
लखनऊ: यूपी में विधानसभा चुनावों (UP Assembly elections) से पहले सभी राजनीतिक पार्टियों में नेताओं का आना-जाना जारी है। इसी बीच समाजवादी पार्टी भी अब पूर्वांचल में ब्राह्मण वोटों को साध रही है, इसी के चलते पूर्वांचल की सियासत में ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी (Harishankar Tiwari) का परिवार आज सपा में शामिल हो गया। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की मौजूदगी में आज हरिशंकर तिवारी और उनके बेटे सपा में शामिल हो गए।
इस दौरान अखिलेश यादव ने प्रेसवार्ता कर कहा कि अब समाजवादी पार्टी का कोई मुकाबला नही कर सकता। हमें डर लगता है सरकार का बुलडोजर कहीं हमारी पार्टी की तरफ न आ जाये। जहाँ से पार्टी की विजय होनी शुरू होनी है। बीजेपी सरकार अंग्रेजों की तरह डिवाइड एन्ड रूल का काम किया है। हमारे मुख्यमंत्री जी बिजली के कारखाने का नाम बोलना नहीं सीख पाए। जो सरकार अपने 4.5 साल में संकल्प पत्र पर काम न किया हो वो क्या करेगी। इस बार जनता ने बाबा मुख्यमंत्री को फेल करने का मान बना लिया है। लखीमपुर कांड कौन भूल पाएगा। सरकार की समय पर बत्ती गुल हो जाती है। साथ ही कहा कि कोरोना काल में जब शमशान घाट में लाशें जल रहीं थीं, तब यही सरकार अपनी नाकामी को छुपाने के लिए टीनें लगवा रही थी।
मायावती ने बसपा से निकाला
बसपा सुप्रीमो मायावती ने हरिशंकर तिवारी के पूरे कुनबे (भाई कुशल तिवारी और रिश्तेदार गणेश पांडेय सहित) पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था. इस परिवार के सपा में शामिल होना बसपा के साथ-साथ बीजेपी के लिए भी चिंता का विषय हो सकता है. यूपी की मौजूदा राजनीति में काफी समय से यह परिवार चर्चा में नहीं रहा है लेकिन पूर्वांचल के जातिगत समीकरणों में इसकी दखल से कोई भी इनकार नहीं करता। 80 के दशक में हरिशंकर तिवारी और वीरेन्द्र प्रताप शाही के बीच वर्चस्व की जंग ने ब्राह्मण बनाम ठाकुर का रूप ले लिया था।
इन्हीं दो बाहुबलियों के विधायक बनने के बाद यूपी की सियासत में बाहुबलियों की एंट्री शुरू हुई. हरिशंकर तिवारी चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र से लगातार छह बार विधायक रहे. कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह और मुलायम सिंह यादव की सरकारों में कैबिनेट मंत्री रहे लेकिन 2007 के चुनाव में बसपा के राजेश त्रिपाठी ने उन्हें चुनाव हरा दिया. इसके बाद भी यूपी की सियासत में तिवारी परिवार का रसूख कम नहीं हुआ.
बीजेपी के वोट पर भी पड़ेगा असर
उनके बड़े बेटे कुशल तिवारी संतकबीरनगर से दो बार सांसद रहे तो छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी चिल्लूपार सीट से विधायक हैं। जबकि हरिशंकर तिवारी के भांजे गणेश शंकर पांडेय बसपा सरकार में विधान परिषद सभापति रहे हैं। तिवारी परिवार के सपा में आने से बसपा के साथ-साथ बीजेपी के लिए भी चिंता का विषय हो सकता है। इसे जहां बसपा की सोशल इंजीनियरिंग को झटका माना जा रहा है।
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