लोगों के बीच जाकर अपनी पहचान बनानी चाहिए थी।  

जिसने पहले से की तैयारी उसे मिलेगा फायदा: जीएम सिंह
गोरखपुर मंडल के सहजनवां और पनियरा से विधायक रह चुके देव नारायण सिंह उर्फ जीएम सिंह इस बार भाजपा में शामिल होकर कुशीनगर जिले के हाटा विधानसभा से तैयारी कर रहे हैं। जीएम सिंह दो बार विधायक रह चुके हैं। जीएम सिंह 25 साल से राजनीति में सक्रिय भूमिका अदा कर रहे हैं। चुनाव आयोग के फैसले पर जीएम सिंह का कहा कि कोरोना के प्रकोप को देखते हुए चुनाव आयोग ने वर्चुअल रैली और डिजिटल प्रचार का अच्छा निर्णय लिया है। इस निर्णय से जो भी प्रत्याशी पहले से जनता से जुड़ें थे और उनका क्षेत्र में आना-जाना लगा हुआ था। उनको इसका पूरा लाभ मिलेगा। वहीं जो चुनाव की डेट की इंतजार में थे कि तारिख का ऐलान हो तो प्रचार शुरू करें, उन्हें दिक्कत होगी। उन्होंने बताया कि मैं सोशल मीडिया पर शुरू से ही सक्रिय हूं। मैंने अपना फेसबुक पेज भी है। जिसपर नागरिकों का पूरा समर्थन मिलता रहता है। 

सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर शुरू से ही हूं एक्टिव: विजय श्रीवास्तव
विधानसभा चुनाव 2022 के लिए गोरखपुर शहर से आम आदमी पार्टी ने विजय श्रीवास्तव को अपना प्रत्याशी बनाया है। शुरू से ही विजय श्रीवास्तव समाज सेवा से जुड़े होने की वजह से उन्हें गोरखपुर में ज्यादातर लोग पहचानते हैं। विजय श्रीवास्तव ने चुनाव आयोग के डिसिजन को गलत ठहराते हुए कहा कि ये निर्णय भाजपा के पक्ष में लिया गया है। अभी तक भाजपा की जगह-जगह रैलियां हो रही थीं तब कोरोना नहीं हो रहा था। अब जब चुनाव आया तब उन्हें कोरोना गाइडलाइन की याद आई है। उन्होंने ये भी कहा कि इससे चुनाव में भाजपा को कोई फायदा नहीं हो पाएगा। प्रदेश की जनता भाजपा की मंहगाई से त्रस्त है और इस पार्टी को अच्छे से जान चुकी है। इसलिए कोई भी रणनीति बना लें भाजपा लेकिन इस बार उनकी दाल गलने वाली नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं तो शुरू से ही सोशल मीडिया पर एक्टिव रहा हूं। मेरा सोशल मीडिया प्लेटफार्म बहुत मजबूत है। मैने एक वार रूम तैयार किया है। जहां से डेली मेरा एक घंटे का भाषण ऑनलाइन चलेगा। 

भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए बना डिजिटल मंच: नीरज शाही
 
गोरखपुर शहर से समाजवादी पार्टी से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए एडवोकेट नीरज शाही ने आवेदन किया है। शुरू से ही शहर में समाज सेवा से जुड़े कार्यों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेने की वजह से नीरज शाही की दावेदारी भी सपा में मजबूत है। गोरखपुर शहर से अभी तक कई प्रत्याशी उतर चुके हैं इसके बाद भी कभी सपा को यहां से जीत नहीं मिली है। इसलिए सपा को भी अच्छे कैंडिडेट की तलाश है। गोरखपुर शहर से दावेदारी करने वाले नीरज शाही ने चुनाव आयोग के फैसले पर कहा कि ये केवल भाजपा को फायदा पहुंचाने वाला निर्णय है। उन्होंने ये भी कहा कि लाख कोशिश कर लें लेकिन इस बार भाजपा का सफाया होना तय है। जनता भाजपा से त्रस्त हो चुकी है। उन्होंने कहा कि बड़े शहरों के लिए चुनाव आयोग का डिसिजन तो ठीक है लेकिन पूर्वांचल जहां पर बच्चों को आॅनलाइन पढ़ाने में गार्जियन का पसीना छूट जा रहा है। वहां पर अचानक डिजिटल मंच बनाना समझ से परे है।

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